बिहार में वोटर लिस्ट सत्यापन पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई आज: देशभर की नजरें फैसले पर टिकीं

Authored By: News Corridors Desk | 10 Jul 2025, 11:50 AM
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बिहार में वोटर लिस्ट सत्यापन (वेरिफिकेशन) को लेकर राजनीतिक माहौल गरमा गया है। चुनाव आयोग ने वर्षों बाद राज्य में घर-घर जाकर वोटर लिस्ट का व्यापक सत्यापन शुरू किया है, जिसका उद्देश्य सिर्फ योग्य भारतीय नागरिकों को ही वोटिंग अधिकार देना है। लेकिन इस पर देश की शीर्ष अदालत में आज सुनवाई होनी है, जिसमें कई विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया पर गंभीर आपत्ति जताई है।

सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी। विपक्षी दलों की ओर से यह याचिका दायर की गई है कि इस प्रक्रिया को तत्काल रोका जाए, क्योंकि इससे गरीब, महिलाएं और हाशिए पर खड़े समुदायों को नुकसान हो सकता है।

इंडिया गठबंधन के अंतर्गत आने वाले 9 प्रमुख विपक्षी दलों ने संयुक्त रूप से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है:

कांग्रेस

राष्ट्रीय जनता दल (RJD)

तृणमूल कांग्रेस (TMC)

समाजवादी पार्टी

शिवसेना (UBT)

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI)

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM)

झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM)

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP – शरद पवार गुट)

इसके अलावा दो सामाजिक कार्यकर्ता – अरशद अजमल और रूपेश कुमार – ने भी सत्यापन प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं।

अश्विनी उपाध्याय की याचिका: केवल भारतीयों को मिले वोट का अधिकार

दूसरी ओर, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने इस प्रक्रिया का समर्थन करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक अलग याचिका दाखिल की है। उनका कहना है कि यह सत्यापन इसलिए जरूरी है ताकि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे देशों से अवैध रूप से आए घुसपैठियों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा सकें। उनका दावा है कि अवैध घुसपैठ की वजह से देश के कई जिलों में जनसंख्या संतुलन बिगड़ रहा है।

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट किया है कि वोटर लिस्ट में केवल वही नाम रहेंगे जो इसके योग्य हैं। उनका कहना है कि 2003 के बाद पहली बार इतने व्यापक स्तर पर सत्यापन हो रहा है, और इसका उद्देश्य पारदर्शिता बनाए रखना है।

चुनाव आयोग की योजना है कि बिहार के बाद असम, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में भी यही प्रक्रिया लागू की जाएगी। उसके बाद यह देश के अन्य राज्यों में चरणबद्ध रूप से 2029 तक जारी रहेगी।

बिहार में विपक्षी दलों ने वोटर सत्यापन प्रक्रिया के खिलाफ प्रदर्शन तेज कर दिए हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने इसे गरीबों के अधिकार छीनने की साजिश बताया है।

तेजस्वी यादव ने कहा, "अगर आपका नाम लिस्ट में नहीं है, तो ये कहेंगे आप इस देश के नागरिक नहीं।" राहुल गांधी ने भी चेतावनी दी कि गरीब और वंचित वर्ग इस प्रक्रिया से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।

बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने विपक्ष पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब सत्यापन से यह सुनिश्चित होगा कि सिर्फ भारतीय नागरिक ही वोट डालें, तो विपक्ष इसका विरोध क्यों कर रहा है? उन्होंने कहा कि पारदर्शी चुनाव के लिए यह जरूरी कदम है।

वोट डालने का अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को ही है, यह संविधान और चुनावी कानूनों में स्पष्ट रूप से दर्ज है। लेकिन विपक्षी दलों का तर्क है कि वर्तमान सत्यापन प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है, और इसका इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए किया जा सकता है।