भारत और जापान के रिश्तों में शुक्रवार को एक नया मोड़ आया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा की टोक्यो में मुलाकात हुई । इस शिखर वार्ता के दौरान दोनों देशों के बीच अगले 10 वर्षों के लिए एक व्यापक रणनीतिक रोडमैप पर सहमति बनी । इसके तहत निवेश, तकनीक, अंतरिक्ष सहयोग, नवाचार और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में साझेदारी को और मजबूत किया जाएगा ।
इस शिखर बैठक के दौरान कुल 13 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जिनमें सबसे अहम भारत के चंद्रयान-5 मिशन में जापान की साझेदारी और भारत में 10 ट्रिलियन येन निवेश का लक्ष्य रहा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारत-जापान संबंधों में "नए और सुनहरे अध्याय की नींव" बताया और कहा कि यह साझेदारी न केवल दोनों देशों के हित में है, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए भी बेहद जरूरी है ।
जापान की तकनीक और भारत की प्रतिभा एक विनिंग कॉम्बिनेशन-नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा,"हमारा मानना है कि जापान की तकनीक और भारत की प्रतिभा एक विनिंग कॉम्बिनेशन है। हम जहां हाई-स्पीड रेल पर काम कर रहे हैं, वहीं अगली पीढ़ी की मोबिलिटी साझेदारी के तहत हम बंदरगाहों, विमानन और जहाज निर्माण जैसे क्षेत्रों में भी तेजी से प्रगति करेंगे। चंद्रयान 5 मिशन में सहयोग के लिए हम इसरो और जाक्सा के बीच हुए समझौते का स्वागत करते हैं। हमारा सक्रिय सहयोग पृथ्वी की सीमाओं को पार करेगा और अंतरिक्ष में मानवता की प्रगति का प्रतीक बनेगा ।" प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और जापान की साझेदारी आपसी विश्वास पर आधारित है और यह दोनों देशों की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ-साथ साझा मूल्यों का प्रतिबिंब है।
एक-दूसरे की ताकत का लाभ उठाने की जरूरत: शिगेरू इशिबा
इस मौके पर जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने इस शिखर वार्ता के बाद कहा कि भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए हमें एक-दूसरे की ताकत का लाभ उठाने की जरूरत है । जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने 6 साल पहले की अपनी वाराणसी यात्रा को भी याद किया । उन्होंने कहा, 'मुझे अगस्त 2019 में वाराणसी जाने का सौभाग्य मिला था. मैं अनादि काल के भारतीय इतिहास को देखकर अभिभूत था।'
उन्होंने कहा कि भारत की सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया था । उन्होंने यह भी कहा कि भारत-जापान के सांस्कृतिक संबंधों को और सशक्त बनाने की दिशा में कई कदम उठाए जा रहे हैं। बता दें कि दोनों देशों ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान, शिक्षा, शोध और युवाओं के बीच संपर्क को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग स्तरों पर सहयोग के प्रस्तावों पर भी सहमति दी है।
चंद्रयान-5 मिशन में सहयोग
भारत और जापान की अंतरिक्ष एजेंसियों, इसरो (Indian Space Research Organisation) और जाक्सा (Japan Aerospace Exploration Agency- JAXA) ने चंद्रयान-5 मिशन में आपसी सहयोग का फैसला किया है । इसरो के चंद्रयान मिशन में जापान की तकनीकी सहायता को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस समझौते के तहत दोनों देश मिलकर चंद्रमा के अध्ययन के लिए नई तकनीक, डेटा शेयरिंग और वैज्ञानिक शोध में काम करेंगे ।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत-जापान की यह साझेदारी न केवल विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ने का उदाहरण होगी, बल्कि हमारा सक्रिय सहयोग पृथ्वी की सीमाओं को पार करेगा और अंतरिक्ष में मानवता की प्रगति का प्रतीक बनेगा । बता दें कि इससे पहले दोनों देश हाई-स्पीड रेल ( बुलेट ट्रेन ) प्रोजेक्ट में भी भारत को जापान का सहयोग मिल रहा है ।अब दोनों देश अंतरिक्ष कार्यक्रम में भी सहयोग करेंगे ।
भारत में 10 ट्रिलियन येन निवेश
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और जापान ने अगले 10 वर्षों में भारत में 10 ट्रिलियन येन, यानी लगभग 5.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य तय किया है । यह निवेश बुनियादी ढांचे, मैन्युफैक्चरिंग, डिजिटल तकनीक, ग्रीन एनर्जी और हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में किया जाएगा। पीएम मोदी ने बताया कि इस निवेश से भारत में नौकरियों के नए अवसर बनेंगे और जापानी कंपनियों को भारत के विशाल उपभोक्ता बाज़ार का लाभ मिलेगा।
उन्होंने कहा कि भारत-जापान की साझेदारी में छोटे और मझोले उद्योग (MSMEs) और स्टार्टअप्स को विशेष महत्व दिया जाएगा। दोनों देश इन क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक साझा मंच तैयार करेंगे। प्रधानमंत्री ने जापानी कंपनियों से ‘मेक इन इंडिया’ के तहत भारत में उत्पादन शुरू करने का आग्रह किया और कहा कि यह दोनों देशों के लिए लाभकारी होगा।
डिजिटल, एआई और हाई-टेक सेक्टर में समझौते
भारत और जापान ने उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में भी सहयोग को और आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है। डिजिटल पार्टनरशिप 2.0 और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कोऑपरेशन इनिशिएटिव के तहत दोनों देश सेमीकंडक्टर उत्पादन, डेटा सिक्योरिटी, साइबर सुरक्षा, और क्लीन एनर्जी तकनीक पर मिलकर काम करेंगे। इसके अलावा, रेयर अर्थ मिनरल्स की उपलब्धता और आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए रणनीतिक योजना बनाई जाएगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हाई-टेक सहयोग दोनों देशों के विकास के लिए जरूरी है। उन्होंने यह भी बताया कि अगली पीढ़ी की मोबिलिटी साझेदारी के तहत बंदरगाह, जहाज निर्माण, और विमानन जैसे क्षेत्रों में भी नई पहल की जा रही है।