UP Panchayat Election: क्या बढ़ेगी योगी की टेंशन, पंचायत चुनाव को लेकर जयंत चौधरी का बड़ा धमाका

Authored By: News Corridors Desk | 13 Sep 2025, 06:09 PM
news-banner

उत्तर प्रदेश में आगामी पंचायत चुनावों को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। राष्ट्रीय लोकदल (RLD) ने एक ऐसा फैसला लिया है, जिसने न केवल विपक्षी दलों को बल्कि अपने ही गठबंधन साथी बीजेपी को भी चौंका दिया है। एनडीए का हिस्सा होने के बावजूद आरएलडी ने घोषणा की है कि वह पंचायत चुनावों में अकेले दम पर लड़ेगी। यह फैसला मेरठ में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में लिया गया, जहां पार्टी ने गठबंधन के बिना स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का ऐलान किया।

 

बैठक में बड़ा ऐलान

शुक्रवार को मेरठ में पंचायत चुनाव समिति की बैठक आयोजित हुई, जिसमें पंचायत चुनाव समिति के प्रदेश संयोजक डॉ. कुलदीप उज्जवल ने इस महत्वपूर्ण घोषणा को औपचारिक रूप दिया। डॉ. उज्जवल ने कहा, "पंचायत का चुनाव गांव का चुनाव है, जहां गांव के लोग ही वोट डालते हैं। हमारी पार्टी ग्रासरूट लेवल पर मजबूत है। हम अपने संगठन और कार्यकर्ताओं के दम पर पूरे प्रदेश में चुनाव लड़ेंगे।" उन्होंने स्पष्ट किया कि एनडीए गठबंधन विधानसभा और लोकसभा स्तर पर है, लेकिन पंचायत चुनाव क्षेत्रीय स्तर का होने से पार्टी इसे स्वतंत्र रूप से लड़ने का निर्णय ले चुकी है।

बैठक में मेरठ और सहारनपुर मंडल के सभी पदाधिकारी, क्षेत्रीय अध्यक्ष और पंचायत समिति के सदस्य मौजूद रहे। इस दौरान हर जिले में पांच सदस्यीय समिति गठित करने का फैसला भी लिया गया, जो प्रत्याशी चयन की जिम्मेदारी निभाएगी। पार्टी का मानना है कि इससे संगठन की ताकत निचले स्तर तक मजबूत होगी और कार्यकर्ताओं को सक्रिय राजनीति में भागीदारी का मौका मिलेगा।

 

जयंत चौधरी की रणनीति

आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी के नेतृत्व में यह फैसला पार्टी की ग्रामीण आधार को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। डॉ. उज्जवल ने जोर देते हुए कहा कि पंचायत चुनावों से ही 2027 के विधानसभा चुनावों की मजबूत नींव तैयार होगी। पंचायत स्तर पर जीत भविष्य की राजनीतिक दिशा तय करेगी। पार्टी सूत्रों के अनुसार, विशेष रूप से पश्चिमी यूपी में आरएलडी अच्छी संख्या में सीटों पर स्वतंत्र उम्मीदवार उतारेगी, ताकि अपना प्रभाव क्षेत्र मजबूत किया जा सके।

यह फैसला अन्य बीजेपी सहयोगी दलों जैसे अपना दल (एस), सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) और निषाद पार्टी के हालिया निर्णयों से प्रेरित लगता है, जिन्होंने भी पंचायत चुनावों में स्वतंत्र रास्ता अपनाने का ऐलान किया था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सहयोगी दलों की राजनीतिक आकांक्षा को दर्शाता है, जो 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते हैं।

 

बीजेपी के लिए सिरदर्द

एनडीए के इस फैसले से बीजेपी में चिंता की लहर है। पंचायत चुनावों में स्वतंत्र लड़ाई से वोटों का बंटवारा हो सकता है, खासकर जाट-प्रभावित क्षेत्रों में जहां आरएलडी का पारंपरिक वोट बैंक है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम बीजेपी की ग्रामीण रणनीति को प्रभावित कर सकता है और गठबंधन में तनाव पैदा कर सकता है। हालांकि, आरएलडी ने स्पष्ट किया है कि विधानसभा स्तर पर गठबंधन बरकरार रहेगा।

आरएलडी की यह रणनीति न केवल पार्टी को मजबूत बनाएगी, बल्कि ग्रामीण मुद्दों पर फोकस करते हुए कार्यकर्ताओं को नई ऊर्जा देगी। पंचायत चुनाव 2025 में अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि जयंत चौधरी का यह दांव कितना सफल साबित होता है।