भारतीय युवाओं का अमेरिकी सपना हुआ महंगाा।
1 लाख नहीं 88 लाख में मिलेगी अमेरिका में एंट्री।
अब अमेरिका में नौकरी करना आसान नहीं रहा।
मोदी से किस बात का बदला ले रहे डोनाल्ड ट्रंप?
क्या महंगा अमेरिकी सपना आपदा में है अवसर?
कई अमेरिकी कंपनियों पर भी पड़ेगी गहरी चोट।
अमेरिका, भारतीय युवाओं के सपनों की ऊंची उड़ान की हद होता है। कल्पना की दुनिया में बुने ख्वाबों को हकीकत की ज़मीन पर उतार लाने का जरिया है। अमेरिका लेकिन भारतीय युवाओं के इस अमेरिकी सपने पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुठारा घात किया है। जिसकी सबसे बड़ी मार भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स के ऊपर पड़ा है। वैसे तो मेडिकल और हॉस्पिटलिटी समेत कई क्षेत्र में अमेरिका जाकर अपने सपने पूरे करने का ख्वाब देखने वाले भारतीयों की उम्मीदें धूमिल हुई हैं। लेकिन उससे भी बड़ी समस्या उन भारतीय कामगारों के लिए है। जो अमेरिका में काम कर रहे हैं और H1B Visa मिलने के इंतज़ार में हैं। अमेरिका में ऐसे 56 हज़ार से ज्यादा युवाओं के सपनों पर करारी चोट पड़ी है, जबकि अमेरिका में काम कर रहे 7 लाख से ज्यादा भारतीय युवाओं को अब अपने भविष्य पर संकट मंडराता नज़र आने लगा है।
ट्रंप ने की भारतीयों की दीवाली काली!
अभी-अभी तो लाखों भारतीय युवाओं ने दीपावली के दिए अपने घर पर जलाने का सपना देखा था और दीपावली पर घर आने के लिए टिकट कटाया था। कुछ तो एयरपोर्ट तक पहुंच गए थे दीपावली पर स्वदेश आने के लिए, लेकिन ऐन मौके पर जो ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका में H1B Visa की फीस 88 लाख करने की घोषणा कर दी। ये वही H1B Visa है, जिसकी फीस इससे पहले एक लाख रुपये से लेकर 6 लाख रूपये तक हुआ करती थी। लेकिन जैसे ही अमेरिकी कंपनियों को फीस बढ़ाने की जानकारी लगी। उन्होंने तुरंत उन कामगारों को मेल भेजकर या फोन कर तुरंत घर जाने का प्लान रद्द करने का नोटिस जारी किया और एक लाख से ज्यादा भारतीय जो इसबार दीपावली अपने घर भरत में मनाना चाहते थे। वो मन मसोस कर रह गए और उन्होंने घर आने का प्लान कैंसिल कर दिया। अमेरिका में रहकर काम कर रहे इन भारतीय प्रोफेशनल्स को डर है, कि एक बार घर गए तो अमेरिका वापसी मुश्किल हो जाएगी। लिहाजा उन्होंने घर आने का प्लान कैंसिल कर दिया।
युवाओं के अमेरिकी सपने की आस धूमिल!
ट्रंप के H1B Visa की फीस सीधे 88 लाख किए जाने का सबसे ज्यादा मलाल उन भारतीय युवाओं को है। जो अमेरिका जाने की सारी प्रक्रिया पूरी कर चुके थे और जो सोच रहे थे, कि वो एक लाख से 6 लाख के बीच फीस जमा करेंगे और फिर अपने अमेरिकी सपने को ऊंची उड़ान देंगे, लेकिन उन्हें क्या पता था। कि उनके सपनों को आकार लेने से पहले ट्रंप उसकी भ्रूण हत्या कर देंगे।
क्या अमेरिका छोड़ देंगी अमेरिकी कंपनियां?
अब सवाल ये उठता है कि- अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप आखिर ऐसा क्यों कर रहे हैं। मेक अमेरिका ग्रेट अगेन के उनके अभियान में ये फैसला आखिर कैसे मदद करेगा। कहीं ट्रंप अमेरिका को महान बनाने के नाम पर अमेरिकियों और वहां की कंपनियों को गर्त में तो नहीं ढकेल रहे हैं। जो अमेरिकी अपनी चाय बनाने से लेकर तमाम ऐशो-आराम के लिए विदेशी कामगारों की सेवाएं लेते हैं। वीज़ा फीस 88 गुना बढ़ाकर ट्रंप उनकी कौन सी मदद करेंगे। जिन अमेरिकी कंपनियों की ग्रोथ, उनका भूत, भविष्य और वर्तमान विदेशी प्रोफेशनल्स तय करते हैं। आखिर ट्रंप के इस फैसले से उन कंपनियों को क्या हासिल होगा, क्या अमेरिकी कंपनियों का काम-काज ठप नहीं हो जाएगा? क्या वो उन कंपनियों पर डूबने, रेस में पिछड़ने और अमेरिका से पलायन करने का दबाव नहीं बनेगा। गौरतलब है, कि अमेरिकी आईटी, मेडिकल, सर्विस सेक्टर, होटल समेत तमाम इंडस्ट्रीज में 80 प्रतिशत के करीब विदेशी नागरिक काम करते हैं।उनमें से भी 70 प्रतिशत भारतीय कामगार इन तमाम अमेरिकी इंडस्ट्रीज को आगे बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं। उन प्रोफेशनल्स की अमेरिका में एंट्री रोक कर आखिर ट्रंप कौन सा ऐसा तीर मारेंगे जिससे अमेरिका फिर से महान बन जाएगा।
क्या मोदी से दुश्मनी निभा रहे हैं ट्रंप?
प के इस फैसला का सीधा और सबसे ज्यादा असर भारत पर पड़ेगा। ऐसे में सवाल ये उठता है, कि- दोस्त-दोस्त कहते-कहते ट्रंप कहीं मोदी से दुश्मनी तो नहीं निभा रहे हैं, क्योंकि अपने पहले कार्यकाल में तो मोदी को अपना बेस्ट फ्रेंड और बॉस बताने वाले ट्रंप आखिर अपने दूसरे कार्यकाल में इतना बदहवास क्यों नज़र आ रहे हैं। पहले तो उन्होंने 25 प्रतिशत टैरिफ और 25 प्रतिशत पेनाल्टी टैरिफ लगाकर भारत के साथ करीब 63 लाख करोड़ रुपये के कारोबार पर बड़ी चोट की। उसके बाद अब H1B Visa की कीमत 88 लाख रुपये कर लाखों भारतीय युवाओं के सपने पर पानी फेर दिया। अब सवाल ये उठता है कि- आखिर ट्रंप ने ऐसा क्यों किया? तो इसका सीधा-सीधा एक जवाब तो ये दिखता है कि- ट्रप ने भारत के पाकिस्तान पर ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च करने के बाद युद्ध विराम का श्रेय लेने की कोशिश की। 25 से 30 बार उन्होंने सीज फायर करवाने का दावा किया,लेकिन भारत ने उनके दावे की हवा निकाल दी।