सुप्रीम कोर्ट में पहली बार SC-ST आरक्षण नीति लागू, जानें क्या है ऐतिहासिक फैसला

Authored By: News Corridors Desk | 01 Jul 2025, 05:15 PM
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भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 23 जून 2025 से एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए सीधी भर्ती और प्रमोशन में आरक्षण नीति लागू कर दी है। यह पहला मौका है जब सुप्रीम कोर्ट में कर्मचारियों के लिए आरक्षण की औपचारिक व्यवस्था को मान्यता दी गई है।

किन पदों पर लागू होगी नई नीति?

यह आरक्षण नीति जजों पर लागू नहीं होगी, बल्कि सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत विभिन्न प्रशासनिक और सहायक कर्मचारियों पर लागू की गई है। इसमें शामिल हैं:

वरिष्ठ निजी सहायक

सहायक लाइब्रेरियन

जूनियर कोर्ट असिस्टेंट

जूनियर कोर्ट असिस्टेंट कम जूनियर प्रोग्रामर

जूनियर कोर्ट अटेंडेंट

चैंबर अटेंडेंट

इन सभी पदों पर अब SC वर्ग को 15% और ST वर्ग को 7.5% आरक्षण मिलेगा।

सीजेआई गवई ने दिया सामाजिक न्याय का संदेश

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गवई ने इस फैसले को "संस्थानिक समानता और समावेशन" की दिशा में एक आवश्यक कदम बताया। उन्होंने कहा,

"जब सरकार और उच्च न्यायालयों में पहले से आरक्षण की नीति लागू है, तो सुप्रीम कोर्ट इससे अलग क्यों रहे? हमारी संस्थागत नीतियां हमारे संवैधानिक मूल्यों की पहचान होनी चाहिए।"

यह बयान केवल एक प्रशासकीय निर्देश नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट की विचारधारा में आए परिवर्तन का प्रतीक है।

24 जून को जारी किया गया सर्कुलर

24 जून 2025 को सुप्रीम कोर्ट प्रशासन की ओर से एक आधिकारिक सर्कुलर जारी किया गया जिसमें इस नई नीति की जानकारी दी गई। इसमें बताया गया कि 23 जून से नई आरक्षण व्यवस्था प्रभावी हो गई है। आरक्षण से संबंधित मॉडल रोस्टर और रजिस्टर को सुप्रीम कोर्ट के इंटरनल नेटवर्क 'Supnet' पर अपलोड किया गया है।

किसी गलती या विसंगति की स्थिति में संबंधित रजिस्ट्रार को सूचना देने के निर्देश दिए गए हैं।

यह फैसला उन लाखों लोगों के लिए एक प्रेरणास्रोत है जो न्यायपालिका में समान अवसर की मांग करते आ रहे हैं। यह कदम न सिर्फ सामाजिक न्याय को मजबूत करता है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि संविधान के आदर्श सर्वोच्च न्यायालय के भीतर भी समान रूप से लागू होने चाहिए।