भारत में राजनीति और प्रतिनिधित्व को लेकर एक बड़ा बदलाव आने वाला है। केंद्र सरकार 2029 के आम चुनाव से पहले लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण देने की योजना पर काम कर रही है। यह आरक्षण हाल ही में पारित 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम, 2023' के तहत लागू किया जाएगा, लेकिन इसके लिए जरूरी है नया परिसीमन, जो 2026 की जनगणना के बाद किया जाएगा।
2029 से पहले लागू हो सकता है महिला आरक्षण
सरकार ने संकेत दिए हैं कि महिला आरक्षण 2034 की बजाय 2029 के आम चुनावों में ही लागू किया जा सकता है। इसके लिए 2026 की जनगणना को दो चरणों में 1 मार्च 2027 से पहले पूरा करने की योजना है। यह जनगणना विशेष होगी क्योंकि यह पहली बार जातिगत आंकड़ों को भी दर्ज करेगी, जिससे आने वाले परिसीमन के लिए आधार तैयार होगा।
क्या है ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’?
सितंबर 2023 में पारित यह अधिनियम लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है। हालांकि, इसे लागू करने के लिए संविधान में यह स्पष्ट किया गया है कि यह केवल नए परिसीमन के बाद ही लागू किया जा सकता है। केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि सरकार 2029 तक आरक्षण लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है और जनगणना के कार्य को तीन वर्षों में पूरा करने को लेकर आश्वस्त है।
परिसीमन प्रक्रिया में सबसे बड़ी चुनौती दक्षिणी राज्यों की है, जिन्होंने 1970 और 1980 के दशक में जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान दिया था। अब यदि केवल जनसंख्या के आधार पर संसदीय सीटों का निर्धारण होता है, तो इन राज्यों का प्रतिनिधित्व घट सकता है। केंद्र सरकार ने इन राज्यों को भरोसा दिलाया है कि उनके साथ कोई अन्याय नहीं होगा। गृहमंत्री अमित शाह ने फरवरी 2024 में कोयंबटूर में स्पष्ट किया था कि दक्षिण भारत की किसी भी सीट को नहीं छीना जाएगा।
विपक्ष का आरोप: राजनीतिक लाभ के लिए हो रही है योजना
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने केंद्र सरकार की इस पहल पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि 2027 तक जनगणना टालना और फिर परिसीमन करना एक सोची-समझी योजना है जिससे तमिलनाडु की संसदीय हिस्सेदारी घटाई जा सके। उन्होंने मांग की कि 1971 की जनगणना के आधार पर बनी वर्तमान सीटों की व्यवस्था 2026 के बाद भी कम से कम 30 वर्षों तक बनी रहनी चाहिए।
2026 के बाद कैसा होगा संसद का स्वरूप?
कार्नेगी एंडॉवमेंट के 2019 के एक अध्ययन के मुताबिक, यदि 2026 की अनुमानित जनसंख्या को आधार बनाया जाए, तो लोकसभा की कुल सीटें बढ़कर 848 हो सकती हैं। उत्तर प्रदेश की सीटें 80 से बढ़कर 143 तक हो सकती हैं, जबकि तमिलनाडु की सीटें 39 से 49 तक जा सकती हैं। केरल की सीटें स्थिर रहने की संभावना है। इससे दक्षिण भारत का राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व प्रतिशत में घट सकता है, जबकि उत्तर भारत का वर्चस्व बढ़ेगा।