प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को श्रीलंका के सबसे बड़े नागरिक सम्मान मित्र विभूषण पदक से नवाजा गया है । उन्हे यह सम्मान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और दोनों देशों की साझा सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को बढ़ावा देने के उनके असाधारण प्रयासों के सम्मान में दिया गया है । अन्य राष्ट्रों द्वारा पीएम मोदी को प्रदान किया जाने वाला यह 22वां सम्मान है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सम्मान के लिए श्रीलंका का धन्यवाद देते हुए कहा कि , ये सिर्फ उनका नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों को सम्मान है ।
श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा दिसानायके के साथ एक जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि, 'यह भारत और श्रीलंका के बीच ऐतिहासिक संबंधों और गहरी मित्रता का सम्मान है । भारत के लिए यह गर्व का विषय है कि हमने एक सच्चे पड़ोसी मित्र के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया है । चाहे 2019 का आतंकी हमला हो, कोविड महामारी हो, या हाल में आया आर्थिक संकट, भारत हर कठिन परिस्थिति में श्रीलंका के लोगों के साथ खड़ा रहा है । '
हमारी पॉलिसी में श्रीलंका का विशेष स्थान- पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि , भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी' और विजन 'महासागर', दोनों में श्रीलंका का विशेष स्थान है । भारत ने 'सबका साथ सबका विकास' के विजन को अपनाया है ।
श्रीलंका का जिक्र करते हुए उन्होने कहा कि, पिछले 6 महीनों में ही हमने 100 मिलियन डॉलर से अधिक राशि के लोन को ग्रांट में बदला है और ब्याज दरों को कम करने का भी फैसला किया है । इससे श्रीलंका के लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है । प्रधानमंत्री ने कहा कि यह कदम दर्शाता है कि आज भी भारत श्रीलंका के साथ मजबूती से खड़ा है।
दोनों देशों के सदियों पुराने रिश्तों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हमारे संबंध आध्यात्मिकता और आत्मीयता से भरे हैं । उन्होने कहा कि त्रिंकोमाली के थिरुकोनेश्वरम मंदिर के जीर्णोद्धार में भारत सहयोग देगा । इसके साथ ही अनुराधापुरा महाबोधी मंदिर परिसर में पवित्र शहर, और नुरेलिया में ‘सीता एलिया’ मंदिर के निर्माण में भी भारत सहयोग करेगा ।
'बौद्ध धर्म भारत से मिला सबसे अनमोल उपहार - दिसानायके
श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने प्रधानमंत्री मोदी की सबका साथ सबका विकास की अवधारणा की सराहना की । उन्होने कहा कि, भारत का समर्थन निश्चित रूप से हमारे लिए महत्वपूर्ण रहा है । पीएम मोदी का जिक्र करते हुए दिसानायके ने कहा कि, "उन्होंने हमेशा श्रीलंका और देश के लोगों की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है. हमें आज श्रीलंका और भारत के बीच ऊर्जा, रक्षा सहयोग, स्वास्थ्य क्षेत्र, बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और ऋण पुनर्गठन के क्षेत्रों से संबंधित द्विपक्षीय समझौते के आदान-प्रदान से प्रसन्नता हो रही है। " श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने बौद्ध धर्म को भारत से मिला सबसे अनमोल उपहार बताया ।
दोनों देशों के बीच पहला औपचारिक रक्षा समझौता
भारत और श्रीलंका के बीच काफी अहम रक्षा समझौता भी हुआ है । दोनों देशों के बीच यह पहला औपचारिक रक्षा समझौता है । श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने भरोसा दिलाया है कि उनका देश अपने क्षेत्र का ऐसा इस्तेमाल नहीं होने देगा, जिससे भारत के सुरक्षा हितों नुकसान पहुंचे । उन्होने कहा, "मैंने श्रीलंका के इस रुख को फिर से दोहराना चाह रहा हूं कि वह अपने भू-क्षेत्र का उपयोग किसी भी ऐसे तरीके से करने की अनुमति नहीं देगा, जो भारत की सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए प्रतिकूल हो।"
इस बयान के जरिए श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के बारे में भारत की चिंताओं को दूर करने की कोशिश की है । रक्षा के अलावा उर्जा, व्यापार, डिजिटलाइजेशन अन्य क्षेत्रों में भी दोनों देशों के बीच कई अहम समझौते हुए हैं । वहां भी आधार जैसी योजना शुरू करने के लिए भारत मदद करेगा ।
श्रीलंका के राष्ट्रपति ने कहा कि, " प्रधानमंत्री मोदी और मैंने कई क्षेत्रों में डिजिटलीकरण में सहयोग की संभावना पर चर्चा की । मैं श्रीलंका की यूनिक डिजिटल आइडेंटिटी प्रोजेक्ट को लागू करने के लिए 300 करोड़ रुपये के वित्तीय अनुदान के लिए भारत सरकार को धन्यवाद देता हूं । "
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि श्रीलंकाई राष्ट्रपति के साथ बैठक में मछुआरों की आजीविका से जुड़े मुद्दों पर भी बात हुई । उन्होने कहा कि, हम इस मामले में एक मानवीय अप्रोच के साथ आगे बढ़ने पर हम सहमत हैं । हमने मछुआरों को तुरंत रिहा किये जाने और उनकी बोट्स को वापस भेजने पर भी बल दिया ।
सामरिक रूप से भारत के लिए श्रीलंका की अहमियत
श्रीलंका भारत का सबसे करीबी द्वीपीय देश है । यह हिंद महासागर में स्थित है और इस लिहाज से इसका काफी सामरिक महत्व है । दरअसल चीन लगातार हिंद महासागर क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है । उसकी नजर खास तौर से भारतीय सामरिक महत्व के क्षेत्रों पर टिकीं हैं ।
भौगोलिक रुप से श्रीलंका वो जगह है जहां से चीन अपनी मंशा को पूरा करने में कामयाब हो सकता है । चीन ने इसके लिए अपनी चिर-परिचित 'कर्ज की कूटनीति ' का सहारा लेकर श्रीलंकाई जमीन का इस्तेमाल करने की योजना बनाई जो आंशिक रुप से सफल भी रही । परन्तु जल्द श्रीलंका को बात समझ में आ गई और उसने भारत का रूख कर लिया ।
दरअसल आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को चीन ने अपने कर्ज के जाल में उलझा रखा है । श्रीलंका ने चीन की मदद से हंबनटोटा बंदरगाह का विकास कार्य शुरू किया । पहले चरण का कार्य पूरा होने तक करीब 1.7 बिलियन डॉलर की लागत आई । श्रीलंका को हर साल 100 मिलियन डॉलर के हिसाब से कर्ज का भुगतान करना था जो वह नहीं कर पाया । इसके बाद चीन ने हंबनटोटा बंदरगाह का 99 साल के लीज पर अधिग्रहण कर लिया ।
भारत और श्रीलंका के संबंधों में 2022 में तनाव आ गया था । इसकी वजह थी चीन का एक मिसाइल और सैटेलाइट ट्रैकिंग जहाज जिसने हंबनटोटा बंदरगाह पर लंगर डाला था । इसके बाद चीन का एक युद्धपोत भी कोलंबो बंदरगाह पर तैनात किया गया था । भारत में इसको लेकर काफी प्रतिक्रिया भी हुई थी । चीन भारत की जासूसी के लिए अकसर अपने जासूसी जहाजों को भेजने की कोशिश करता रहा है ।