बीजेपी समेत तमाम राजनीतिक हलकों में 30 मार्च के दिन का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। कारण है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नागपुर यात्रा। 30 मार्च को नरेंद्र मोदी जब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुख्यालय पहुंचेंगे तो इतिहास रचा जाएगा । यह पहला मौका होगा जब कोई प्रधानमंत्री संघ मुख्यालय पहुंचेंगे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री का यह दौरा कितना महत्वपूर्ण है। माना तो यहां तक जा रहा है कि पीएम मोदी के इस दौरे का सिर्फ बीजेपी ही नहीं बल्कि देश की राजनीतिक दशा और दिशा पर भी बड़ा प्रभाव पड़ेगा।
30 मार्च को प्रधानमंत्री नागपुर में पहले आरएसएस से जुड़े माधव नेत्र अस्पताल की आधारशिला रखेंगे। उस दिन गुड़ी पड़वा है और मराठी नववर्ष की शुरुआत होती है। इस कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद रहेंगे । 2014 के बाद प्रधानमंत्री मोदी और संघ प्रमुख भागवत की ये तीसरी मुलाक़ात है। 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद ये पहला मौका होगा जब प्रधानमंत्री मोदी और संघ प्रमुख माहन भागवत सार्वजनिक रुप से मंच साझा करेंगे।
कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस , केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और अन्य नेता भी मौजूद रहेंगे। अस्पताल की आधारशिला रखने के बाद प्रधानमंत्री नागपुर के रेशमबाग स्थित संघ मुख्यालय भी पहुंचेंगे। बताया जा रहा है कि यहां उनकी मोहन भागवत के साथ अलग से मीटिंग होगी ।
क्यों अहम है प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा
प्रधानमंत्री के आरएसएस मुख्यालय दौरे की टाइमिंग को लेकर काफी चर्चा हो रही है । इसकी वजह यह है कि उनका यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब संघ और बीजेपी नेतृत्व के बीच दूरी बढ़ने को लेकर सोशल मीडिया पर विरोधी एक नई कहानी गढ़ रहे हैं। हालांकि इसके अलावा ये मुलाक़ात इसलिए ज़्यादा अहम हो जाती है कि जल्द ही बीजेपी का नया अध्यक्ष भी चुना जाना है ।
बीजेपी के मौजूदा अध्यक्ष जे पी नड्डा का कार्यकाल पिछले साल ही खत्म हो चुका है। फिलहाल वो एक्सटेंशन पर चल रहे हैं । बताया जाता है कि अगले अध्यक्ष के नाम को लेकर संघ और बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व में सहमति बनाने की क़वायद जारी है । अब अगले महीने नए अध्यक्ष के नाम का एलान होना है। ऐसे में संघ की हरी झंडी जरूरी है।
इस बात की पूरी उम्मीद जताई जा रही है कि नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत की मुलाकात में नए अध्यक्ष के नाम पर भी चर्चा होगी। और सब कुछ ठीक रहा तो लगभग ये नया नाम नागपुर में ही तय भी हो जाएगा। इसके अलावा बैठक में जनसंख्या नीति और धर्मांतरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है ।
आमने-सामने बैठेंगे तो गिले-शिकवे वाले क़िस्से ख़त्म होंगे
पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान संघ को लेकर बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा के बयान के बाद दोनों संगठनों के बीच दूरी बढ़ने की बात कही गई। नड्डा ने ये कहकर संघ के कई नेताओं को नाराज़ कर दिया था कि आज की बीजेपी को संघ की वैसी ज़रूरत नहीं रही, जैसी पहले थी। कहते हैं इस बयान के बाद आरएसएस कार्यकर्ता चुनाव में उस तरह से सक्रिय नहीं हुए, जैसी उम्मीद की जा रही थी।
मतदाताओं के घर-घर जाकर कैंपेन करने वाले कई संघ कार्यकर्ता अपने घरों में सिमट गए। चुनाव में जब बीजेपी को सीटों का नुकसान उठाना पड़ा तब इसे संघ की नाराजगी से ही जोड़कर ज्यादा देखा गया। चुनाव के बाद कई कार्यक्रमों में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने भाषणों में एक शब्द 'अहंकार' का इस्तेमाल किया । मीडिया और राजनैतिक हलकों में इसे बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व पर सांकेतिक प्रहार के रुप में पेश किया गया ।
बाद में हरियाणा , महाराष्ट्र और दिल्ली विधानसभा चुनावों में संघ और उसके कार्यकर्ता पहले की तरह ही सक्रिय नज़र आए। इन चुनावों में जब बीजेपी को अप्रत्याशित जीत मिली तो इसमें संघ और उसके कार्यकर्ताओं की अति सक्रियता को भी एक बड़ा कारण माना गया। इसके बावजूद दोनों संगठनों के नेतृत्व के बीच की दूरी वाली कहानियाँ गढ़ी जाती रहीं। अब उम्मीद की जा रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत की मुलाकात से इस दूरी को लेकर सारा भ्रम ख़त्म हो जाएगा ।
प्रधानमंत्री ने पॉडकास्ट में की संघ की जमकर तारीफ
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा के बीच दूरी बढ़ने की खबरें भले आती रही , परन्तु न तो संघ प्रमुख मोहन भागवत ने और न ही प्रधानमंत्री या बीजेपी के किसी अन्य नेता ने इस बारे में कभी कुछ कहा । हाल ही में अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन को दिए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी ने न सिर्फ एक संगठन के तौर पर संघ का महिमामंडन किया बल्कि अपने जीवन पर इसके प्रभावों का भी जिक्र किया।
उन्होंने संघ से जुड़ने को अपना सौभाग्य बताते हुए कहा कि, यहां आकर उन्हें जीवन जीने का उद्देश्य मिला। यहां से उन्हें अपने लिए नहीं बल्कि समाज और राष्ट्र के लिए जीने की प्रेरणा मिली। इसके पहले भी वो कई अहम मौक़ों पर ख़ुद को संघ का कार्यकर्ता बताकर अनुशासन पर ज़ोर दिया है।