विश्व पर्यावरण दिवस 2025 के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक विशेष पहल करते हुए अपने आधिकारिक आवास 7, लोक कल्याण मार्ग पर "सिंदूर का पौधा" (Bixa Orellana) लगाया। यह कदम न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक प्रतीकात्मक प्रयास है, बल्कि यह उन वीर महिलाओं को श्रद्धांजलि भी है जिन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान अदम्य साहस का परिचय दिया था।
1971 युद्ध की नायिकाओं से मिला खास उपहार
प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर साझा किया कि हाल ही में उनकी कच्छ यात्रा के दौरान 1971 युद्ध की साहसी महिलाओं के एक समूह ने उन्हें यह पौधा भेंट किया था। उन्होंने इसे देश की महिलाओं की वीरता और प्रेरणा का प्रतीक बताते हुए इसे अपने निवास पर लगाने का वादा किया था।
इस पौधे का चयन सिर्फ एक पारंपरिक प्रतीक के रूप में नहीं, बल्कि हालिया सैन्य कार्रवाई "ऑपरेशन सिंदूर" से भी प्रेरित है। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों को नष्ट करने की कार्रवाई को यही नाम दिया गया था। सिंदूर पारंपरिक रूप से विवाहित हिंदू महिलाओं के सुहाग का प्रतीक है, और इसी नाम से सैन्य ऑपरेशन को जोड़ा जाना सांस्कृतिक गर्व और राष्ट्रीय चेतना को दर्शाता है।
पर्यावरण सुरक्षा को लेकर पीएम मोदी का संदेश
वीडियो संदेश के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी ने सभी देशों से आह्वान किया कि जलवायु संकट से निपटने के लिए स्वार्थ से ऊपर उठना जरूरी है। उन्होंने कहा कि "प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करना" इस वर्ष के विश्व पर्यावरण दिवस की थीम है और भारत बीते कुछ वर्षों से इस दिशा में लगातार सक्रिय है।
उन्होंने मिशन LiFE (Lifestyle for Environment) का जिक्र करते हुए बताया कि भारत में लाखों लोग आज "Reduce, Reuse, Recycle" के मंत्र को जीवन में उतार चुके हैं।
क्या है सिंदूर के पौधे की खासियत?
सिंदूर का पौधा, जिसे वैज्ञानिक भाषा में Bixa orellana कहते हैं, न केवल एक सांस्कृतिक बल्कि औषधीय दृष्टि से भी अत्यंत मूल्यवान है। इसे कुमकुम ट्री, लिपस्टिक ट्री या कमीला ट्री के नाम से भी जाना जाता है।
इस पौधे के बीजों से लाल या नारंगी रंग का प्राकृतिक डाई निकाला जाता है, जिसे सिंदूर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह रंग केमिकल-मुक्त होता है और त्वचा के लिए सुरक्षित माना जाता है। इसे धार्मिक कार्यों, सौंदर्य प्रसाधनों, और मांग भरने जैसे परंपरागत कार्यों में उपयोग किया जाता है।
औषधीय गुणों से भरपूर
एंटीपायरेटिक: बुखार कम करने में उपयोगी
एंटी-डायबिटिक: शुगर नियंत्रण में सहायक
रक्त शोधन: खून को शुद्ध करने में कारगर
हृदय स्वास्थ्य: हृदय की ताकत बढ़ाता है और रक्त संचार को सुधारता है
बता दें भारत में यह पौधा मुख्यतः महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में उगाया जाता है। हालांकि, इसकी उत्पत्ति दक्षिण अमेरिका और मैक्सिको मानी जाती है।