जीएसटी अफसरों की काली कमाई का नया तरीका: पहाड़ों में अरबों का निवेश कर की सफेदी

Authored By: News Corridors Desk | 06 Oct 2025, 05:32 PM
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उत्तर प्रदेश में जीएसटी विभाग के कुछ अफसरों द्वारा अरबों रुपये की काली कमाई को वैध दिखाने के लिए मिर्जापुर और सोनभद्र के खनिज-समृद्ध पहाड़ों में निवेश करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। आरोप है कि इन अफसरों ने डोलो स्टोन, सैड स्टोन और लाइम स्टोन जैसे कीमती खनिजों वाले पहाड़ों को खरीदा और उनके नाम पर फर्जी टेंडर और टेस्ट रिपोर्ट तैयार कर अरबों की रकम को सफेद कर लिया।

सूत्रों के मुताबिक, एक बिल्डर को सामने रखकर इन अफसरों ने फर्जी खतौनी और नकली सोने की तरह खनिजों की मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार करवाईं। फिर ई-टेंडरिंग प्रक्रिया का सहारा लेकर रॉयल्टी की दरों को कृत्रिम रूप से कई गुना बढ़ा दिया गया। उदाहरण के तौर पर, डोलो स्टोन की कीमत 160 रुपये प्रति घनमीटर से बढ़ाकर 3,000 रुपये प्रति घनमीटर तक कर दी गई। इसी तरह सैड स्टोन की दरें 110 से बढ़कर 1,000 रुपये प्रति घनमीटर तक पहुंच गईं।

सिंडिकेट के जरिए काले धन को सफेद करने का खेल

जांच एजेंसियों का मानना है कि पूरा घोटाला एक संगठित "सिंडिकेट" द्वारा अंजाम दिया गया। इस सिंडिकेट के सदस्य ऊंची बोली लगाकर खनन पट्टे हासिल करते थे, लेकिन कुछ महीनों बाद ही इन पट्टों को बिना खनन किए सरेंडर कर देते थे। इस प्रक्रिया में करोड़ों रुपये वैध लेनदेन के रूप में सामने आते, जिससे काले धन की सफेदी संभव हो जाती थी।

बिल्डर बना अफसरों का मुखौटा

इस पूरे घोटाले में अंबेडकरनगर के एक निजी बिल्डर की अहम भूमिका सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक, यह बिल्डर जीएसटी अफसरों का मुखौटा बनकर काम कर रहा था और उन्हीं के पैसे से जमीन और खनिज संपत्तियां खरीदी जा रही थीं। यह वही बिल्डर है जिसकी संदिग्ध गतिविधियों को लेकर पहले से जांच चल रही थी।

ईडी तक पहुंच सकता है मामला

घोटाले की गंभीरता को देखते हुए आयकर विभाग, राजस्व खुफिया निदेशालय और खनिज विभाग की संयुक्त जांच जारी है। जांच एजेंसियों ने टेंडर दरों और बाजार मूल्य में असामान्य अंतर की पुष्टि के लिए डेटा एकत्र करना शुरू कर दिया है। यदि ये अंतर साबित होते हैं, तो मामला प्रवर्तन निदेशालय को सौंपा जा सकता है।

26 आरोपियों की पहचान, कई पर रिपोर्ट तैयार

राज्य कर विभाग की खुफिया शाखा ने अब तक की जांच में कुल 26 लोगों की संलिप्तता की पुष्टि की है। इनमें से कई के खिलाफ विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा चुकी है और जल्द ही कार्रवाई की जा सकती है। घोटाले की परतें खुलने के साथ ही विभाग के भीतर हड़कंप मचा हुआ है।