श्रीलंका में एक बड़ा बदलाव आया है. यहां की संसद ने पूर्व राष्ट्रपतियों को मिलने वाली शाही सुविधाओं पर पूरी तरह से ब्रेक लगा दिया है. 80 साल के होने वाले पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को अपना आलीशान सरकारी बंगला खाली करना पड़ा. न बंगला, न कार, न सुरक्षा - सब कुछ छीन लिया गया. आइए, इस नए कानून की पूरी कहानी समझते हैं.
श्रीलंका की वर्तमान सरकार ने 10 सितंबर 2025 को 'प्रेसिडेंट्स एंटाइटलमेंट (रीपीयल) एक्ट नंबर 18 ऑफ 2025' नामक कानून पारित किया. यह कानून 1986 के पुराने कानून को पूरी तरह रद्द कर देता है, जो पूर्व राष्ट्रपतियों और उनकी विधवाओं को मिलने वाली विशेष सुविधाओं का प्रावधान करता था. संसद में 151-1 के भारी बहुमत से यह बिल पास हुआ. सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे वैध ठहराया, भले ही राजपक्षे परिवार से जुड़ी श्रीलंका पीपुल्स फ्रंट (SLPP) ने इसका विरोध किया. तो चलिए आपको बताते हैं क्या थीं पुरानी सुविधाएं और नए कानुन में अंतर.
पुरानी सुविधाएं vs नया कानून
पुरानी सुविधाएं नया कानून
सरकारी बंगला (कोलंबो में आलीशान आवास) समाप्त
मासिक भत्ता और पेंशन (विधवाओं के लिए भी) समाप्त
वाहन और परिवहन सुविधा समाप्त
कार्यालय, स्टाफ और सुरक्षा (कमांडो के साथ) समाप्त
यह कदम राष्ट्रीय पीपुल्स पावर (NPP) सरकार का चुनावी वादा था. 2022 के आर्थिक संकट के दौरान जनता का गुस्सा राजपक्षे परिवार पर फूटा था. तब महिंदा राजपक्षे के कोलंबो स्थित बंगले पर हमला हुआ था, और उनकी निजी संपत्ति पर भी भीड़ ने धावा बोला. जनता को लगता था कि पूर्व नेता लग्जरी जीवन जी रहे हैं, जबकि देश संकट में डूबा है. इस कानून से सरकार ने करदाताओं का पैसा बचाने का दावा किया है. वर्तमान में पांच जीवित पूर्व राष्ट्रपतियों में से तीन ही इन सुविधाओं का फायदा उठा रहे थे, लेकिन अब सभी प्रभावित होंगे. इस कानून का सबसे बड़ा असर पड़ा पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे पर. 18 नवंबर 1945 को जन्मे राजपक्षे, जो 79 वर्ष के हैं और दो महीने में 80 के हो जाएंगे, 2015 से कोलंबो के सिनेमन गार्डन्स इलाके में सरकारी बंगले में रह रहे थे. 11 सितंबर 2025 को उन्होंने इसे खाली कर दिया और 190 किलोमीटर दूर हम्बनटोटा जिले के तंगल्ले स्थित अपनी निजी संपत्ति 'कार्लटन हाउस' में शिफ्ट हो गए. तंगल्ले पहुंचने पर सैकड़ों समर्थक और भिक्षुओं ने उनका स्वागत किया, लेकिन अब बिना सरकारी सुरक्षा के उनका जीवन बदल गया है.
राजपक्षे ने 2005 से 2015 तक राष्ट्रपति रह चुके हैं. वे 1970 से राजनीति में सक्रिय हैं और तंगल्ले से ही अपना करियर शुरू किया था. 2022 में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद भी वे सुविधाओं का लाभ ले रहे थे, लेकिन सरकार की बार-बार चेतावनी के बावजूद बंगला नहीं छोड़ा.अब यह कानून लागू होने से पूर्व राष्ट्रपतियों को अपनी निजी व्यवस्था करनी पड़ेगी.