शीतला अष्टमी एक महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है, जिसे बसोड़ा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन माता शीतला की पूजा की जाती है और बासी भोजन ग्रहण करने की परंपरा होती है। आइए विस्तार से जानें कि यह पर्व कब मनाया जाता है, इसका महत्व क्या है, और इस दिन बासी भोजन क्यों खाया जाता है।
शीतला अष्टमी कब है 2025 में?
शीतला अष्टमी होली के आठवें दिन के बाद चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। साल 2025 में, यह पर्व 22 मार्च (शनिवार) को मनाया जाएगा।
शीतला अष्टमी का महत्व
माता शीतला को रोग नाशिनी देवी माना जाता है। मान्यता है कि उनकी पूजा करने से संक्रामक बीमारियों, जैसे चेचक, खसरा और अन्य त्वचा रोगों से बचाव होता है। यह पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और मध्य प्रदेश में श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
इस दिन क्यों खाते हैं बासी भोजन?
1. धार्मिक कारण
शीतला माता को ठंडा और शुद्ध भोजन अर्पित करने की परंपरा है। भक्तों का विश्वास है कि इस दिन बासी भोजन खाने से माता शीतला प्रसन्न होती हैं और परिवार को बीमारियों से बचाती हैं।
2. वैज्ञानिक कारण
गर्मियों की शुरुआत में भोजन जल्दी खराब हो सकता है। प्राचीन काल में, इस पर्व के माध्यम से लोगों को यह सिखाया गया कि भोजन को सही तरीके से संरक्षित करने का महत्व क्या है।
शीतला अष्टमी की पूजा विधि
प्रातः स्नान करके शीतला माता का पूजन करें।
माता को बासी रोटी, पूड़ी, मीठे चावल और दही का भोग लगाएं।
परिवार के सभी सदस्य बासी भोजन ग्रहण करें।
माता शीतला की कथा सुनें और स्वास्थ्य व सुख-समृद्धि की कामना करें।
शीतला अष्टमी सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और स्वच्छता का प्रतीक भी है। इस दिन माता शीतला की उपासना करने से परिवार को बीमारियों से सुरक्षा मिलती है, और बासी भोजन ग्रहण करने की परंपरा एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी प्रस्तुत करती है।