लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश हो और विपक्ष हंगामा ना करे, इसकी संभावना न के बराबर ही है । बिल पर हंगामे की शुरुआत तो बहस की टाइमिंग को लेकर ही हो गई । सत्ता पक्ष ने कहा कि 8 घंटे चर्चा हो और उसके बाद वोटिंग हो , वहीं विपक्ष 12 घंटे बहस की मांग कर रहा है ।
विपक्ष के नेताओं का टाइमिंग वाला एजेंडा तब फेल हो गया जब संसदीय कार्यमंत्री किरण रिजिजू ने कह दिया कि सहमति बनी तो वक़्त भी बढ़ जाएगा , परन्तु बिल को जल्दी पास कराना जरूरी है क्योंकि लोकसभा के बाद इसे राज्यसभा में भी जाना है । गौरतलब है कि 4 अप्रैल को संसद का वर्तमान सत्र खत्म हो रहा है ।
वक्फ संशोधन बिल का क्यों हो रहा विरोध?
पिछले साल 8 अगस्त को लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक को पेश किया गया था । तब विपक्ष की मांग पर इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति में भेजा गया । जेपीसी ने विपक्ष से मिले कई सुझावों को बिल में शामिल किया है । विपक्ष ने बिल में 44 संशोधनों की मांग की थी , परन्तु समिति ने 14 संशोधनों के साथ बिल को बहुमत से पास कर दिया । विपक्ष का कहना है कि उनके अधिकांश सुझावों पर गौर नहीं किया गया ।
विपक्ष के ज्यादातर दल वक्फ संशोधन बिल का विरोध कर रहे हैं खासकर वो सभी पार्टियां जो मुस्लिम वोट की राजनीति करती हैं । बिल का विरोध करने वाली पार्टियों में मुख्य रूप से कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, आरजेडी और एआईएमआईएम शामिल हैं ।
वक्फ बोर्ड कानून में क्या बदलेगा ?
पुराने कानून के सेक्शन 40 के तहत अगर वक्फ बोर्ड किसी प्रॉपर्टी पर दावा करता है तो उस जमीन का मालिक सिर्फ वक्फ ट्रिब्यूनल में अपील कर सकता है ।
नए बिल के मुताबिक जमीन का मालिक वक्फ ट्रिब्यूनल के अलावा रेवेन्यू कोर्ट, सिविल कोर्ट या हाईकोर्ट में भी अपील कर सकता है
पुराने कानून में जमीन पर दावे के केस में वक्फ ट्रिब्यूनल का फैसला आखिरी माना जाता है, उसे चुनौती नहीं दी जा सकती । वहीं अब वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की जा सकेगी ।
पुराने कानून के तहत किसी जमीन पर मस्जिद हो या उसका उपयोग इस्लामिक उद्देश्यों के लिए हो तो वो वक्फ सम्पत्ति हो जाती है । नए बिल के तहत जब तक जमीन वक्फ को दान नहीं दी गई , काग़ज़ी कार्रवाई नहीं हुई तब तक वो वक्फ की सम्पत्ति नहीं होगी ।
पुराने कानून के तहत वक्फ बोर्ड में महिला और अन्य धर्म के लोगों को सदस्य नहीं बनाया जाता है ,जबकि नए कानून के तहत वक्फ बोर्ड में 2 महिलाओं और दूसरे धर्म के भी 2 सदस्यों का प्रावधान है ।
अभी वक्फ सम्पत्तियों का ऑडिट भी नहीं हो सकता जबकि यदि नया बिल पास होता है तो केंद्र सरकार वक्फ सम्पत्ति का ऑडिट सीएजी के जरिए करा सकती है ।
पुराने कानून में वक्फ बोर्ड यदि सम्पत्ति पर दावा कर दे तो जिस शख्स की सम्पत्ति है उसे साबित करना होता है कि जमीन उसकी है । इसे कानूनी भाषा में बर्डन ऑफ प्रूफ कहते हैं, जो पुराने बिल में शिकायतकर्ता के पास है ।
वहीं नए बिल में जिला प्रशासन यदि चाहे तो वो खुद भी सम्पत्ति की जांच कर सकता है या वक्फ बोर्ड से सम्पत्ति से जुड़े कागजात मांग सकता है ।
डिफेंस और रेलवे के बाद सबसे अधिक जमीन
भारत में वक्फ बोर्ड जमीन के मामले में तीसरे नम्बर पर है । आर्मी और रेलवे के बाद सबसे ज्यादा जमीन वक्फ बोर्ड के ही पास है । हाल के वर्षों में वक्फ की सम्पत्ति में काफी वृद्धि हुई है जिसको लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं ।
रिपोर्ट्स के मुताबिक वक्फ बोर्ड के पास 2009 में 4 लाख एकड़ जमीन थी जो साल 2024 में बढ़कर 8 लाख एकड़ से ज्यादा हो गई। ये सम्पत्ति देश के अलग-अलग राज्यों में 30 सुन्नी वक्फ बोर्ड और 2 शिया वक्फ बोर्ड के पास है ।
अब तक जो वक्फ सम्पत्तियां देश में हैं उनका कोई रिकॉर्ड सरकार के पास नहीं है । लेकिन नए कानून के तहत वक्फ बोर्ड को अपनी सम्पत्ति जिला मजिस्ट्रेट के ऑफिस में रजिस्टर करानी होगी ताकि सम्पत्ति के मालिकाना हक की जांच मुमकिन हो सके । सरकार का कहना है कि वक्फ जमीनें यदि रजिस्टर होंगी तो उनके रिकॉर्ड रखने में भी पारदर्शिता आएगी । इसके लिए वक्फ की संपत्तियों और क्रियाकलापों को डिजिटाइज करने की भी योजना है ।
वक़्फ़ बिल पर शक्ति परीक्षण
मौजूदा सत्र में वक्फ संशोधन बिल को लोकसभा में पास कराने के लिए 272 सांसदों के वोट की जरूरत है । बीजेपी के पास 240 सांसद हैं , जबकि टीडीपी, जेडीयू, शिवसेना और एलजेपी आरवी को मिलाकर सरकार के पास 293 वोट हैं । उधर इंडिया ब्लॉक के सभी वोट जोड़ लें तब भी आंकड़ा 233 ही बैठता है ।
राज्यसभा में कुल सदस्य अभी 236 हैं । यहां बहुमत के लिए 119 वोटों की जरूरत है । एनडीए के पास 115 सदस्य हैं जबकि 6 मनोनीत सदस्य हैं जिन्हें मिलाकर आंकड़ा 121 पहुंचता है । इस लिहाज से बिल को पास कराने में सरकार के लिए बड़ी चुनौती नहीं है ।
लेकिन जल्द ही बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं । इसे देखते हुए वक्फ बिल पर हो- हल्ला मचना तय है । 2026 में बंगाल में विधानसभा चुनाव हैं और फिर 2027 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव है । मुसलमानों की बड़ी आबादी वाले इन तीनों राज्यों में वक्फ बिल बड़ा चुनावी मुद्दा बनता नज़र आ रहा है ।