रॉबर्ट वाड्रा : साधारण बिजनेसमैन से देश के सबसे चर्चित और विवादास्पद लोगों में शुमार होने की कहानी

Authored By: News Corridors Desk | 20 Apr 2025, 08:45 PM
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रॉबर्ट वाड्रा एक बार फिर मीडिया और राजनीतिक हलकों में चर्चा का केंद्र बने हुए हैं । एक जमीन सौदे से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने जब उन्हे पूछताछ के लिए बुलाया तो यह तमाम अखबारों और टीवी न्यूज चैनलों से लेकर सोशल मीडिया तक में हेडलाइन्स बनी । 

हालांकि यह कोई पहला मौका नहीं है जब रॉबर्ट वाड्रा सुर्खियों में हैं । 1997 के बाद से वह अक्सर किसी न किसी कारण से मीडिया में छाए ही रहे हैं । दरअसल  हिंदुस्तान के जनमानस में रॉबर्ट वाड्रा की एंट्री किसी जादुई प्रेम कहानी के बेहद भाग्यशाली नायक की तरह हुई थी । 

मुरादाबाद के सामान्य परिवार से निकला यह युवा जब 1997 में गांधी परिवार का दामाद बना तब पूरा हिंदुस्तान पहली बार रॉबर्ट वाड्रा के नाम से परिचित हुआ । पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की बेटी प्रियंका गांधी ने जब ऐलान किया कि उन्होने रॉबर्ट को अपना जीवन साथी चुना है , तब देश के करोड़ों युवाओं को उनकी किस्मत से रश्क हो आया था । 

अपने प्ररंभिक दिनों में रॉबर्ट वाड्रा चर्चा में तो खूब रहे लेकिन विवादों से दूर-दूर ही दिखे । परन्तु बदलते वक्त के साथ कहानी में भी ट्विस्ट आना शुरू हो गया । उनके नाम के साथ विवादों की श्रृंखला जुड़ती चली गई । रॉबर्ट वाड्रा पर कई गंभीर आरोप लगे जिनमें से कई की जांच अब भी जारी है । गुड़गांव के शिकोहपुर जमीन सौदे में कथित मनी लॉन्ड्रिंग का मामला भी उनमें से एक है । 

क्या है शिकोहपुर जमीन सौदा मामला ? 

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने 16 अप्रैल से 18 अप्रैल तक गुरुग्राम लैंड स्कैम मामले में रॉबर्ट वाड्रा से पूछताछ की । तीनों दिन मिलाकर करीब 16 घंटों तक उनसे सवाल-जवाब किया गया । एक जमीन सौदे में कथित धन शोधन के आरोपों के सिलसिले में उनसे पूछताछ की गई । 

रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने फरवरी 2008 में गुरुग्राम के शिकोहपुर में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से 3.5 एकड़ जमीन 7.5 करोड़ रुपये में खरीदी थी । आरोप है कि इस सौदे में दाखिल-खारिज की प्रक्रिया असामान्य रूप से तेजी से पूरी हुई । बाद में, जमीन का उपयोग बदलकर इसे कॉमर्शियल लैंड में परिवर्तित किया गया और 2012 में डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेच दिया गया । 

इस सौदे में वाड्रा की कंपनी को करीब 50 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ । आरोप है कि इस सौदे के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग की गई । जिस वक्त यह सौदा हुआ उस वक्त केंद्र में कांग3ेस की अगुवाई वाली यूपीए और हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी । रॉबर्ट वाड्रा ने इन आरोपों को "राजनीति से प्रेरित" बताकर खारिज कर चुके हैं । उनका कहना है कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से उन्हे क्लीन चिट मिल चुकी थी । 

रियल एस्टेट के क्षेत्र में कदम रखने के साथ शुरू हुआ विवाद

रॉबर्ट वाड्रा ने 2007 में रियल एस्टेट के क्षेत्र में कदम रखा और स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की । इस कंपनी की शुरुआती पूंजी मात्र 1 लाख रुपये थी, लेकिन 2008 में इसने गुड़गांव के शिकोहपुर में 3.5 एकड़ जमीन 7.5 करोड़ रुपये में खरीदी । यह सौदा विवादों का केंद्र बन गया और अबतक रॉबर्ट का पीछा कर रहा है । 

2011 में रॉबर्ट की कंपनी ने राजस्थान के बीकानेर में सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए बंजर जमीनें खरीदीं, जिनसे भारी मुनाफा हुआ । वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि इन सौदों में रॉबर्ट ने अपनी पत्नी के राजनीतिक प्रभाव का उपयोग किया ।  उस वक्त केंद्र में यूपीए और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी । 

आरोप है कि बीकानेर के सौर उर्जा प्रोजेक्ट के की जानकारी रॉबर्ट वाड्रा को समय से पहले लीक कर दी गई । इसका फायदा उठाकर उनकी कंपनी वहां कौड़ियों के मोल जमीन खरीदी और बाद में सोने के भाव में बेच दिए । 

2012 में इंडिया अगेंस्ट करप्शन के नेता अरविंद केजरीवाल ने रॉबर्ट और डीएलएफ के बीच संदिग्ध सौदों का आरोप लगाया, जिसने उनकी छवि को और प्रभावित किया । 2018 में ईडी ने इन सौदों की जांच शुरू की, और अबतक रॉबर्ट वाड्रा को कई बार पूछताछ के लिए बुलाया गया । 

राजनीति में आने की  अटकलें

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रॉबर्ट वाड्रा भले ही देश के सबसे प्रसिद्ध राजनैतिक परिवार से आते हैं, परन्तु अबतक औपचारिक रूप से राजनीति में प्रवेश नहीं किया है । हालांकि इसकी अटकलें काफी समय से लगाई जा रही हैं । इन दिनों इसकी चर्चा इसलिए भी तेज हो गई है क्योंकि रॉबर्ट वाड्रा ने कई बार चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है ।  

2024 के हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा नेताओं ने जब उनके खिलाफ बयानबाजी की, तो उसके जवाब में रॉबर्ट ने कहा कि वह जनता की मांग पर राजनीति में आ सकते हैं । 2025 में ईडी पूछताछ के बीच, उन्होंने फिर से संकेत दिया कि भविष्य में वह राजनीति में कदम रख सकते हैं, लेकिन इसका समय जनता तय करेगी ।

मुरादाबाद से शुरू हुआ जिंदगी का सफर

रॉबर्ट राजेंद्र वाड्रा का जन्म 18 अप्रैल 1969 को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में हुआ । उनके पिता, राजेंद्र वाड्रा एक पीतल व्यवसायी थे, जो हीरे के व्यापार और लकड़ी के हस्तशिल्प में भी सक्रिय रहे । उनकी माँ, मॉरीन वाड्रा (नी मैकडॉनघ) स्कॉटिश मूल की हैं । 

उनका परिवार मूल रूप से पाकिस्तान के सियालकोट से था, जो भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान मुरादाबाद आ बसा । रॉबर्ट ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के प्रतिष्ठित ब्रिटिश स्कूल में प्राप्त की, लेकिन कॉलेज की पढ़ाई पूरी नहीं की। इसके बजाय, उन्होंने कम उम्र में ही पीतल के बर्तनों और हस्तशिल्प के पारिवारिक व्यवसाय से जुड़ गए । 

प्रियंका गांधी से मुलाकात के बाद जीवन में आया बड़ा मोड़

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1997 में रॉबर्ट वाड्रा की जिंदगी में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया जब उनकी मुलाकात प्रियंका गांधी से हुई । प्रियंका, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और सोनिया गांधी की बेटी हैं ।  एक कॉमन फ्रेंड के माध्यम से हुई यह मुलाकात जल्द ही प्यार में बदल गई, और फरवरी 1997 में दोनों ने सादगीपूर्ण समारोह में शादी कर ली । इस शादी ने रॉबर्ट वाड्रा को एकदम से राष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया । 

हालांकि शादी के बाद शुरू में ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वो एक निजी जीवन जीने की कोशिश कर रहे थे की, लेकिन गांधी परिवार से जुड़ाव ने उन्हें मीडिया और राजनीतिक चर्चाओं का हिस्सा बना दिया ।  उनपर गांधी परिवार के राजनैतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर काफी पैसा कमाने के भी आरोप लगे हैं । ऐसे ही कई मामलों की जांच चल रही है ।