क्या अखिलेश यादव ने मुसलमानों के साथ धोखा किया है ? क्या अखिलेश मुसलमानों का इस्तेमाल सिर्फ वोट के लिए करते हैं ? क्या मुस्लिमों से अखिलेश की मोहब्बत छलावा है ? क्या मुसलमानों की इज्ज़त सपा के लिए सिर्फ उंगलियों पर वोट की स्याही तक सिमटी है ? क्या समाजवादी पार्टी मुस्लिमों को स्लीपर सेल समझती है ? क्या मुसलमानों की नीयत सपा की नज़र में दोयम दर्जे की है ? ये तमाम सवाल ऐसे हैं जिनका ताल्लुक 2027 के चुनाव से भी है इसका ताल्लुक है । लेकिन सवाल उठता है कि इस समय इसको लेकर इतनी बहस क्यों हो रही है ?
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद के बयान से गरमाई सियासत
दरअसल सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद का एक बयान आया है जिसके बाद से बवाल मचा हुआ है । कांग्रेस सांसद के निशाने पर हैं समाजवादी पार्टी और उसके नेता अखिलेश यादव । इमरान ने कहा कि, 'हमें स्लीपर सेल बताना आसान है, क्योंकि आपको बोलता हुआ मुसलमान बर्दाश्त नहीं होता । तमाम इश्यू पर खामोशी और आपकी पार्टी की लाइन मुसलमानों को बेचैन करती है। मुकदमा दर्ज कराकर मुसलमानों की आवाजों को खामोश कर दिया गया ।
जो मुसलमानों की आवाज उठाएगा, उसे आप बीजेपी का स्लीपर सेल बताएंगे । आपको सिर्फ दरी बिछाने वाले चाहिए । आपको ऐसा मुसलमान चाहिए जो चुप रहे। अखिलेश के PDA में मुसलमान कहां है ? जब मैं अपनी पार्टी के उत्थान की बात कर रहा हूं तो आप सीधे हमला करने की कोशिश कर रहे। मैं बीजेपी का स्लीपर सेल क्यों बनूंगा ?'
इमरान मसूद के नाराजगी की असली वजह क्या है ?

पिछले दिनों समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता और घोसी से सांसद राजीव राय का एक बयान आया था जिसमें निशाने पर थे इमरान मसूद । राजीव राय ने कहा कि, 'इमरान का अनर्गल बयानबाजी से इंडिया गठबंधन कमजोर हो रहा । इंडिया गठबंधन ने मिलकर चुनाव लड़ और भाजपा को हराया ।
आने वाले विधानसभा चुनाव में भी इंडिया गठबंधन मिलकर चुनाव लड़ेगा। यह निर्णय कांग्रेस के शीर्ष नेता और हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष करेंगे। इमरान मसूद को न कांग्रेस ने अधिकृत किया है, न ही वो इंडिया गठबंधन के प्रवक्ता हैं और न ही उत्तर प्रदेश के प्रभारी हैं। वो खुद सपा के सहारे जीते हुए एक सांसद हैं। उनको ऐसी भाषा नहीं बोलनी चाहिए, जिसकी उम्मीद भाजपा करती है।'
राजीव राय ने आगे कहा कि , 'दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, महासचिव हैं। वो लोग कुछ नहीं बोल रहे हैं। बार-बार ये भाषा वो क्यों बोल रहे हैं, जिससे भाजपा को फायदा पहुंच रहा। भाजपा तो यही चाहेगी न लोकसभा चुनाव में हारने के बाद कैसे भी यह गठबंधन टूट जाए। हम विधानसभा चुनाव जीत जाएं। इमरान बीजेपी के स्लीपर सेल हैं।'
सपा नेता के इस बयान ने इमरान मसूद तिलमिला उठे और उन्होने जवाबी हमला बोल दिया ।
मुस्लिम वोट और उसका रहनुमा बनने की लड़ाई ?

इमरान मसूद पिछले कुछ समय से लगातार मुसलमानों से जुड़े मुद्दों को मुखरता से उठा रहे हैं । उन्होने समाजवादी पार्टी के मुस्लिम पॉलिटिक्स पर भी गंभीर सवाल उठाये हैं । इमरान मसूद ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि, जितने बोलने वाले मुसलमान हैं, उन्हे तो आपने खत्म कर दिए ।
आजम खान , इरफान सोलंकी और कादिर राणा जैसे नेताओं का जिक्र करते हुए इमरान मसूद ने कहा कि इन सबकी बर्बादी सामने है । इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा है कि 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को सम्मान जनक सीटें मिलती हैं, तभी सपा के गठबंधन होगा ।
इमरान मसूद के बयानों ने समाजवादी पार्टी और उसके शीर्ष नेतृत्व को काफी असहज कर दिया है । दरअसल यह लड़ाई सिर्फ इमरान मसूद और सपा की नहीं है, बल्कि कांग्रेस और सपा के बीच चल रही रस्साकशी की झलक है ।
उत्तर प्रदेश की राजनीति पर नजर रखने वाले कई जानकारों का मानना है कि कांग्रेस इमरान मसूद को आगे कर मुस्लिम वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है । उधर आजम खान के राजनैतिक पतन के बाद इसी बहाने इमरान मसूद भी खुद को प्रदेश में सबसे बड़े मुस्लिम चेहरे के रुप में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं ।
क्या मुसलमानों पर अखिलेश की पकड़ कमजोर पड़ रही है ?
पूरे मामले पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अब तक चुप्पी साध रखी है । राजनीति के कई जानकारों का मानना है कि आजम खान के मामले के बाद से समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव पर मुसलमानों का भरोसा कम हुआ है । खासकर जबसे आजम खान ने अखिलेश पर मुसीबत में साथ छोड़ देने का आरोप लगाया उसका काफी असर पड़ा है ।
2022 के चुनाव में समाजवादी पार्टी को मिले 33 फीसदी से ज्यादा वोट मिले जिसमें 19 फीसदी नोट मुस्लिमों के थे । प्रदेश की मुस्लिम आबादी के लिहाज से अगर देखा जाए तो डाले गए कुल मुस्लिम वोटों का 82 फीसदी सपा को मिला ।कमोबेश यही स्थिति 2024 के लोकसभा चुनाव में भी रही । मुस्लिमों के तकरीबन 80-90 फीसदी वोट समाजवादी पार्टी को मिले ।
पिछले चुनावों में भले ही ये आंकड़े समाजवादी पार्टी के पक्ष में रहे हों, लेकिन जिस तरह से अब मुस्लिमों को लेकर बयानबाजी हो रही है वह अखलेश यादव को काफी असहज करने वाली है ।
दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में अपना पांव जमाने की कोशिश कर रही कांग्रेस इस मौके को भुनाने की कोशिशों में जुटी है । उसकी नजर खास तौर से मुस्लिम वोटों पर है । ऐसे में यदि कांग्रेस अपनी मुहिम में कामयाब होती है और मुस्लिम वोटों का समीकरण बदलता है तो 2027 में सपा के लिए परेशानी का सबब बन सकता है ।