आतंकवादियों से ज्यादा 'खतरनाक' है, रॉबर्ट वाड्रा का बयान

Authored By: News Corridors Desk | 23 Apr 2025, 06:16 PM
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कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति और गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर एक बयान दिया है, जो अब विवादों में घिर गया है। अपने बयान में वाड्रा ने न केवल हमले की निंदा की, बल्कि इसे भारत में अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों की स्थिति से भी जोड़ा।

न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बातचीत में रॉबर्ट वाड्रा ने सबसे पहले पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए 28 लोगों के प्रति संवेदना जताई। उन्होंने कहा, "मैं इस भयावह घटना में जान गंवाने वाले सभी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।"

वाड्रा ने आतंकवादी गतिविधियों को एक "कमजोर तरीका" बताया और कहा कि ऐसे हमलों से किसी की बात नहीं उठती बल्कि निर्दोष लोग मारे जाते हैं। उन्होंने सभी सरकारों से एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने की अपील की। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह उनकी व्यक्तिगत राय है, न कि कांग्रेस पार्टी या गांधी परिवार की सोच।

रॉबर्ट वाड्रा ने देश में बढ़ती सांप्रदायिकता को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा, "हम देखते हैं कि सरकार हिंदुत्व की बात करती है, जिससे अल्पसंख्यक समुदाय, खासकर मुसलमान, असहज महसूस करते हैं। मस्जिदों पर टिप्पणी करना या प्रार्थना करने के तरीकों पर सवाल उठाना देश में अराजकता और सांप्रदायिक तनाव बढ़ाता है।"

वाड्रा ने दावा किया कि आतंकी हमले में हमलावरों ने लोगों की पहचान पत्र (ID) जांची। उन्होंने कहा, "यह दर्शाता है कि हमारे देश में अब एक विभाजन पैदा हो गया है – हिंदू, मुस्लिम और ईसाइयों के बीच।" उन्होंने कहा कि यह एक संदेश है कि अल्पसंख्यक समुदाय, खासकर मुसलमान, खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

वाड्रा ने यह भी आरोप लगाया कि दो सप्ताह पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें इसलिए बुलाया क्योंकि उन्होंने मुसलमानों के समर्थन में बयान दिया था। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया।

अपने बयान के अंत में वाड्रा ने कहा, "हमें देश में धर्म के आधार पर विभाजन नहीं चाहिए। बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदायों को एक साथ आकर एकता की मिसाल पेश करनी चाहिए।" उन्होंने कोविड के समय हिंदू-मुस्लिम एकता का उदाहरण देकर बताया कि आम लोग एक-दूसरे की मदद करते हैं, न कि राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाते हैं।