नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में नया मोड़ आ गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दाखिल चार्जशीट के बाद राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सोनिया गांधी, सैम पित्रोदा और दो अन्य को नोटिस जारी किया है। यह मामला देश के सबसे चर्चित राजनीतिक मामलों में से एक माना जा रहा है।
कोर्ट ने क्या कहा?
राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने साफ किया कि चार्जशीट पर संज्ञान लेने से पहले आरोपियों को सुनने का अधिकार दिया जाना जरूरी है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अभी केस के मेरिट्स पर कोई बहस नहीं होगी, बल्कि सिर्फ नोटिस देकर आरोपियों का पक्ष सुना जाएगा। अगली सुनवाई 7 मई 2025 को निर्धारित की गई है।
ED की दलील क्या रही?
प्रवर्तन निदेशालय ने कोर्ट में यह कहा कि उसे आरोपियों को नोटिस जारी करने और सुनवाई में कोई आपत्ति नहीं है। ईडी ने कोयला घोटाले के एक पुराने फैसले का हवाला देते हुए कहा कि बिना सुनवाई के समन जारी करने पर सुप्रीम कोर्ट ने कार्यवाही पर रोक लगाई थी, इसलिए इस मामले में भी ऐसा ही संतुलन रखा जाए।
क्या है नेशनल हेराल्ड केस?
नेशनल हेराल्ड केस का संबंध एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL), कांग्रेस पार्टी और यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के बीच हुए विवादास्पद वित्तीय लेन-देन से है। आरोप है कि:
कांग्रेस पार्टी ने AJL को 90.21 करोड़ रुपये का ब्याज-मुक्त कर्ज दिया।
2010 में यह कर्ज सिर्फ ₹50 लाख में यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया गया।
यंग इंडियन, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 76% हिस्सेदारी है, ने AJL की 99% हिस्सेदारी और ₹2000 करोड़ की संपत्ति पर नियंत्रण हासिल कर लिया।
चार्जशीट में क्या आरोप लगे हैं?
2021 में ईडी ने इस मामले को मनी लॉन्ड्रिंग से जोड़ते हुए जांच शुरू की थी। अप्रैल 2025 में दाखिल चार्जशीट में:
सोनिया गांधी और राहुल गांधी को क्रमशः आरोपी नंबर 1 और 2 बताया गया।
चार्जशीट के अनुसार, यंग इंडियन ने कोई चैरिटेबल काम नहीं किया, जैसा कि उसका दावा था।
संपत्ति का ट्रांसफर एक आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी के तहत किया गया बताया गया है।
यह मामला सिर्फ कानूनी ही नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी बेहद संवेदनशील है। कांग्रेस पार्टी इसे राजनीतिक प्रतिशोध मानती रही है, वहीं ईडी ने जांच को नियमों के तहत और सबूतों पर आधारित बताया है।