अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत और चीन पर लगाए जा रहे टैरिफ को लेकर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सख्त प्रतिक्रिया दी है । पुतिन ने कहा है कि ट्रम्प को भारत और चीन जैसे ताकतवर देशों से इस तरह धमकी भरे लहजे में बात करने से बचना चाहिए,क्योंकि ये देश किसी भी दबाव या धमकी से डरने वाले नहीं हैं।
रूस के राष्ट्रपति की यह टिप्पणी ऐसे वक्त आई है, जब अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव बना हुआ है और भारत को रूसी तेल खरीदने के चलते भारी अमेरिकी टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है । 3 सितंबर को चीन में आयोजित विक्ट्री डे परेड में हिस्सा लेने के बाद पुतिन ने मीडिया से बातचीत के दौरान अमेरिका की टैरिफ नीति पर सवाल उठाए । उन्होंने कहा कि, “अगर इन देशों के नेता किसी अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे झुकते हैं या कमजोरी दिखाते हैं, तो उनका राजनीतिक करियर खतरे में पड़ सकता है।”
टैरिफ नीति को लेकर ट्रंप का दावा
डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में एक अमेरिकी रेडियो शो ‘द स्कॉट जेनिंग्स शो’ में कहा था कि टैरिफ अमेरिका के लिए एक 'जादुई हथियार' है, जिससे उन्होंने सात अंतरराष्ट्रीय संघर्षों को रोका है। उनका दावा है कि टैरिफ के जरिए अमेरिका को वैश्विक कूटनीति में मजबूती मिलती है।
डोनाल्ड ट्रम्प ने इसी नीति के तहत भारत से आयातित उत्पादों पर अमेरिका ने कुल 50% टैरिफ लगाया है । इसमें 25% बेस टैरिफ और 25% अतिरिक्त शुल्क शामिल हैं । वहीं, चीन के उत्पादों पर फिलहाल 30% टैरिफ लागू है । ट्रम्प का आरोप है कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर उसे खुले बाजार में ऊंचे दामों पर बेच रहा है, जिससे रूस को यूक्रेन युद्ध में आर्थिक सहारा मिल रहा है। इसकी वजह से ट्रंप ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया है ।
भारत सरकार ने ट्रम्प के इन आरोपों को पूरी तरह खारिज किया है। आधिकारिक बयान में कहा गया है कि भारत की ऊर्जा नीति पूरी तरह से अपने नागरिकों और किसानों के हितों को ध्यान में रखकर तय की जाती है। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी देश के दबाव में आकर अपने निर्णय नहीं बदलेगा।
अभी भी औपनिवेशिक मानसिकता में जी रहा अमेरिका-पुतिन
रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका की विदेश नीति को लेकर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि अमेरिका अब भी उस मानसिकता से बाहर नहीं निकल पाया है, जो औपनिवेशिक युग में काम करती थी। उन्होंने कहा, 'दुनिया बदल चुकी है। अब कोई भी देश यह स्वीकार नहीं करेगा कि कोई ताकतवर राष्ट्र उसे यह बताए कि उसे क्या करना चाहिए। अमेरिका को अपने सहयोगियों के साथ सम्मानजनक और समानता वाली भाषा में संवाद करना होगा।' पुतिन ने यह भी उम्मीद जताई कि आने वाले समय में अमेरिका के साथ तनाव कम होगा और राजनीतिक बातचीत का रास्ता फिर से खुलेगा।
भारत-चीन-रूस की के एक मंच पर आने से अमेरिका बेचैन
1 सितंबर को चीन के तियानजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक हुई, जहां भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक साथ मंच पर नजर आए। तीनों नेताओं की साथ ली गई तस्वीरों में वे एक-दूसरे का हाथ थामे मुस्कुराते दिखे, जिसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक शक्तिशाली संकेत माना जा रहा है। जानकारों के मुताबिक यह तस्वीर अमेरिका के लिए एक कूटनीतिक संदेश थी कि ये तीनो देश मिलकर एक मजबूत मोर्चा बना सकते हैं।
SCO बैठक के बाद प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच अलग से द्विपक्षीय बैठक हुई। खास बात यह रही कि पुतिन ने मोदी को अपनी लग्जरी कार AURUS लिमोज़िन में बैठाकर होटल तक छोड़ा और रास्ते में दोनों नेताओं के बीच बंद दरवाजों के पीछे गहन बातचीत हुई। होटल पहुंचने के बाद भी दोनों नेता करीब 50 मिनट तक कार से बाहर नहीं निकले और बातचीत जारी रखी।
मॉस्को स्थित राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह चर्चा बेहद संवेदनशील और गोपनीय मुद्दों पर केंद्रित थी, जिन पर सार्वजनिक रूप से बात नहीं की जा सकती।
हालांकि पुतिन ने बताया कि बातचीत के दौरान उन्होंने पीएम मोदी को अलास्का में ट्रम्प के साथ अपनी हालिया मुलाकात के बारे में जानकारी दी । लेकिन जब मीडिया ने इस पर विस्तार से सवाल किए तो उन्होंने कोई जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया।