सऊदी अरब के उप विदेश मंत्री आदिल अल-जुबैर ने हाल ही में भारत और पाकिस्तान का दौरा कर दोनों परमाणु संपन्न देशों से क्षेत्रीय तनाव कम करने की अपील की। उनका यह दौरा भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनज़र बेहद अहम माना जा रहा है।
आदिल अल-जुबैर गुरुवार, 8 मई को भारत पहुंचे थे, जहां उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से बातचीत की। उन्होंने कहा कि सैन्य टकराव किसी भी समस्या का समाधान नहीं है और दोनों देशों को कूटनीतिक तरीकों से समाधान तलाशने की दिशा में कदम बढ़ाने चाहिए।
पाकिस्तान दौरे में भी शांति का संदेश
भारत दौरे के अगले दिन, शुक्रवार, 9 मई को आदिल अल-जुबैर पाकिस्तान पहुंचे, जहां उन्होंने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात की। उन्होंने पाकिस्तान से भी अपील की कि वह क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए जिम्मेदार रुख अपनाए।
सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच पारंपरिक रूप से गहरे रणनीतिक और कूटनीतिक संबंध हैं, ऐसे में सऊदी मध्यस्थता को क्षेत्र में संतुलन साधने के एक प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
भारत की जवाबी कार्रवाई: ऑपरेशन सिंदूर
सऊदी शांति प्रयासों से ठीक पहले, भारत ने 6-7 मई की रात "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान-शासित कश्मीर (PoK) में 9 आतंकी ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई की। यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले के जवाब में की गई, जिसमें कई निर्दोष नागरिक मारे गए थे।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि की गई है। यह भारत की ओर से एक निर्णायक सैन्य कदम था, जिसे विशेषज्ञ "सर्जिकल स्ट्राइक 2.0" जैसा मान रहे हैं।
सीजफायर उल्लंघन और बढ़ता तनाव
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा (LoC) पर भारी गोलाबारी की, जिसमें कई आम नागरिकों की जान गई। इसके बाद से दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव चरम पर है और सीमावर्ती इलाकों में डर और अनिश्चितता का माहौल है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका, ने दोनों देशों से संयम बरतने और वार्ता की मेज पर लौटने की अपील की है।
सऊदी अरब की वैश्विक भूमिका
यह पहली बार नहीं है जब सऊदी अरब ने वैश्विक संघर्षों में मध्यस्थता की भूमिका निभाई हो। हाल ही में सऊदी अरब ने रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति वार्ता और युद्धबंदियों की अदला-बदली में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
अब भारत-पाकिस्तान के बीच सऊदी मध्यस्थता को लेकर उम्मीदें जागी हैं कि यह क्षेत्रीय संघर्ष को टालने और शांति बनाए रखने में सहायक हो सकती है।