रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को लोकसभा में भारतीय रेल की दिशा और दशा को लेकर विपक्ष के तमाम आरोपों को ध्वस्त कर दिया । रेलवे के लिए अनुदान की मांग पर चर्चा का जवाब देते हुए उन्होने विपक्ष के हर सवाल का जवाब आंकड़ों से देकर उन्हे चुप करा दिया । आंकड़ों का डोज ऐसा था कि लालू यादव और ममता बनर्जी से लेकर मल्लिकार्जुन खरगे तक लपेटे में आ गए ।
रेल मंत्री के आंकड़ों से निरुत्तर हुआ विपक्ष
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारतीय रेल से जुड़े विपक्ष के तमाम सवालों का न सिर्फ सटीक जवाब दिया बल्कि उन्हे लपेटे में भी लिया । रेलवे के बजट आवंटन में गैर बीजेपी शासित राज्यों के साथ भेदभाव किए जाने के विपक्ष के आरोपों पर उन्होने आंकड़ा पेश कर दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया । उन्होने सभी राज्यों को दिए जाने वाले बजट की डिटेल साझा करते हुए स्पष्ट किया कि इसमें पिछली सरकारों के मुकाबले मोदी सरकार के दौरान काफी बढ़ोतरी की गई है और किसी राज्य के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाता है ।
रेल सुरक्षा में सुधार से हादसों में भारी कमी
रेल मंत्री ने रेल हादसों में बढ़ोतरी और सुरक्षा में कोताही बरते जाने के विपक्ष के आरोपों को भी सिरे से खारिज कर दिया । इसके जवाब में उन्होने जो आंकड़े पेश किए उससे पूर्ववर्ती विपक्षी सरकारें ही सवालों घेरे में आ गई ।
रेल मंत्री ने बताया कि 2005-06 में जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे, तो हर साल रेलगाड़ियों के पटरी से उतरने समेत करीब 700 रेल हादसे होते थे । इसका मतलब था कि औसतन हर दिन दो रेल हादसे होते थे । इसके बाद ममता बनर्जी के कार्यकाल में 165 रेल हादसे और 230 रेलगाड़ियों के पटरी से उतरने की घटनाएं दर्ज की गईं । यानी हर दिन औसतन एक हादसा होता था । मल्लिकार्जुन खरगे के कार्यकाल में यह आंकड़ा 118 रेल हादसों और 263 पटरी से उतरने की घटनाओं का था, यानी हर दिन एक हादसा हुआ ।
इस डाटा को साझा करने के बाद रेल मंत्री ने विपक्षी सदस्यों से पूछा कि वो बताएं कि किस सरकार के कार्यकाल में रेल हादसों की संख्या कम हुई और किन राज्यों के साथ भेदभाव किया जा रहा है ।
इसी तरह रेल की सुरक्षा को लेकर अश्विनी वैष्णव ने बताया कि पहले की तुलना में अब स्थिति में काफी सुधार हुआ है । 2005-06 के मुकाबले अब रेल हादसों की संख्या 90 प्रतिशत घटकर 73 रह गई है । उन्होने कहा कि पीएम मोदी का मिशन हादसे की दर ज़ीरो लाने की है और सौ फ़ीसदी सुरक्षित सफ़र की गारंटी का लक्ष्य रखा गया है ।
रेल सुरक्षा के लिए निवेश में भारी वृद्धि
रेल मंत्री ने लोकसभा में बताया कि सरकार ने रेल की सुरक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं जिसकी वजह से दुर्घटनाओं में इतनी बड़ी कमी आई है। रेलवे सुरक्षा के लिए निवेश में भारी वृद्धि की है। अब यह निवेश 1,16,000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है, जो पहले की तुलना में काफी अधिक है। इसके कारण 2014-15 से अब तक दुर्घटनाओं में 80 प्रतिशत तक की कमी आई है, और इसे और कम करने की दिशा में काम चल रहा है ।
बिना किराया बढ़ाये सुविधाओं और नेटवर्क का विस्तार
अश्विनी वैष्णव ने रेलवे की आय और व्यय का ब्यौरा पेश करते हुए बताया कि यात्रियों को सालाना 60 हजार करोड़ की सब्सिडी दी जाती है । एक किलोमीटर यात्रा पर रेलवे का खर्च 1 रुपये 38 पैसे होता है जबकि रेलवे यात्रियों से प्रति किलोमीटर 73 पैसे लेती है । रेलवे यात्रियों से सिर्फ 53 फीसदी रेवेन्यू ही लेता है । उन्होने कहा कि साल 2020 से रेलवे ने किराये में बढ़ोतरी नहीं की है जबकि नेटवर्क और सुविधाओं में विस्तार तेजी से किया जा रहा है । भारत में 300 रेलवे स्टेशन डिजिटल कंट्रोल रूम से लैस हो चुके हैं और रेलवे में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भी इस्तेमाल किया जा रहा है ।
मेट्रो रेल और नमो रेल नेटवर्क का विस्तार बड़ी उपलब्धि
सिर्फ भारतीय रेल का तेजी से विस्तार ही नहीं हो रहा है बल्कि दूसरे रेल नेटवर्क भी तेजी से बढ़ रहे हैं । भारत में मेट्रो रेल तो दुनिया में तीसरे नम्बर का नेटवर्क बन चुका है ।
साल 2014 में भारत में मेट्रो रेल नेटवर्क सिर्फ 248 किलोमीटर था, जबकि 2025 में भारत में मेट्रो रेल नेटवर्क बढ़कर 1 हजार किलोमीटर हो गया है ।
जहां तक यात्रा और यात्रियों की संख्या का सवाल है तो , 2014 में दिल्ली मेट्रो में सबसे ज्यादा 26 लाख 84 हजार लोगों ने एक दिन में यात्रा की थी, जबकि 2024 में दिल्ली मेट्रो में एक दिन में सबसे ज्यादा 78 लाख 67 हजार लोगों ने यात्रा की । भारतीय रेलवे प्रीमियम ट्रेनों का विस्तार तो कर ही रहा है, साथ ही निम्न और मध्यम वर्ग के यात्रियों की सुविधाओं में भी इजाफा कर रहा है ।
माल ढ़ुलाई और लोकोमोटिव प्रोडक्शन में बढ़ते कदम
रेल मंत्री के मुताबिक़ माल ढुलाई में भी भारतीय रेलवे नित नए आयाम स्थापित कर रहा है । अब यह दुनिया के टॉप 3 देशों में शामिल हो रहा है और इस साल माल ढुलाई में नया रिकॉर्ड बनेगा । इसके साथ ही लोकोमोटिव प्रोडक्शन में भी भारतीय रेलवे दुनिया में नए आयाम स्थापित कर चुका है ।
भारत में रेलवे मशीनरी को लेकर आयात पर निर्भरता काफ़ी थी । छोटी छोटी जरूरतों के लिए भी विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता था । परन्तु बीते करीब 11 साल में भारत निर्यातक देश बनकर उभरा है । भारत अब दुनिया के कई देशों को मेट्रो ट्रेन एक्सपोर्ट कर रहा है ।
ऑस्ट्रेलिया को मेट्रो कोच निर्यात किए जा रहे हैं । ब्रिटेन, फ्रांस और सऊदी अरब को बोगियां निर्यात की जा रही हैं । फ्रांस, रोमानिया, स्पेन, जर्मनी और इटली को प्रोपल्शन कोच दिए जा रहे हैं । वहीं बांग्लादेश, श्रीलंका, सेनेगल और म्यांमार को लोकोमोटिव निर्यात किए जा रहे हैं
नेट जीरो कार्बन एमिशन पर फोकस
भारतीय रेल नेटवर्क में विद्युतीकरण भी तेजी से हुआ है । भारतीय रेल 2030 तक नेट जीरो कार्बन एमिशन पर फोकस कर काम कर रहा है । 1 जनवरी 2025 तक भारत में 64 हजार 547 किलोमीटर ब्रॉड गेज रेल नेटवर्क का विद्युतीकरण हो चुका है । ये भारत के कुल ब्रॉड गेज नेटवर्क का 97.06 फीसदी है । भारत में 66 हजार 504 किलोमीटर ब्रॉड गेज नेटवर्क है ।
देश के लाखों युवाओं को रोजगार
भारतीय रेल ने लाखों युवाओं को रोजगार भी दिया है । अब तक 5 लाख युवाओं को रोजगार दिया गया है जबकि 1 लाख नौकरियों के लिए प्रक्रिया चल रही है ।
रेल मंत्री ने रेलवे के विकास और सुधार की दिशा में किए गए ठोस कदमों का विवरण देते हुए भविष्य की योजनाओं की रुपरेखा भी प्रस्तुत की । इसके साथ ही उन्होने यह भी बताया कि किस तरह रेलवे देश की विकास यात्रा में अपना योगदान दे रहा है ।