सुनीता विलियम्स की वापसी पर पीएम मोदी ने दी बधाई, बताया लाखों लोगों की प्रेरणा

Authored By: News Corridors Desk | 19 Mar 2025, 01:21 PM
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नासा के क्रू-9 मिशन के अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स, निक हेग, बुच विल्मोर और रूसी अंतरिक्ष यात्री अलेक्जेंडर गोर्बुनोव 9 महीने बाद सफलतापूर्वक धरती पर लौट आए हैं। स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल में सुरक्षित स्पलैशडाउन के बाद, चारों अंतरिक्ष यात्रियों को फ्लोरिडा के समुद्र में रेस्क्यू किया गया।

प्रधानमंत्री मोदी ने दी बधाई


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर सुनीता विलियम्स के साथ एक फोटो साझा करते हुए लिखा, "क्रू-9 आपका स्वागत है, धरती ने आपको बहुत याद किया।" उन्होंने इस मिशन की सराहना करते हुए कहा कि अंतरिक्ष यात्रा मानवता के धैर्य, साहस और अटूट संकल्प का प्रतीक है। पीएम मोदी ने सुनीता विलियम्स को 'ट्रेलब्लेजर' और 'आइकन' बताते हुए उनकी उपलब्धियों की तारीफ की।

कैसे हुई धरती पर वापसी?


नासा के अनुसार, स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल का सफल स्पलैशडाउन बुधवार सुबह हुआ। जब स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर रहा था, तब इसका तापमान 1650 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया था। इस दौरान कम्युनिकेशन ब्लैकआउट भी हुआ, लेकिन अंततः कैप्सूल सुरक्षित रूप से समुद्र में लैंड कर गया।

मिशन में हुई देरी और ISS पर लंबा प्रवास


सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर ने 5 जून 2024 को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए उड़ान भरी थी। यह मिशन केवल 8 दिन का होना था, लेकिन स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी खराबी के कारण यह मिशन 9 महीने तक लंबा खिंच गया।

ISS पर अपने 286 दिनों के प्रवास के दौरान, इन अंतरिक्ष यात्रियों ने 4500 से अधिक परिक्रमाएं पूरी कीं और 121 मिलियन मील से अधिक की यात्रा की। यह मिशन सुनीता विलियम्स की अंतरिक्ष में तीसरी उड़ान थी, और इसके साथ ही उन्होंने अंतरिक्ष में कुल 608 दिन बिताए हैं। वह अब पैगी व्हिटसन (675 दिन) के बाद दूसरी सबसे अधिक समय तक अंतरिक्ष में रहने वाली अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री बन गई हैं।

भविष्य की अंतरिक्ष यात्रा और भारत की भागीदारी


इस मिशन की सफलता से अंतरिक्ष अनुसंधान और भविष्य की योजनाओं को लेकर नई संभावनाएं खुली हैं। भारत भी अपने महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन की तैयारी में जुटा हुआ है, जिससे देश के पहले अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना बनाई जा रही है।

यह मिशन न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि इसने अंतरिक्ष यात्रियों के धैर्य और मानसिक दृढ़ता को भी परखा। अंतरिक्ष अन्वेषण में यह एक और बड़ी उपलब्धि है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।