दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर को तीनों सेनाओं की एकजुटता, समन्वय और एकीकरण का अद्वितीय एवं प्रेरणादायक उदाहरण बताते हुए कहा कि आज भी पाकिस्तान हमारे सशस्त्र बलों द्वारा दी गई करारी हार से उबर नहीं पाया है।
रक्षा मंत्री ने लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला (सेवानिवृत्त) द्वारा पुस्तक ‘सिविल-मिलिट्री फ्यूजन एज अ मेट्रिक ऑफ नेशनल पावर एंड कॉम्प्रिहेंसिव सिक्योरिटी’ के विमोचन के मौके पर कहा कि सरकार भविष्य की चुनौतियों के अनुरूप सक्षम सशस्त्र बलों का तैयार कर राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक स्वायत्तता को सुदृढ़ बना रही है।राजनाथ सिंह ने आज के वैश्विक परिदृश्य में असैन्य-सैन्य समन्वय और एकीकरण को सशक्त करने का आह्वान किया।
रक्षा मंत्री ने बुधवार को नई दिल्ली में हुए समारोह के दौरान कहा कि ऑपरेशन सिंदूर तीनों सेनाओं के बीच असाधारण एकजुटता और एकीकरण का साक्षी रहा है। उन्होंने कहा कि इसने बदलती वैश्विक व्यवस्था और युद्ध के परिवर्तित होते स्वरूप से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने हेतु समन्वित, लचीली व दूरदर्शी रक्षा रणनीति तैयार करने के प्रति सरकार के दृढ़ संकल्प की पुष्टि की है।
रक्षा मंत्री ने इस बात पर बल दिया है कि वर्तमान समय में पारंपरिक रक्षा दृष्टिकोण पर्याप्त नहीं रह गया है
क्योंकि युद्ध अब केवल सीमाओं तक सीमित नहीं हैं; बल्कि अब वे एक मिश्रित और विषम स्वरूप ले चुके हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने और देश की सामरिक स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए भविष्य के अनुरूप सशस्त्र बलों के निर्माण हेतु अनेक साहसिक एवं निर्णायक सुधार लागू किए हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के पद का सृजन तीनों सेनाओं के बीच समन्वय और तालमेल को सशक्त करने की दिशा में एक ऐतिहासिक व दूरगामी कदम था। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने इस संयुक्तता और एकीकरण के अद्भुत परिणामों को दुनिया के सामने प्रदर्शित किया था। आज भी पाकिस्तान हमारे सशस्त्र बलों द्वारा दी गई करारी हार से उबर नहीं पाया है।