शत्रु संपत्ति मामला:कानूनी लड़ाई हारे तो छोटे 'नवाब' के हाथ से निकल जाएगी हजारों करोड़ की प्रोपर्टी

Authored By: News Corridors Desk | 25 Mar 2025, 06:16 PM
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वैसे तो यह मामला सीधे-सीधे भोपाल के शाही परिवार, जिसके वारिस हैं बॉलीवुड स्टार सैफ अली खान से जुड़ा है । परन्तु इसकी जद में लाखों लोग हैं । हम बात कर रहे हैं भोपाल रियासत की हजारों करोड़ की संपत्तियों की जिसे सरकार ने शत्रु संपत्ति घोषित कर रखी है । 

 इसका मतलब यह है कि सरकार अब शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत इस संपत्ति को जब्त कर सकती है । सैफ और उनका परिवार फिलहाल इस फैसले के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहा है । शाही परिवार की कुल संपत्ति दस हजार करोड़ से लेकर पंद्रह हजार करोड़ रुपये के बीच होने का अनुमान लगाया जाता है । 
 
भोपाल का अहमदाबाद पैलेस, फ़्लैग स्टाफ़ हाउस, नूर-उस-सबा पैलेस, दार-अस-सलाम, हबीबी का बंगला और कई सौ  एकड़ भूमि ... ये वो संपत्तियां हैं जो इस लड़ाई के केंद्र में है । फ़्लैग स्टाफ़ हाउस वो जगह है जहां सैफ़ अली ख़ान का बचपन बीता है । 

शाही परिवार की जमीन के कुछ हिस्सों को पहले बेचा जा चुका है । जमीन के बड़े हिस्से में आबादी बस गई है । इन रिहायशी इलाकों में बड़ी संख्या में लोग रहते हैं । ऐसे में यदि भोपाल रियसत की संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित किया जाता है तो इसका असर इन तमाम लोगों पर पड़ सकता है ।  

बता दें कि पिता मंसूर अली खान पटौदी की मृत्यु के बाद सैफ अली खान को भोपाल रियासत का 'नवाब' घोषित किया गया था । इस लिहाज से वह शाही खानदान के वारिस हैं । परन्तु उनकी यह पदवी और हजारों करोड़ की सम्पत्ति कब तक उनके पास बनी रहेगी , रहेगी भी या नहीं इसको लेकर संशय के बादल मंडरा रहे हैं । 

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हाईकोर्ट के फैसले के बाद बढ़ी परेशानी 

सैफ अली खान और उनके परिवार की परेशानी उस वक्त काफी बढ़ गई जब 13 दिसंबर, 2024 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शाही परिवार की संपत्ति को कस्टोडियन ऑफ़ एनिमी प्रॉपर्टी फॉर इंडिया के शत्रु संपत्ति घोषित करने के फैसले पर लगी रोक हटा ली । 

हाईकोर्ट ने फ़ैसला सुनाते हुए याचिकाकर्ताओं से कहा कि वो शत्रु संपत्ति अधिनियम 2017 में विवादों के निबटारे के लिए गठित अपीलीय प्राधिकरण के पास जाएं । अदालत ने इसके लिए उन्हे 30 दिनों का समय दिया था ।  नए कानून में केंद्रीय गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव को इस तरह की अपीलों के निबटारे का अधिकार दिया गया है । 

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क्या है पूरा मामला ? 

वैसे तो संपत्ति को लेकर भोपाल के शाही परिवार में पहले से ही विवाद चल रहा था । परन्तु संपत्ति को लेकर नया मोड़ तब आया जब दिसंबर 2014 में मुंबई स्थित भारत सरकार की संस्था कस्टोडियन ऑफ़ एनिमी प्रॉपर्टी फॉर इंडिया (सीईपीआई) ने सेफ अली खान को एक पत्र भेजा ।

 इसमें शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968 की धारा 11 का हवाला दोतो हुए सैफ अली खान से संपत्तियों की जानकारी देने को कहा गया था । पत्र में बताया गया था कि , चूंकि नवाब हमीदुल्लाह की सबसे बड़ी बेटी आबिदा पाकिस्तान चली गई थीं और वही उनकी प्रत्यक्ष वारिस थीं, इसलिए कानून के मुताबिक शाही परिवार की सारी संपत्ति शत्रु संपत्ति के दायरे में आती है । 

हालांकि सैफ अली खान की तरफ से शाही परिवार की संपत्तियों का ब्यौरा देने से पहले ही फरवरी 2015 में सीईपीआई ने कानून की धारा 5 के तहत सारी संपत्ति को 'शत्रु संपत्ति’ घोषित कर दिया । इसके बाद सैफ अली खान, उनकी मां शर्मिला टैगोर और उनकी फूफी सबीहा सुल्तान ने सीईपीआई के आदेश को मध्य प्रदेश हाइकोर्ट में चुनौती दी ।

 उनकी याचिका पर अदालत ने पहले फैसले को लागू करने पर स्थगन आदेश जारी कर दिया । परन्तु सुनवाई के बाद 13 दिसंबर, 2024 को रोक हटा ली और याचिकाकर्ताओं से अपीलीय प्राधिकरण के पास जाने को कहा । बताया जाता है कि वहां सुनवाई चल रही है । 

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भोपाल रियासत के विरासत पेंच 

हमीदुल्ला ख़ान भोपाल रियासत के अंतिम नवाब थे । दो बड़े भाईयों की मौत के बाद वर्ष 1926 में उन्होने गद्दी संभाली और 1947 में आजादी के बाद जब देश का विभाजन हुआ तब भारत में ही रहने का फैसला किया । 

हमीदुल्ला ख़ान की तीन बेटियाँ थीं । सबसे बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान, उसके बाद साजिदा सुल्तान और सबसे छोटी राबिया सुल्तान थी ।  बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान को उन्होने अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था । लेकिन, साल 1950 में आबिदा सुल्तान अपने बेटे शहरयार ख़ान के साथ पाकिस्तान चली गईं । शहरयार ख़ान आगे चलकर पाकिस्तान के विदेश सचिव और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष भी बने । 

पिता की मौत के बाद 1962 में भारत सरकार ने मंझली बेटी साजिदा सुल्तान को भोपाल रियासत का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया । साजिदा सुल्तान सैफ अली खान की दादी थीं ।  उनकी शादी पटौदी रियासत के नवाब इफ़्तिख़ार अली ख़ान से हुआ था । उनकी तीन संताने हुईं जिनके नाम हैं मंसूर अली ख़ान पटौदी, सालेहा सुल्तान और सबीहा सुल्तान ।  

 1995 में साजिदा सुल्तान का निधन हो गया । इसके बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत उनकी संतानों में संपत्तियां बांट दी गई । मंसूर अली ख़ान पटौदी ने भी अपने हिस्से की संपत्ति अपने बेटे सैफ अली खान और बेटियों सबा अली ख़ान और सोहा अली ख़ान के नाम कर दी । 

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सैफ अली खान और उनके परिवार की दलील

सैफ अली खान और उनके परिवार ने अपनी याचिका में कस्टोडियन ऑफ़ एनिमी प्रॉपर्टी फॉर इंडिया के आदेश को ये कहते हुए गलत ठहराया है कि उन्हे मामले की पूरी जानकारी नहीं थी । 

सेफ और उनके परिवार का कहना है कि उत्तराधिकारी के रुप में नामांकित नवाब हमीदुल्लाह खान की बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान के पाकिस्तान जाने के बाद भारत सरकार ने उनकी दूसरी बेटी साजिदा सुल्तान को रियासत की हुक्मरान के तौर पर मान्यता दी थी । इसलिए शाही परिवार की विरासत पर उनका कानूनी अधिकार है । 

सैफ और उनके परिवार ने अपनी याचिका में यह भी कहा कि कस्टोडियन ऑफ़ एनिमी प्रॉपर्टी फॉर इंडिया का आदेश भारत में भोपाल रियासत के विलय के वक्त हुए समझौते का भी उल्लंघन है ।

उनका कहना है कि विलय के वक्त समझौते में हुक्मरान की निजी संपत्ति पर कभी सवाल नहीं उठाए जाएंगे और वे राजस्व और वन कानूनों के तहत भी नहीं आएंगी ।
इसके साथ ही तब के हुक्मरान को दिए गए विशेषाधिकार उनके वारिसों को भी दिए जाने की बात समझौते में कही गई थी । 

शरीयत कानून के मुताबिक संपत्ति बंटवारे की मांग

भोपाल के शाही परिवार ने मध्य प्रदेश हाइकोर्ट में याचिका दाखिल करके संपत्तियों का बंटवारा भी शरीयत कानून के मुताबिक करने की मांग भी की है । इसके लिए उन्होने रामपुर के नवाब परिवार से जुड़े केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया है । 

उत्तर प्रदेश के रामुपर के आखिरी नवाब रजा अली खान को भी केंद्र सरकार के साथ हुए विलय के समझौते में कुछ विशेषाधिकार दिए गए थे ।  इसमें उनकी निजी संपत्तियां उनके वारिस को सौंपने की बात कही गई थी ।  1966 में रजा की मौत के बाद केंद सरकार ने सबसे बड़े बेटे मुर्तजा अली खान को उनके वारिस के तौर पर मान्यता दे दी ।

 परन्तु  मुर्तजा के भाई ने इसे मानने से इनकार कर दिया और फैसले को कोर्ट में चुनौती दी । मामला जब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो देश की शीर्ष अदालत ने 2019 में हुक्मरान की निजी संपत्ति मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक उनके सभी कानूनी वारिसों में बांटने का आदेश दिया । 

सुप्रीम कोर्ट के इस फसले के आधार पर रामपुर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने 2021 में बंटवारे के एक मुकदमे का फैसला सुनाया । इसके मुताबिक नवाब की एक वारिस सैयदा महरुनिसा पाकिस्तान चली गई थीं और इसलिए सिर्फ उनका हिस्सा शत्रु संपत्ति के रुप में कस्टोडियन ऑफ़ एनिमी प्रॉपर्टी फॉर इंडिया  के पास रख दिया गया । 

अब यदि भोपाल के शाही परिवार की दलील को अदालत मान लेती है तो संपत्तियों का बंटवारा शरीयत कानून के मुताबिक किया जाएगा । ऐसे में भारत छोड़कर पाकिस्तान चली जाने वाली आबिदा सुल्तान के लिए संपत्ति  एक हिस्सा  तय किया जाएगा और उसे कस्टोडियन ऑफ़ एनिमी प्रॉपर्टी फॉर इंडिया को सौंप दिया जाएगा ।