पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंसा के बाद ममता बनर्जी चौतरफा घिरती नज़र आ रही हैं। वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के बाद गवर्नर, NCW और मानवाधिकार आयोग की टीम पहुंच गई है। इस हिंसा की वजह से करीब 500 से ज्यादा लोगों को अपना घर छोड़ने को मजबूर होना पड़ा। उन लोगों ने अपने रिश्तेदारों के घरों में शरण ली है। पीड़ितों ने घटनास्थल की भयावह तस्वीर बयान करते हुए बताया कि उपद्रवियों ने घरों और दुकानों को लूटने के बाद आग के हवाले कर दिया। इस सबके बीच हालात का जायजा लेने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और राष्ट्रीय महिला आयोग की एक टीम मालदा और मुर्शिदाबाद के हिंसा वाली जगहों पर गई है। दोनों ही रिपोर्ट तैयार करने की बात कह रहे हैं। अब सवाल ये है कि क्या रिपोर्ट में खामियां मिलने पर पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन संभव है?
मालदा में हिंसा पीड़ितों से मिले गवर्नर
आज राज्यपाल सीवी आनंद बोस हिंसा में मारे गए पिता-पुत्र के घर गए और घर वालों से बात की। राज्यपाल ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि उन्होंने उन 2 लोगों के परिवार से मुलाकात की जिनकी भीड़ ने हत्या कर दी थी। उन्होंने परिवार को हर संभव मदद का आश्वासन दिया और कहा कि वह यह मुद्दा केंद्र सरकार के सामने जरूर उठाएंगे। राज्यपाल ने कहा मैं खुद मुर्शिदाबाद आया हूं और जो देखा वह वाकई चौंकाने वाला था। यह बर्बरता थी, इंसानी व्यवहार का गिरता हुआ स्तर था।
ममता ने राज्यपाल को मुर्शिदाबाद जाने से रोका
राज्यपाल के मुर्शिदाबाद दौरे को लेकर ममता बनर्जी ने उन्हें रोकने की कोशिश की। ममता ने कहा कि - 'मैं गैर-स्थानीय लोगों से अनुरोध करूंगी कि वो अभी मुर्शिदाबाद का दौरा न करें। राज्यपाल से कुछ और दिन प्रतीक्षा करने की अपील करूंगी। स्थिति सामान्य हो रही है, मैंने स्वयं प्रभावित इलाकों का फिलहाल दौरा नहीं करने का निर्णय लिया है।' लेकिन राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने ममता बनर्जी की अपील ठुकराते हुए ये कहा कि ये उनका कर्तव्य है हिंसाग्रस्त इलाकों का जायज़ा लेना, और राहत शिविरों में रह रहे पीड़ितों का हाल-चाल जानना।