पीएम मोदी के काशी दौरे का अर्ध-शतक, विपक्षी हैरान-परेशान क्यों हैं?

Authored By: News Corridors Desk | 11 Apr 2025, 05:10 PM
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प्रधानमंत्री मोदी का ये अंदाज ही है जो काशी से दिल्ली तक रिश्तों की डोर ऐसी मज़बूत हो गई है कि वो बार-बार यहाँ खींचे चले आते हैं। काशी महज़ उनके लिए एक संसदीय क्षेत्र नहीं है, यहाँ से उन्होंने माँ-बेटे वाला रिश्ता जोड़ा है और सिर्फ़ जोड़ा ही नहीं निभाया है।

प्रधानमंत्री रहते 11 साल में मोदी हर खास मौक़े पर काशी पहुँचे। 50 बार अपने संसदीय क्षेत्र का  दौरा किया। एक-एक चीज पर निगाह रखी और विकास का ऐसा रोडमैप तैयार किया कि काशी का कायाकल्प हो गया।

प्रधानमंत्री मोदी के इस रिश्ते को समझेंगे लेकिन आप पहले एक बार देखिए महादेव की नगरी का रंग कैसे पीएम मोदी पर छाया है। उनकी बोली-बाणी सब गंगा की गोद में आते ही बदल जाती है। ठेठ देसी अंदाज में वो अपने लोगों से बतियाते हैं, गपियाते हैं।

11 अप्रैल को जब मोदी वाराणसी पहुँचे तो कौन सी 11 बड़ी सौग़ात लेकर आए, ये भी आपको बताएँगे लेकिन उससे पहले समझते हैं कैसे मोदी ने इन 11 सालों में विपक्ष का हर प्रोपेगेंडा फेल कर दिया

- विपक्ष का प्रोपेगेंडा था कि मोदी बस चुनावी जीत के लिए आए हैं 

-मोदी ने 11 साल में ये साबित कर दिया कि उनका काशी से गहरा लगाव है 

-विपक्ष का प्रोपेगेंडा था कि 2019 में मोदी संसदीय सीट बदल लेंगे 

-पीएम मोदी ने लगातार चुनाव लड़ा और जीत कर वो भी फेल कर दिया
 
-2024 में विपक्ष ने शिगूफ़ा छेड़ा कि मोदी अयोध्या से चुनाव लड़ेंगे

-मोदी ने फिर भी सीट नहीं बदली और काशी से हैट्रिक वाली जीत दर्ज की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और काशी का ये रिश्ता मज़बूत और गहरा होता चला गया। भावनात्मक और राजनीतिक दोनों ही स्तरों पर मोदी और काशी एक दूसरे के पर्याय बन गए। नरेंद्र मोदी 2014, 2019 और अब 2024 के लोकसभा चुनावों में भी वाराणसी से सांसद बन कर देश की कमान सँभाली। बाबा भोले का आशीर्वाद उन पर बरस रहा है। माँ गंगा ने एक बार बुलाया तो फिर वो इस सपूत को कहां छोड़ने वाली हैं।

वाराणसी से चुनाव लड़ना मोदी के लिए एक प्रतीकात्मक संदेश था कि भारत की सांस्कृतिक राजधानी से उनका जुड़ाव और उसकी गरिमा को बढ़ाना उनका कर्तव्य है, जिसे उन्होंने पूरी निष्ठा से निभाया। कुछ अहम बिंदु जो इस रिश्ते को समझने में मदद करेंगे कि कैसे ये रिश्ता 11 सालों में मजबूत होता चला गया, ये भी आपको बताएँगे लेकिन उससे पहले जान लीजिए कि पीएम मोदी ने 11 अप्रैल को 3900 करोड़ रुपये की 44 परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। मेहंदीगंज में आयोजित विशाल जनसभा में पीएम ने अपने संबोधन में उन्होंन बार-बार काशी के प्रति अपने गहरे लगाव को दोहराया। 

पीएम मोदी और काशी के इस रिश्ते को हम समझेंगे लेकिन उससे पहले जान लीजिए कि पीएम मोदी ने काशी वालों को 11 अप्रैल को कौन सी बड़ी सौग़ातें दी हैं… 

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पीएम ने काशी को दी 3900 करोड़ रुपये की सौगात

44 परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया

कनेक्टिविटी को मजबूत करने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास

गांव-गांव तक नल से जल पहुंचाने की योजनाओं के लिए विशेष फंड 

शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार और खेल के क्षेत्र में नई शुरूआत

आयुष्मान वय वंदना कार्ड का वितरण, बुजुर्गों को मुफ्त इलाज की सुविधा

डेयरी किसानों को 106 करोड़ रुपये का बोनस भी हस्तांतरित किया

वाराणसी और आसपास के क्षेत्रों के 30 से अधिक उत्पादों को जीआई टैग प्रदान किया गया

तबला, शहनाई, ठंडई, लाल भरुआ मिर्च, लाल पेड़ा और तिरंगा बर्फी को जीआई टैग दिया 

इन्फ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी से जुड़ी योजनाओं में 45 हजार करोड़ रुपये का निवेश


काशी में मोदी ने जो विकास-पथ तैयार किया वो किसी ज़िद और जुनून के बग़ैर मुमकिन नहीं है। जो लोग ये कह रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तो गुजरात से आए हैं। वहीं लौट जाएँगे, वो भी मोदी का ये संकल्प देख हैरान हैं। अब मोदी ने अपनी पहचान ही काशी को बना लिया है। प्रधानमंत्री पद की ज़िम्मेदारी और व्यस्तताओं के बीच भी वो अपनी काशी को कभी भूलते नहीं, सोते-जागते काशी नगरी उनके दिल में धड़कती है, उनको जब भी मौका मिलता है, वह काशी पहुंच जाते हैं। वह काशी आने और काशीवासियों से संवाद करने का बहाना खोजते रहते हैं

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पीएम का काशी कनेक्शन-

मोदी पहली बार 20 दिसंबर 2013 को काशी आए. 

जहां खजुरी में पहली विजय शंखनाद रैली की

पांच लाख लोगों ने स्वागत कर नया इतिहास रचा

जब लोकसभा चुनाव में नामांकन के लिये पीएम मोदी पहुंचे तो घरों की छतों से लोग पुष्प वर्षा कर रहे थे और अब जब-जब मोदी काशी पहुँचते हैं, वैसा ही जन सैलाब उमड़ता है। वैसी ही भावनाएँ हिलोरे लेती हैं, वैसे ही जयकारे लगते हैं।

नरेंद्र मोदी 2014 से वाराणसी लोकसभा सीट से सांसद हैं, उन्होंने पहली बार यहां से चुनाव लड़ा और ऐतिहासिक जीत दर्ज की। 6 मई 2014 को चुनाव परिणाम आने के अगले ही दिन मोदी काशी पहुंचे..मां गंगा की आरती की।

स्वच्छता का संकल्प लिया। देश में स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत अस्सीघाट पर फावड़ा चलाकर की। 2019 में भी उन्होंने इसी सीट से चुनाव लड़ा और भारी बहुमत से दोबारा जीते।

इस बीच कई बार ये चर्चा हुई और विपक्ष ने कई बार कहा कि अब मोदी काशी छोड़ देंगे। अब मोदी को दूसरी सीट से चुनाव लड़ना  चाहिये, विपक्ष अक्सर यह नैरेटिव बनाना चाहता है कि मोदी अब वाराणसी में "कमज़ोर" हो गए हैं, इसलिए सीट बदलने की बात हो रही है। यह एक मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की रणनीति हो सकती है लेकिन मोदी ने किसी की नहीं सुनी। मां गंगा के बेटे कहे जाने वाले मोदी राहुल गांधी नहीं है कि जब संकट में हों तो वायनाड से चुनाव लड़ लें और जब रायबरेली में जीत नसीब हो जाए तो वायनाड की जनता को टाटा-बाय बाय कर दें। प्रधानमंत्री लगभग तीन-चार महीने में काशी जरूर जाते हैं।