NASA का अलर्ट! सूरज पर खुला 5 लाख किमी का भयानक छेद, 14 सितंबर को धरती पर सौर तूफान का खतरा

Authored By: News Corridors Desk | 13 Sep 2025, 02:12 PM
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सूरज की सतह पर एक रहस्यमयी छाया... 


कल्पना कीजिए, ब्रह्मांड के इस विशाल तारे पर एक विशालकाय तितली की परतें फैल रही हैं – लेकिन यह कोई सुंदर दृश्य नहीं, बल्कि सूरज के वायुमंडल में खुला एक भयानक 'छेद' है। NASA की Solar Dynamics Observatory (SDO) ने 11 सितंबर को यह चौंकाने वाली तस्वीर कैद की: 5,00,000 किलोमीटर चौड़ा, तितली के आकार का एक काला साया, जो सूरज की चमकदार सतह पर गहरा धब्बा बन गया है। यह छेद – जिसे वैज्ञानिक 'कोरोनल होल' कहते हैं – सूरज के चुंबकीय क्षेत्र को खोलकर सौर हवाओं को अंतरिक्ष में फेंक रहा है। लेकिन सवाल यह है कि यह लहर धरती तक पहुंचेगी तो क्या होगा? क्या हमारी तकनीक हिल जाएगी, या फिर आकाश में कोई चमत्कार दिखेगा?

करीब आ रहा एक अनजान खतरा ...

यह तितली जैसा छेद कोई साधारण घटना नहीं। दूरबीन से देखने पर यह गहरा काला दिखता है, क्योंकि यहां गर्म प्लाज्मा की कमी है। सूरज का चुंबकीय क्षेत्र यहां खुला पड़ा है, जैसे कोई दरवाजा जो ताकतवर हवाओं को बाहर धकेल रहा हो। ये सौर हवाएं – लाखों किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से – सीधे धरती की ओर बढ़ रही हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान? यह धारा *14 सितंबर* को हमारी पृथ्वी से टकरा सकती है। लेकिन इंतजार कीजिए... अभी तो सिर्फ शुरुआत है। जैसे-जैसे यह करीब आ रही है, निगरानी केंद्रों पर सायरन बज रहे हैं। क्या यह सिर्फ हवा होगी, या एक तूफान का संकेत?

तूफानी खतरें की घंटी बज रही है

जब ये हवाएं धरती के चुंबकीय क्षेत्र से टकराएंगी, तो भू-चुंबकीय तूफान पैदा हो सकते हैं – G1 से G2 स्तर के। ये तूफान सैटेलाइट्स को बेचैन कर सकते हैं, GPS सिग्नल बिगाड़ सकते हैं, और बिजली ग्रिड पर असर डाल सकते हैं। लेकिन सस्पेंस यहीं खत्म नहीं होता। अभी इक्विनॉक्स का समय है – जब सूरज और धरती के चुंबकीय क्षेत्र एक-दूसरे से मजबूती से जुड़ जाते हैं। इसे 'रसेल-मैकफेरॉन प्रभाव' कहते हैं, जो इन तूफानों को और तीव्र बना सकता है। क्या उत्तरी ध्रुवों पर शानदार ऑरोरा (उत्तरी रोशनी) नजर आएगी? या फिर तकनीकी दुनिया में अंधेरा छा जाएगा? वैज्ञानिक सांस थामे इंतजार कर रहे हैं...

सूरज पर वैज्ञानिकों की आंखें

यह तितली का छेद सिर्फ एक दृश्य नहीं, बल्कि सूरज-धरती के गुप्त रिश्ते की चाबी है। SDO की यह खोज वैज्ञानिकों को सूर्य की हलचलों को समझने में मदद करेगी – कैसे ये छेद अंतरिक्ष मौसम को बदल देते हैं। जैसे-जैसे सौर हवा धरती के पास पहुंचेगी, निगरानी उपकरण हर पल डेटा इकट्ठा करेंगे। G1-G2 तूफान से क्या सीख मिलेगी? क्या यह सूरज के अगले बड़े विस्फोट का संकेत है? अभी तो पर्दा धीरे-धीरे उठ रहा है, लेकिन 14 सितंबर के बाद ही पूरी कहानी खुलेगी।