बैंकॉक में पीएम मोदी की मोहम्मद यूनुस को नसीहत, माहौल खराब करने वाले बयानों से बचें ...

Authored By: News Corridors Desk | 04 Apr 2025, 05:01 PM
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शुक्रवार को थाइलैंड की राजधानी बैंकॉक में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले तो इसका सुर्खियों में आना लाजमी था । इसकी वजह यह है कि बांग्लादेश में पिछले साल शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से मोहम्मद यूनुस की पीएम मोदी से यह पहली मुलाकात थी । यह बैठक ऐसे वक्त में हुई है जब दोनों देशों के रिश्ते काफी खराब दौर में चल रहे हैं, बांग्लादेश का आर्थिक ढ़ांचा चरमरा रहा है और मोहम्मद यूनुस राजनैतिक रुप से चौतरफा घिरे दिख रहे हैं । 

 पीएम मोदी और मोहम्मद यूनुस बिम्सटेक  शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए इस बैंकॉक मैं हैं । उनकी यह मुलाकात बिम्सटेक सम्मेलन से अलग हुई । यह बातचीत करीब 40 मिनट तक चली । बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी मौजूद रहे। मोहम्मद युनूस की तरफ से मुलाकत के लिए अनुरोध किया गया था जिसे भारत ने स्वीकार कर लिया । 

लोकतांत्रिक और समावेशी बांग्लादेश को समर्थन

बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर चिंता भी जाहिर की ।  दोनों नेताओं की मुलाकात पर  विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने जानकारी देते हुए कहा, "पीएम मोदी ने लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन को दोहराया ।  

उन्होंने प्रोफेसर यूनुस से बांग्लादेश के साथ सकारात्मक और रचनात्मक संबंध बनाने की भारत की इच्छा पर जोर दिया । " विक्रम मिस्री  के अनुसार प्रधानमंत्री ने माहौल को खराब करने वाली किसी भी बयानबाजी से बचने की भी सलाह दी । साथ ही सीमा पर कानून का सख्ती से पालन और अवैध सीमा पार करने की रोकथाम पर भी जोर दिया और बांग्लादेश में हिंदुओं सहित अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर भारत की चिंताओं से अवगत कराया । 

मुलाकात के दौरान प्रोफेसर यूनुस ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को एक तस्वीर भेंट की जो 3 जनवरी, 2015 को ली गई थी । इसमें 102वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में प्रोफेसर यूनुस को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी स्वर्ण पदक प्रदान करते दिख रहे हैं । 

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क्यों अहम है दोनों नेताओं की मुलाकात ? 

दोनों नेताओं के बीच की यह मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है । यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब दोनों देशों के रिश्ते काफी तल्ख हुए हैं । हाल ही में यूनूस ने बीजिंग में काफी विवादास्पद बयान दिया था । उन्होने चीन से बांग्लादेश में अपनी आर्थिक उपस्थिति का विस्तार करने का आग्रह करते हुए कहा था कि,  पूर्वोत्तर भारत के  राज्य, जिन्हें 'सेवेन सिस्टर्स' कहा जाता है, लैंडलॉक्ड हैं और बांग्लादेश इस पूरे क्षेत्र में समुद्र का एक मात्र गार्डियन है । 

 पिछले साल अगस्त में बांग्लादेश में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्ता पलट के बाद मोहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार की कमान संभाली थी । इसके बाद वहां की सरकार के भीतर और बाहर से भारत विरोधी एजेंडा चलाने की काफी कोशिश की गई । 

इस दौरान बांग्लादेश में जिस तरह से हिंसा का खुला खेल खेला गया और खासकर हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमले हुए, उसका भी दोनों देशों के संबंध और बिगड़े । सत्ता संभालने के बाद यूनुस सरकार ने जिस तरह से जेलों में बंद हिंसक चरमपंथियों को रिहा किया उसको लेकर भी भारत के विदेश मंत्रालय ने काफी चिंता जताई । 

चौतरफा घिर गए हैं मोहम्मद यूनुस 

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मोहम्मद यूनुस ने शेख हसीना का तख्ता पलट कर जब बांग्लादेश के कार्यकारी सरकार की कमान संभाली थी , तब उन्होने देश में जल्द चुनाव कराने का भरोसा दिलाया था । उस वक्त बांग्लादेश में माहौल पूरी तरह से अराजक था । मंदिरों से लेकर हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमले हो रहे थे और देश का आर्थिक ढ़ांचा चरमरा रहा था । परन्तु बजाए शांति बहाल करने के मोहम्मद यूनुस भारत विरोधी भावनाओं को भड़का कर अपनी राजनीतिक रोटी सेकने को कोशिश करते रहे । 

उन्हे उम्मीद थी कि अमेरिका, चीन और पाकिस्तान जैसे देश उनके साथ खड़े रहेंगे तो बांग्लादेश को भारत पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी । परन्तु ऐसा हुआ नहीं । जो बाइडन के करीबी माने जाने वाले यूनुस को डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद समर्थन मिलना बंद हो गया । दूसरे देश भी इस मामले में पड़ने से बचते दिखे । 

उधर बांग्लादेश में भी मोहम्मद यूनुस के खिलाफ माहौल बनना शुरू हो गया है । लोग यहां जल्दी चुनाव की मांग कर रहे हैं । प्रशासन पर उनकी पकड़ है नहीं । ऐसी स्थिति में उन्हे एक बार फिर से भारत और पीएम मोदी की शरण में जाने को मजबूर होना पड़ रहा है । 

दरअसल चौतरफा चुनौतियों से घिरे यूनुस काफी समय से पीएम मोदी से मुलाकात की संभावना तलाश रहे थे । बिम्सटेक के मंच ने आखिरकार उन्हे यह मौका मुहैया करा दिया । 

मोहम्मद मोइज्जू को क्यों याद कर लोग ?

मोहम्मद यूनुस जिस तरह से भारत विरोध का राग अलाप कर सत्ता के शीर्ष तक पहुंचे और चौतरफा संकट में घिरने के बाद वापस भारत की शरण में लौटने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं , कई लोग उसकी तुलना मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू से कर रहे हैं । 

मोइज्जू भी इसी तरह से 'इंडिया आउट' का कैंपेन चलाकर मालदीव के राष्ट्रपति बने थे । इसके बाद उन्हे उम्मीद थी कि तुर्की और चीन मदद करेगा औऱ भारत की उन्हे जरूरत नहीं पड़ेगी । परन्तु ऐसा हुआ नहीं और आखिर में उन्हे समझ में आ गया कि भारत से दोस्ती के अलावा उनके पास और कोई चारा नहीं है । आज मोइज्जू भारत को मालदीव का सबसे बड़ा हितैषी बताते हैं । 

भारत ने दिखाया बड़ा दिल

बांग्लादेश की सत्ता संभालने के बाद मोहम्मद यूनुस और उनके सहयोगियों ने चाहे जितना जहर उगला हो, भारत ने हमेशा ही सकारात्मक रूख दिखाया है । पिछले सप्ताह ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश के राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर यूनुस को भेजे एक पत्र में लिखा था, "हम शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए अपनी साझा आकांक्षाओं से प्रेरित होकर तथा एक-दूसरे के हितों और चिंताओं के प्रति आपसी संवेदनशीलता के आधार पर इस साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। "प्रधानमंत्री ने अपने पत्र में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम को 'साझा इतिहास' बताया था । अब एक बार फिर से प्रधानमंत्री ने मुलाकात के लिए मोहम्मद यूनुस के अनुरोध को स्वीकार कर बड़ा दिल दिखाया है ।