आज, शशि कपूर की 87वीं जयंती है इस खास मौके पर, हम इस महान अभिनेता की शानदार यात्रा को याद कर रहे हैं। अपने जमाने में वे बॉलीवुड के सुपरस्टार थे, जिन्होंने अपनी अदाकारी से फिल्मों में जान डाल दी। उनका योगदान सिर्फ भारतीय सिनेमा तक ही सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई। उनके निधन के बाद भी, उनके डायलॉग और फिल्में लोगों के दिलों में जिंदा हैं। आइए, उनकी जिंदगी और करियर से जुड़ी खास बातों पर एक नजर डालते हैं।
शशि कपूर का परिवार
शशि कपूर, हिंदी सिनेमा के प्रतिष्ठित 'कपूर खानदान' की दूसरी पीढ़ी के सदस्य थे। वे महान अभिनेता पृथ्वीराज कपूर के सबसे छोटे बेटे थे। शशि कपूर ने प्रसिद्ध अभिनेत्री जेनिफर केंडल से शादी की थी। उनके तीन बच्चे हुए – कुणाल कपूर, करण कपूर और संजना कपूर।
कुणाल कपूर ने शीना सिप्पी से शादी की, जो प्रसिद्ध फिल्म निर्माता रमेश सिप्पी की बेटी हैं। करण कपूर ने लोरना से शादी की और उनके दो बच्चे – जाक कपूर और आलिया कपूर हैं। संजना कपूर ने दो शादियां कीं, पहली आदित्य भट्टाचार्य से और दूसरी वाल्मीक थापर से, जिनसे उन्हें एक बेटा, हमीर थापर हुआ।
शशि कपूर का फिल्मी करियर
शशि कपूर ने अपने करियर की शुरुआत बाल कलाकार के रूप में की थी। उन्होंने अपने पिता पृथ्वीराज कपूर के थिएटर ग्रुप के नाटकों में अभिनय किया। 1940 के दशक के अंत में, उन्होंने शशिराज के नाम से अभिनय की शुरुआत की। वे 'आग' (1948) और 'आवारा' (1951) में युवा राज कपूर की भूमिका निभाते नजर आए।
1950 और 1960 के दशक में उन्होंने खुद को एक प्रमुख अभिनेता के रूप में स्थापित किया। 'जब जब फूल खिले', 'हसीना मान जाएगी', 'शर्मीली', और 'आ गले लग जा' जैसी फिल्मों में उन्होंने रोमांटिक हीरो के रूप में दर्शकों के दिलों पर राज किया।
बॉलीवुड से हॉलीवुड तक का सफर
शशि कपूर उन गिने-चुने अभिनेताओं में से थे जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय सिनेमा में भी नाम कमाया। उन्होंने 12 अंग्रेजी फिल्मों में काम किया, जिनमें 'द हाउसहोल्डर', 'शेक्सपियर वाला', 'बॉम्बे टॉकी' और 'हीट एंड डस्ट' जैसी बेहतरीन फिल्में शामिल हैं। उनका योगदान बॉलीवुड और हॉलीवुड, दोनों जगहों पर सराहा गया।
प्रोडक्शन हाउस और ऑफबीट सिनेमा
1970 के दशक के अंत में, शशि कपूर ने अपना खुद का प्रोडक्शन हाउस 'फिल्म वालास' स्थापित किया। इस बैनर के तहत उन्होंने कई ऑफबीट और अर्थपूर्ण फिल्में बनाईं। 'जुनून', 'कलयुग', 'विजेता', '36 चौरंगी लेन' और 'उत्सव' जैसी फिल्मों ने भारतीय सिनेमा में एक नया मुकाम हासिल किया।
शशि कपूर की उपलब्धियां
शशि कपूर को उनके योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 2011 में भारत सरकार ने उन्हें 'पद्म भूषण' से नवाजा। 2015 में, उन्हें 'दादा साहब फाल्के पुरस्कार' से सम्मानित किया गया, जिससे वे इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले कपूर खानदान के तीसरे सदस्य बने।
शशि कपूर का निधन और उनकी विरासत
लंबी बीमारी के बाद, 4 दिसंबर 2017 को शशि कपूर का 79 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनका जाना भारतीय सिनेमा के लिए एक बड़ी क्षति थी, लेकिन उनकी फिल्में और उनके योगदान आज भी हमें प्रेरित करते हैं।
शशि कपूर का जीवन और करियर एक मिसाल हैं। उनकी यादें, उनकी फिल्में और उनके संवाद आज भी भारतीय सिनेमा प्रेमियों के दिलों में बसे हुए हैं।