कफ सिरप से राजस्थान और मध्यप्रदेश में दो बच्चों की जान चली गयी!

Authored By: News Corridors Desk | 03 Oct 2025, 07:15 PM
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राजस्थान और मध्यप्रदेश में खांसी के लिए दिए जाने वाले कफ सिरप के कारण दो और बच्चों की जान चली गयी। बीते 23 दिनों में दोनों राज्यों में अब तक कुल 9 बच्चे इस जहरीले सिरप से प्रभावित होकर जान गंवा चुके हैं। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में कथित तौर पर दूषित कफ सिरप के कारण किडनी फेल होने से 7 बच्चों की मौत हो चुकी है। हाल ही में एक बच्चा नागपुर में इलाज के दौरान दम तोड़ गया। राज्य सरकार ने एआरसी सिरप, कोल्ड्रिफ और नेक्सट्रॉस डीएस सिरप के नमूने जांच के लिए भेजे हैं।

राजस्थान के भरतपुर जिले के गांव लुहासा में भी खांसी की दवा पीने से दो साल के तीर्थराज की जान चली गयी।  परिजनों का कहना है, कि सिरप पीने के बाद बच्चे की तबियत बिगड़ी और बाद में उसकी मृत्यु हो गई। इसी तरह सीकर में पांच साल के बच्चे की भी सिरप पीने से मौत हुई है। इसके बाद राजस्थान सरकार ने संदिग्ध दवा (Dextromethorphan HBr Syrup IP) के एक विशेष बैच को पूरे प्रदेश में वितरण पर रोक लगा दी है।

कफ सिरप में मिला जानलेवा रसायन डायएथिलीन ग्लाइकोल

खबरों के अनुसार, इन सिरपों में डायएथिलीन ग्लाइकोल (डीईजी) मिला है, जो एक बेहद जहरीला औद्योगिक रसायन है। यह रसायन गाड़ियों के कूलेंट और एंटीफ्रीज में भी इस्तेमाल होता है। डीईजी किडनी और नसों को नुकसान पहुंचाता है और बच्चों में किडनी फेल्योर तक का कारण बन सकता है। इस रसायन को सिरप में मिलाने का कारण सिरप को पतला करना और मीठा-ठंडा बनाना बताया जाता है ताकि बच्चे आसानी से दवा पी सकें। यह ग्लिसरीन और प्रोपाइलीन ग्लाइकोल की तुलना में बहुत सस्ता होता है।

इस तरह के दूषित कफ सिरप से पहले इंडोनेशिया और अफ्रीका के गाम्बिया में भी बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हो चुकी है। डीईजी मिलने से सिरप के सेवन के कुछ शुरुआती लक्षण उल्टी, दस्त, पेट दर्द और पेशाब बंद होना होते हैं, जो किडनी फेल्योर की ओर ले जाते हैं।

जांच और सुरक्षा उपायों की जरूरत

चिकित्सा विभाग की टीम ने मामले की जांच शुरू कर दी है और दोषी कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि 6 साल से कम उम्र के बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के खांसी का सिरप नहीं देना चाहिए। इस हादसे ने दवा गुणवत्ता नियंत्रण और निगरानी प्रणाली की गंभीर कमियों को उजागर किया है। भारत को ‘फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड’ कहा जाता है, लेकिन इस घटना ने वैश्विक स्तर पर भारत की दवा सुरक्षा प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

सरकार को चाहिए कि वह ऐसे जहरीले पदार्थों की दवाओं में मिलावट को रोकने के लिए कड़े नियम लागू करे और बेहतर निगरानी प्रणाली विकसित करे ताकि भविष्य में इस तरह की त्रासदियों को रोका जा सके।