भारत बना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, जापान को छोड़ा पीछे

Authored By: News Corridors Desk | 25 May 2025, 01:07 PM
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भारत ने आर्थिक क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए जापान को पछाड़ दिया है। अब भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। यह जानकारी नीति आयोग के CEO बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने दी। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि अगले कुछ वर्षों में भारत तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।

भारत की अर्थव्यवस्था अब 4,000 अरब डॉलर के पार

नीति आयोग की 10वीं शासी परिषद बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए सुब्रह्मण्यम ने बताया कि भारत की कुल अर्थव्यवस्था अब 4,000 अरब डॉलर (4 ट्रिलियन डॉलर) के आंकड़े को पार कर चुकी है। यह उपलब्धि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के आंकड़ों पर आधारित है।

भारत से आगे हैं ये तीन देश

नीति आयोग के सीईओ के अनुसार, वर्तमान में केवल तीन देश ऐसे हैं जिनकी अर्थव्यवस्था भारत से बड़ी है:

अमेरिका

चीन

जर्मनी

उन्होंने आशा जताई कि अगर भारत ने अपनी आर्थिक योजनाओं और रणनीतियों पर मजबूती से अमल किया, तो ढाई से तीन वर्षों में यह देश तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

मैन्युफैक्चरिंग के लिए भारत बना आकर्षक गंतव्य

सुब्रह्मण्यम ने यह भी कहा कि वैश्विक स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग का केंद्र भारत की ओर शिफ्ट हो रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एप्पल की मैन्युफैक्चरिंग को अमेरिका में लाने के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा,

"टैरिफ रेट्स को लेकर अनिश्चितता हो सकती है, लेकिन मौजूदा रुझानों को देखते हुए भारत मैन्युफैक्चरिंग के लिए सस्ती और व्यवहारिक जगह बन रहा है।"

नीति आयोग अब उन सरकारी संपत्तियों को बाजार में लाने की दूसरी योजना की तैयारी कर रहा है, जिन्हें मौजूदा समय में पर्याप्त उपयोग नहीं किया जा रहा। सुब्रह्मण्यम ने कहा कि इसकी घोषणा अगस्त 2025 में की जाएगी।

GDP ग्रोथ रेट 6.8% रहने का अनुमान

आर्थिक मोर्चे पर एक और अच्छी खबर यह है कि वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में देश की GDP ग्रोथ रेट 6.8% रहने का अनुमान है।
केयरएज रेटिंग्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह वृद्धि खेती, होटल, ट्रांसपोर्ट और निर्माण जैसे क्षेत्रों के मजबूत प्रदर्शन की वजह से है।

रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण भारत में लोगों की खरीदारी की क्षमता में इजाफा हुआ है, जिससे खपत में मजबूती आई है। हालांकि, शहरी क्षेत्रों में उपभोग का स्तर मिला-जुला रहा है।