वक्फ संशोधन कानून पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, विरोध में 70 से ज्यादा याचिकाएं

Authored By: News Corridors Desk | 16 Apr 2025, 10:39 AM
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वक्फ अमेंडमेंट कानून को लेकर देशभर में जारी विरोध के बीच आज सुप्रीम कोर्ट में इस कानून की वैधता पर बड़ी सुनवाई होने जा रही है। यह मामला जमीयत उलमा-ए-हिंद की ओर से दायर याचिका के चलते शीर्ष अदालत पहुंचा है। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच इस कानून की संवैधानिकता पर विचार करेगी। इस बेंच की अध्यक्षता भारत के मुख्य न्यायाधीश कर रहे हैं।

कपिल सिब्बल पेश करेंगे जमीयत का पक्ष

जमीयत की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पक्ष रखेंगे। सिब्बल पहले ही कोर्ट से आग्रह कर चुके थे कि इस मामले की तत्काल सुनवाई की जाए। कोर्ट द्वारा याचिका को अरजेंट लिस्टिंग में शामिल करने के बाद अब 16 अप्रैल को सुनवाई तय हुई है।

जमीयत के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने इस सुनवाई को लेकर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने लिखा,

"वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट में 16 अप्रैल को सुनवाई होगी। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच सुनवाई करेगी और सीनियर अधिवक्ता कपिल सिब्बल जमीयत का प्रतिनिधित्व करेंगे।"

उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अदालत से न्याय की पूरी उम्मीद है।

जमीयत ने किन प्रावधानों को दी चुनौती?

जमीयत उलमा-ए-हिंद की याचिका में वक्फ अमेंडमेंट कानून के कई प्रावधानों को असंवैधानिक करार दिया गया है। याचिका में अदालत से यह भी अनुरोध किया गया है कि इस कानून को लागू होने से रोका जाए। याचिका में कहा गया है कि यह कानून वक्फ प्रशासन की स्वायत्तता को प्रभावित करता है और वक्फ संपत्तियों की व्यवस्था के लिए विनाशकारी सिद्ध होगा। याचिका का डायरी नंबर 18261/2025 है।

देशभर में जारी है विरोध

वक्फ अमेंडमेंट कानून को लेकर देश की कई मुस्लिम तंजीमों और राजनीतिक दलों ने भी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि यह कानून संविधान के मूल सिद्धांतों और अल्पसंख्यक अधिकारों के खिलाफ है।

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कानून के उस प्रावधान पर खासतौर पर सवाल उठाए हैं, जिसमें एक गैर मुस्लिम को वक्फ बोर्ड का चेयरमैन बनाए जाने की अनुमति दी गई है। ओवैसी ने इसे न केवल धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप बताया, बल्कि समुदाय की भावनाओं के खिलाफ भी बताया।