सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ इन दिनों अपने सरकारी बंगले को खाली करने में देरी को लेकर सुर्खियों में हैं। सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार को पत्र लिखा था, जिसके बाद इस पर राजनीतिक और सार्वजनिक चर्चा तेज हो गई। अब पूर्व CJI ने सामने आकर इस विवाद पर अपनी स्थिति स्पष्ट की है और बताया कि देरी क्यों हो रही है।
"मेरा सामान पैक है, दो हफ्तों में बंगला छोड़ दूंगा"
पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने ‘बार एंड बेंच’ से बातचीत में कहा, "हमने सारा सामान पैक कर लिया है। बस रोजाना उपयोग में आने वाले कुछ सामान बचे हैं, जिन्हें जल्द ही ट्रक में लोड कर लिया जाएगा। अधिकतम 10 दिन या 2 हफ्ते में हम बंगला खाली कर देंगे।" वे फिलहाल दिल्ली के 5 कृष्णा मेनन मार्ग पर एक टाइप 8 सरकारी बंगले में रह रहे हैं।
पूर्व CJI ने खुलासा किया कि उनके बंगले में उनकी बेटियों की स्वास्थ्य ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए ICU सेटअप बना हुआ है। दोनों बेटियाँ, प्रियंका और माही, एक दुर्लभ नेमालाइन मायोपैथी (Nemaline Myopathy) नामक बीमारी से पीड़ित हैं, जिसकी वजह से उन्हें विशेष देखभाल की ज़रूरत होती है।
उन्होंने बताया, “बाथरूम के दरवाजे तक व्हीलचेयर जा सके, इसका भी ध्यान रखना पड़ता है। ये दोनों बेटियाँ अब किशोरावस्था में हैं, उन्हें अपनी निजता और गरिमा की ज़रूरत है।”
जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताया कि उन्हें जो नया आवास तीन मूर्ति मार्ग पर आवंटित हुआ है, उसमें मरम्मत का काम चल रहा है। ठेकेदार ने जून के अंत तक काम पूरा करने का आश्वासन दिया था। इस दौरान उन्होंने किराए पर घर लेने की भी कोशिश की लेकिन कोई मकान मालिक इतने कम समय के लिए घर देने को तैयार नहीं था।
कोर्ट ने भेजी चिट्ठी, मंत्रालय ने जताई चिंता
गौरतलब है कि पूर्व CJI नवंबर 2024 में सेवानिवृत्त हुए थे। उन्हें अस्थायी रूप से यह बंगला आवंटित किया गया था। लेकिन 8 महीने बाद भी बंगला खाली न होने पर सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय को पत्र लिखकर “अवैध कब्जा हटाने” की मांग की थी।
हालांकि, जस्टिस चंद्रचूड़ ने स्पष्ट किया कि उन्होंने पहले ही 30 अप्रैल, 2025 तक बंगले में रहने की अनुमति मांगी थी।
चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि उनसे पहले भी कई पूर्व न्यायाधीशों को बंगला खाली करने में समय मिला था। उन्होंने सीजेआई संजीव खन्ना और बाद में सीजेआई भूषण गवई से व्यक्तिगत अनुरोध किया था कि उन्हें कुछ महीने का समय और दिया जाए।
बेटियों की हालत पर बोलते हुए उन्होंने कहा, “जब मैं शिमला में था, मेरी बेटी को अचानक सांस लेने में दिक्कत हुई। हमें फ्लाइट से उसे चंडीगढ़ लाना पड़ा, जहां वो 44 दिन ICU में रही। वह अभी भी ट्रेकियोस्टॉमी ट्यूब पर है और उसकी दिन-रात देखभाल की जाती है।”