मोहम्मद शमी की बहन और बहनोई मनरेगा घोटाले में दोषी, होगी 8.68 लाख की वसूली

Authored By: News Corridors Desk | 03 Apr 2025, 11:12 AM
news-banner
भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी की बहन शबीना और बहनोई गजनवी सहित उनके छह अन्य स्वजन के मनरेगा मजदूरी घोटाले में दोषी पाए जाने के बाद प्रशासन ने कठोर कदम उठाए हैं। जांच के अनुसार, ग्राम प्रधान गुले आयशा (शमी की बहन की सास) और तत्कालीन क्षेत्र पंचायत अधिकारी (बीडीओ) प्रतिभा अग्रवाल सहित कुल 11 लोगों को इस घोटाले में दोषी करार दिया गया है।

डीएम ने दिए वसूली और कार्रवाई के आदेश

अमरोहा की जिलाधिकारी निधि गुप्ता वत्स ने ग्राम प्रधान गुले आयशा से 8,68,344 रुपये की वसूली करने और उनके अधिकारों को सीज करने का आदेश दिया है। इसके अलावा, तीन साल के दौरान गांव में तैनात रहे ग्राम पंचायत सचिवों और अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। दोषी पाए गए अधिकारियों में शामिल हैं:

ग्राम पंचायत सचिव: पृथ्वी सिंह, हुमा, अंजुम

रोजगार सेवक: झम्मन सिंह

कंप्यूटर ऑपरेटर: शराफत

अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी (एपीओ): ब्रजभान सिंह

लेखाकार: विजेंद्र सिंह

तकनीकी सहायक: अजय निमेष

इन सभी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने और निलंबन की कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।

बीडीओ के खिलाफ विभागीय कार्रवाई

तत्कालीन बीडीओ प्रतिभा अग्रवाल और पंचायत सचिव वीके सिंह के खिलाफ विभागीय कार्रवाई होगी। डीएम ने निर्देश दिया है कि बीडीओ के खिलाफ ग्राम्य विकास आयुक्त को पत्र भेजा जाएगा। आरोप है कि उन्होंने अधूरे दस्तावेजों के बावजूद मजदूरी भुगतान को मंजूरी दी थी।


जोया क्षेत्र के गांव पलौला की ग्राम प्रधान गुले आयशा ही इस पूरे घोटाले की केंद्र में हैं। उनके बड़े बेटे गजनवी और उनकी पत्नी शबीना, एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे बेटे आमिर सुहेल, वकील शेखू, और नसरुद्दीन ने जनवरी 2021 से अगस्त 2024 तक मनरेगा मजदूर के फर्जी कार्ड बनवा लिए थे।

इन सभी ने बिना काम किए अपने बैंक खातों में मजदूरी का भुगतान प्राप्त किया। इसके अलावा, ग्राम प्रधान की बेटी नेहा परवीन, शबा रानी और शारिया भी 2021 से मनरेगा मजदूर रहीं, लेकिन जब 26 मार्च 2025 को मामला सार्वजनिक हुआ, तो उनका नाम सूची से काट दिया गया।

26 मार्च को डीएम ने दिए थे जांच के आदेश

जिलाधिकारी निधि गुप्ता वत्स ने 26 मार्च 2025 को इस मामले की जांच का आदेश दिया था। जांच बीडीओ और परियोजना निदेशक (पीडी) अमरेंद्र प्रताप सिंह की निगरानी में पूरी की गई और रिपोर्ट डीएम को सौंप दी गई। जांच में पाया गया कि लेखाकार ने पंचायत सचिवों के हस्ताक्षर के बिना ही भुगतान किया, जबकि पंचायत सचिवों ने इस अनियमितता को नजरअंदाज कर दिया।

अब इस घोटाले में शामिल सभी आरोपियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा और वित्तीय वसूली की जाएगी। सभी दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित करने और उनके खिलाफ विभागीय जांच चलाने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। प्रशासन ने यह भी संकेत दिया है कि दोषियों पर और सख्त कार्रवाई की जा सकती है।