भारत में भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication - GI) से जुड़े इतिहास में आज का दिन स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया, जब उत्तर प्रदेश के 21 उत्पादों को GI पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रदान किया गया। इस महत्वपूर्ण अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन उत्पादों को देश की सांस्कृतिक विरासत और स्थानीय कौशल का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, "GI केवल एक चिन्ह नहीं है, बल्कि यह उस क्षेत्र की मिट्टी, संस्कृति और परम्परा की गारंटी है।"
राधाकृष्ण की लीला वाले अंगवस्त्र से स्वागत
कार्यक्रम के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने GI पंजीकृत बनारस हैण्डब्लॉक प्रिन्ट अंगवस्त्र पहनाकर प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया। यह विशेष अंगवस्त्र रेशमी वस्त्र पर छः रंगों की छपाई से सजाया गया था, जिसमें राधा-कृष्ण की लीलाओं को दर्शाया गया है। प्रत्येक आकृति लगभग 6 इंच की है और पारंपरिक फूल-पत्तियों के डिजाइनों का सुंदर मिश्रण इसमें देखने को मिला।
इस 2.5 मीटर लंबे अंगवस्त्र को काशी के मास्टर डिज़ाइनर और GI विशेषज्ञ वैभव कुमार की देखरेख में तैयार किया गया, जिसमें कई दिनों की कड़ी मेहनत और कलात्मक कौशल समाहित है।
कमलछतरी: विज्ञान और कला का अद्भुत संगम
प्रधानमंत्री को स्मृति चिन्ह के रूप में भेंट की गई एक और अद्भुत कृति थी — 24 इंच की वुड कार्विंग कमलछतरी, जिसे राज्य पुरस्कार विजेता शिल्पकार चन्द्रप्रकाश विश्वकर्मा ने कैमा की लकड़ी पर बारीक नक्काशी करके तैयार किया। इस कलात्मक छतरी में विज्ञान और परंपरा का मेल देखने को मिला — एक विशेष मेकैनिकल प्रणाली के ज़रिए कमल की पंखुड़ियाँ घुमाने पर खुलती और बन्द होती हैं।
प्राचीन परम्परा से आधुनिक तकनीक तक
काशी में पारंपरिक रूप से चाँदी और धातु में बनी कमलछतरियों में शिवलिंग रखकर अभिषेक करने की परंपरा रही है। चन्द्रप्रकाश ने इसी परंपरा को लकड़ी में उकेरा है। छतरी के नीचे के बेस पर गज (हाथी), वृषभ (बैल) और अश्व (घोड़े) की सुंदर आकृतियाँ भी बनाई गई हैं, जो इसे और अधिक भव्य बनाती हैं।
जीआई मैन ऑफ इंडिया डॉ. रजनीकांत की अहम भूमिका
GI क्षेत्र के अग्रणी विशेषज्ञ और पद्मश्री से सम्मानित डॉ. रजनीकान्त, जिन्हें 'GI मैन ऑफ इंडिया' के नाम से जाना जाता है, ने बताया कि यह आयोजन केवल एक प्रमाणपत्र वितरण नहीं था, बल्कि भारतीय हस्तशिल्प और स्थानीय उत्पादों को वैश्विक मंच देने का एक सशक्त प्रयास था।