सत्य, तप, दया और दान पर आधारित धर्म का है नव संवत्सर। इसी संदेश के साथ लखनऊ के कुड़िया घाट पर गंगा समग्र और नव संवत्सर महोत्सव समिति द्वारा भारतीय नव वर्ष का भव्य स्वागत किया गया। सुबह की पहली किरण के साथ ही हजारों लोगों ने मां गोमती में स्नान कर भुवन भास्कर श्री सूर्य नारायण को अर्घ्य दिया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई, जिसमें प्रमुख अतिथियों डॉक्टर राजीव लोचन, संदीप बंसल, विजय कुमार दीक्षित,अनुराग पांडे,उदय भान सिंह, संजय रस्तोगी,अवधेश तिवारी समेत अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।
श्रोताओं ने खूब सराहा
इसके बाद संस्कार भारती की प्रस्तुति में सरस्वती वंदना, हरमोनियम-तबला जुगलबंदी, कथक नृत्य और भक्ति संगीत ने समां बांध दिया। नवोदित कलाकारों द्वारा कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया,श्रुति शर्मा एवं अन्य विद्यार्थियों ने कथक नृत्य,अहिल्याबाई होल्कर पर आधारित नृत्य नाटिका शक्ति का दूसरा स्वरूप प्रस्तुत किया गया। जिसमें डॉक्टर पूनम श्रीवास्तव द्वारा राग जोगिया, राम जन्म पर आधारित चैती और ठुमहि चलत रघुरैया हो रामा, इतना तो करना स्वामी भजन प्रस्तुत किये गए। जिसमें प्रसिद्ध तबला वादक पंडित शीतल प्रसाद मिश्र द्वारा तबले पर संगत दी गई। नववर्ष पर आधारित काव्य पाठ प्रसिद्ध गायिका संगीत एवं नृत्य शिक्षिका प्रख्यात कवियत्री डॉक्टर सरला शर्मा "आसमा" जी के द्वारा हे जगत तारिणी जगदंबे जग जननी स्वयं प्रभा जागो का काव्य पाठ किया गया जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा।
अपने नववर्ष को हृदय से अपनाए
इस कार्यक्रम की जानकारी गंगा समग्र अवध प्रांत के प्रचार आयाम की सह प्रमुख श्वेता सिंह ने दी उन्होंने कहा कि "आज हम यहां केवल भारतीय नव वर्ष को मनाने के लिए नहीं आए हैं बल्कि अपनी संस्कृति परंपरा और गौरवशाली इतिहास को सम्मान करने के लिए एकत्रित हुए है। आज का दिवस कोई साधारण दिवस नहीं है। यह दिन हमें प्रेरणा देता है अपने संस्कारों से जुड़ने का अपने अंदर राष्ट्र प्रेम और स्वाभिमान की भावना जगाने का। यह दिन हमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने का और भारतीय काल गणना को समझने का अवसर देता है। आज विश्व में सभी संस्कृतिया खुद को बचाने का संघर्ष कर रही है तो यह आवश्यक हो जाता है कि हम अपने नववर्ष को हृदय से अपनाए।"
वंदे मातरम के साथ कार्यक्रम का समापन
उसके बाद मुख्य वक्ता दैनिक जागरण समाचार पत्र के संपादक आशुतोष शुक्ल द्वारा सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं देते हुए कहा गया कि यह वह देश है जहां हम अपने ईश्वर को अपना शखा मानते हैं। हम उनसे प्रेम वश झगड़ा भी कर लेते हैं। "हमारी संस्कृति में धर्म चार स्तंभों - सत्य, तप, दया और दान पर टिका हुआ है। हमें इसे संजोकर रखना है और एक-दूसरे का सहयोगी बनना है। नव वर्ष मंगलमय हो। आशुतोष शुक्ला जी द्वारा श्रुति शर्मा को स्वर्गीय सुभाष चंद्र बंसल जी की स्मृति में कला साधक सम्मान, रिद्धिमा श्रीवास्तव को स्वर्गीय सूबेदार सिंह की स्मृति में कला रत्न सम्मान प्रदान किया। जिसमें 11000-11000 रुपए नगद, स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया सभी अतिथियों द्वारा कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले कलाकारों को स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया संयोजक अनुराग पांडेय द्वारा सभी आगंतुकों का आभार ज्ञापन किया गया। वंदे मातरम के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।