वाराणसी। मोंथा चक्रवाती तूफान से उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल इलाके में पिछले तीन दिन से बारिश का मौसम बना हुआ है। आसमान में बादलों का डेरा है और रुक-रुककर बारिश हो रही है।
कार्तिक के महीने में सावन की झड़ी देखकर ठंड में भी किसानों के माथे पर पसीना नजर आ रहा है। बैमौसम बूंदाबांदी से धान की फसल को भारी क्षति होने की बात कही जा रही है। जहां किसान एक ओर खेत से काटकर खलिहान में मड़ाई के लिए रखी फसल को हो रहे नुकसान तो दूसरी ओर खेत में खड़ी धान की फसल खेत में गिरने से होने वाले नुकसान को लेकर परेशान है।
खेत में पानी भर जाने से आगे धान की कटाई में भी समस्या खड़ी होने वाली है।ऐसे में धान की फसल को भारी नुक्सान होना तय माना जा रहा है।
हलांकि जानकारों के अनुसार, हल्की बूंदाबांदी से रबी की फसलों चना,मटर,सरसों आदि की बुआई के लिए पर्याप्त नमी जरूर मिल जायेगी लेकिन खरीफ की प्रमुख फसल धान को क्षति होने से किसानों की मुश्किलें बढ़ गयी हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि खेतों व खलिहानों में काटकर रखी गयी धान की फसल बरसात से भीग जाने के कारण पुआल में फफूंद लगेगी और सड़न हो सकती है। इसके साथ ही धान के दाने काले पड़ जायेंगे जिससे चावल के टूटने और उसकी गुणवत्ता प्रभावित होने की आशंका है। उन्होंने बताया शुक्रवार को भी हल्की वर्षा होने का पुर्वानुमान है ऐसे में धान की फसल की और अधिक क्षति हो सकती है।
धान की फसल को कितनी क्षति पहुंची है इस सम्बंध में अधिकारियों का कहना है कि फसलों को क्षति के सम्बंध में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। धान की फसल को क्षति की रिपोर्ट मौसम साफ होने के बाद आयेगी जिसके बाद ही धान की फसल की क्षति का सही आकलन हो सकेगा।