पद एक है.. और दाव पर है 2027 के विधानसभा चुनाव की प्रतिष्ठा... भारतीय जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश में एक साथ लेकर कैसे चला जाए... कौन ये काम कर सकता है? क्षमता कैसी होनी चाहिए और कद कितना बड़ा… जो योगी को साथ भी रख सके और जब ज़रूरत पड़े तो उन्हें टोकने की हिम्मत भी दिखा सके… इन सवालों के जवाब तलाशे जा रहे हैं.. उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए नया प्रदेश अध्यक्ष तलाशने का ये पूरा पेंच अगले तीन मिनट में हम आपको समझाते हैं… आपको बता दें कि ये मुश्किल टास्क क्यों बन गया है… क्योंकि एक ही व्यक्ति में तमाम गुण तलाशे जा रहे हैं…
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष कैसा हो?
जो लक्ष्मीकांत वाजपेयी जैसे आक्रामक तेवर रखता हो, जो केशव प्रसाद मौर्य जैसी नेतृत्व क्षमता रखता हो, जो महेंद्र नाथ पांडेय जैसा मृदुभाषी हो और जो योगी आदित्यनाथ के साथ तालमेल बैठा सके और जो केंद्र में बैठे दिग्गजों की सलाह भी साध सके।
सवाल कई हैं... प्रदेश अध्यक्ष पद का चुनाव होना है... 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के लचर प्रदर्शन के बाद यूपी के प्रदेश अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी और बढ़ने वाली है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष का चयन इसलिए भी अटका है क्योंकि अब तक यूपी में बीजेपी अपने जिलाध्यक्षों की लिस्ट ही फाइनल नहीं कर पाई है।
न्यूज़ कॉरीडोर्स के पास एक्सक्लूसिव जानकारी जो मिली है, उसके मुताबिक़…
यूपी में करीब 73 जिलाध्यक्षों महानगर अध्यक्ष का नाम फ़ाइनल है। 16 तारीख़ के बाद कभी भी इन जिलाध्यक्षों का एलान हो सकता है। अभी चार ज़िले हैं जहां किसी न किसी वजह से पेंच अटका है। वाराणसी के जिलाध्यक्ष का चयन नहीं हो सका है। कहा जा रहा है कि पीएम के ग्रीन सिग्नल का इंतजार है। मिर्जापुर का जिलाध्यक्ष भी नहीं चुना जा सका है। यहाँ अनुप्रिया पटेल अपने पसंद के नेता को पद दिलवाना चाहती हैं। लखनऊ में भी जिलाध्यक्ष का ऐलान आसान नहीं है
सूत्रों के मुताबिक़ सांसद राजनाथ सिंह ने कुछ शर्त लगा रखी है। गाजियाबाद में भी जिलाध्यक्ष पद पर पेंच फंसा हुआ है। दिल्ली के क़रीब होने की वजह से ये जिला बेहद अहम है
संभव है कि पार्टी अगले कुछ दिन में जिलाध्यक्षों का ऐलान कर दे, जिसके बाद प्रदेश अध्यक्ष चुना जाएगा। प्रदेश अध्यक्ष पद की रेस में कुछ पुराने नाम भी चल रहे हैं और माना जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव इसलिए अटका है क्योंकि केंद्रीय नेतृत्व ऐसा चेहरा चाहती है जो सीधे दिल्ली से कमांड ले, जबकि योगी ऐसे नेता पर अड़े हैं जो उनके साथ तालमेल बैठाकर काम कर सके। यूपी बीजेपी के अध्यक्ष पद की दौड़ में कई नाम हैं।
असम के प्रभारी हरीश द्विवेदी को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा है। इसके अलावा बीएल वर्मा के नाम पर मंथन की भी खबरें हैं। श्रीकांत शर्मा और अमरपाल शर्मा के नाम भी चर्चा में हैं। पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा को भी प्रदेश अध्यक्ष पद दिए जाने की अटकलें हैं।
पद बड़ा है... जिम्मेदारी भी बड़ी है... प्रदेश अध्यक्ष जो भी होगा उसके कंधे पर देश के सबसे बड़े और सबसे ज़्यादा सांसदों वाले सूबे में बीजेपी को लगातार तीसरी बार जीत दिलानी होगी। इसलिए प्रदेश अध्यक्ष पद से संगठन के साथ ही जातियों को साधने वाले समीकरण पर भी फोकस किया जा रहा है। चर्चा है भूपेंद्र चौधरी को ही दूसरी बार जिम्मेदारी दी जा सकती है या फिर धर्मपाल सिंह को प्रदेश अध्यक्ष पद दिया जा सकता है।
उत्तर प्रदेश के ओबीसी वोटर्स में यादवों के बाद कुर्मी और लोध वोटर्स की संख्या ही सबसे बड़ी है...यूपी में कुल ओबीसी में से 19 फीसदी यादव हैं। ओबीसी में कुर्मी वोटर्स की संख्या करीब 8 फीसदी है जबकि ओबीसी में लोध वोटर्स करीब 5 फीसदी हैं
लम्बे वक्त तक यूपी में लोध और ओबीसी की अगुवाई कल्याण सिंह करते रहे। प्रदेश की करीब 70 सीट पर लोध वोटर्स का प्रभाव भी है। अब धर्मपाल सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बीजेपी ये जिम्मेदारी उन्हें दे सकती है। हालांकि धर्मपाल सिंह के नाम पर कल्याण सिंह का परिवार सहमत नहीं है और रज्जू भैया अखिल भारतीय लोध संगठन बनाकर तेवर दिखा चुके हैं, यानि धर्मपाल सिंह पर मोहर लगी तो कल्याण सिंह का परिवार बीजेपी से किनारा भी कर सकता है और पार्टी फिल्हाल अलीगढ़, बुलंदशहर, एटा और मैनपुरी जैसे इलाके में अपनी पकड़ कमजोर नहीं करना चाहेगी।
प्रदेश अध्यक्ष पद की रेस में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और मौजूदा मंत्री स्वतंत्र देव सिंह का नाम चल रहा है पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सूर्यप्रताप शाही के नाम की भी चर्चा है। हर वर्ग अपने नेता के नाम का समर्थन कर रहा है लेकिन बीजेपी को करीब से जानने वाले ये भी कह रहे हैं कि प्रदेश अध्यक्ष कोई ऐसा शख्स होगा जो अटकलों और कल्पनाओं से परे होगा। जो बिना लाइम लाइट में आए भी संगठन को मजबूत कर सके और 2027 के चुनावों में बीजेपी को 202 से ज्यादा सीट जिताने का दमखम भी रखता हो।