"न पहले मध्यस्थता स्वीकारी थी,और न आगे स्वीकारेंगे":जानिए पीएम मोदी ने ट्रंप से और क्या कहा ?

Authored By: News Corridors Desk | 18 Jun 2025, 01:50 PM
news-banner

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच कनाडा के जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान तो मुलाकात नहीं हो पाई , परन्तु दोनों नेताओं के बीच फोन पर लंबी बातचीत हुई ।  गौरतलब है किसी जरूरी कारण से डोनाल्ड ट्रंप तय समय से पहले ही जी-7 की बैठक से वापस अमेरिका लौट गए थे जिस कारण पीएम मोदी से उनकी मुलाकात नहीं हो सकी थी । 

बाद में फोन पर बातचीत के दौरान दोनों नेताओं के बीच ऑपरेशन सिंदूर, इजरायल-ईरान युद्ध और ट्रेड जैसे कई मुद्दों पर बातचीत हुई । इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति से भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को एक बार फिर सिरे से खारिज किया । उन्होंने साफ-साफ शब्दों में कहा कि भारत ने न तो पहले किसी की मध्यस्थता मानी है, न आज मानता है और न ही भविष्य में मानेगा । प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह भारत की स्पष्ट और एकमत नीति है और इस मुद्दे पर देश की पूरी राजनीतिक व्यवस्था एकमत है।"

मोदी-ट्रंप के बीच फोन पर 35 मिनट लंबी बातचीत

विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने मीडिया को दोनों नेताओं की बातचीत के बारे में बताया कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच करीब 35 मिनट लंबी बातचीत हुई। यह कॉल राष्ट्रपति ट्रंप के आग्रह पर हुई, क्योंकि कनाडा में चल रहे G-7 सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं की तय मुलाकात ट्रंप के जल्द लौटने की वजह से नहीं हो पाई थी। इस बातचीत में भारत-पाकिस्तान संबंध, आतंकवाद, ऑपरेशन सिंदूर और इस दौरान अमेरिका की कथित मध्यस्थता को लेकर विस्तार से चर्चा हुई ।

गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार कहा था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने में भूमिका निभाई। लेकिन पीएम मोदी ने पहले भी और इस बातचीत में स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच बातचीत से ही सीजफायर संभव हुआ, और इसके लिए पाकिस्तान आग्रह किया था । बातचीत के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने पहले की तरह ही भारत को आतंकवाद के खिलाफ समर्थन का भरोसा दिया।

विदेश सचिव के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप को बताया कि 6-7 मई की रात को भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकियों के ठिकानों पर सटीक और सीमित सैन्य कार्रवाई की थी। यह कार्रवाई पूर्णतः आतंकियों के खिलाफ थी और भारत की ओर से किसी प्रकार की उकसावे वाली कार्रवाई नहीं की गई थी ।
बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अब आतंकवाद को सिर्फ छद्म युद्ध (प्रॉक्सी वॉर) की तरह नहीं, बल्कि एक खुले युद्ध के रूप में लेता है।

ऑपरेशन सिंदूर और सैन्य कार्रवाई पर खुलकर रखी बात

पीएम मोदी ने प्रेसिडेंट ट्रंप को बताया कि 9 मई की रात को अमेरिका के उपराष्ट्रपति वॉन्स ने उन्हें फोन किया था और आगाह किया था कि पाकिस्तान कोई बड़ा हमला कर सकता है। इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें स्पष्ट कहा था कि यदि पाकिस्तान हमला करता है, तो भारत उसे मुंहतोड़ जवाब देगा और हुआ भी यही । भारत ने जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान को भारी नुकसान पहुंचाया।

9-10 मई की रात को भारत ने पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर प्रभावशाली जवाबी हमला किया, जिससे उनके कई एयरबेस काम करने लायक नहीं रहे। इसके बाद पाकिस्तान ने ही भारत से सैन्य कार्रवाई रोकने की अपील की, जिस पर दोनों सेनाओं के बीच सीधी बातचीत के ज़रिए सीजफायर तय हुआ। उन्होंने यह भी बताया कि 9 मई की रात को अमेरिका के उपराष्ट्रपति वॉन्स ने उन्हें फोन कर संभावित पाकिस्तानी हमले की चेतावनी दी थी। इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि भारत हर हमले का मुंहतोड़ जवाब देगा।

इजरायल-ईरान युद्ध पर भी हुई चर्चा 

फोन पर बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने इजरायल और ईरान के बीच चल रहे तनाव पर भी विचार साझा किए । साथ ही, रूस-यूक्रेन युद्ध पर जल्द से जल्द शांति स्थापित करने के लिए दोनों पक्षों को सीधे बातचीत करने की जरूरत पर सहमति जताई । इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को लेकर भी दोनों नेताओं के बीच चर्चा हुई। QUAD की भूमिका को अहम मानते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत के दृष्टिकोण को सराहा । प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप को QUAD की आगामी बैठक में भाग लेने के लिए भारत आने का निमंत्रण दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया । 

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच की यह बातचीत काफी अहम मानी जा रही है क्योंकि यह ऐसे वक्त में हुई है जब भारत और अमेरिका के रिश्ते में थोड़ी दूरी आती दिख रही थी । इस वक्त विश्व दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते को लेकर चर्चा चल रही है और विश्व राजनीति में उथल-पुथल मची है ।