रसोई घर को मां अन्नपूर्णा का स्थान माना जाता है। वहीं से आपके पूरे परिवार का भरण-पोषण होता है। ऐसे में यहां वास्तु से जुड़ी छोटी गलती भी बड़े दुष्परिनाम का कारण बन सकती है। ऐसे में यह ध्यान रखना जरूरी होता है कि उस रसोई का निर्माण वास्तु नियमों के हिसाब से हो। ज्योतिष विज्ञान में वास्तु को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। वास्तु शास्त्र में बताए गए कुछ उपायों को करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
रसोई में प्रवेश और हवा का महत्व
रसोई घर में अधिक से अधिक प्राकृतिक धूप और हवा का आना अत्यंत महत्वपूर्ण है। रसोई की खिड़कियों से ताजगी और रोशनी आनी चाहिए, जिससे यहां का वातावरण सकारात्मक बने। यदि संभव हो, तो दीवारों पर बड़े दर्पण का उपयोग करने से रसोई को बड़ा और खुला हुआ महसूस कराया जा सकता है।
आकार और सामग्री का ध्यान रखें
रसोई के फर्नीचर का आकार भी इसकी ऊर्जा को प्रभावित करता है। लकड़ी का फर्नीचर रसोई के वातावरण में ठंडक तो लाता है, लेकिन यह पारिवारिक भावनाओं को प्रभावित कर सकता है, जिससे रिश्तों में तनाव पैदा हो सकता है। बेहतर होगा कि लकड़ी के फर्नीचर में अन्य धातु के उपकरणों का उपयोग किया जाए, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ सके।
रसोई का सही दिशा निर्धारण
किचन में खाना बनाते समय इस बात का विशेष ध्यान कि आपका मुख पूर्व दिशा में हो और इसका भी ध्यान रखें कि चूल्हे का मूंह उत्तर दिशा में न हो। इससे स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं दूर हो जाती हैं।
साफ-सफाई रखे ध्यान
जैसा हम जानते हैं कि रसोई घर में माता अन्नपूर्णा का वास होता है। ऐसे में खाना बनाने वाले स्थान की साफ-सफाई हमेशा रखें। इससे न केवल अन्न का भंडार बढ़ता है, बल्कि माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं।
रसोई का रंग
रसोई घर में काले रंग की चीजों का इस्तेमाल कम करें। ऐसा इसलिए क्योंकि वास्तु शास्त्र में काले रंग को नकारात्मक उर्जा का प्रतीक माना जाता है। इसलिए किचन के कपबोर्ड या स्लैब का रंग हल्के रंग का रखें। ऐसा करने से नकारात्मकता दूर रहती है।