AC के तापमान को लेकर सरकार का नया नियम, केन्द्रीय मंत्री खट्टर ने दी जानकारी

Authored By: News Corridors Desk | 11 Jun 2025, 10:43 AM
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देश में चल रही भीषण गर्मी और बढ़ती बिजली की खपत को देखते हुए केंद्र सरकार अब एयर कंडीशनर (AC) के तापमान को लेकर एक नया नियम लागू करने जा रही है। नए नियम के तहत, अब कोई भी एसी 20 डिग्री सेल्सियस से कम या 28 डिग्री सेल्सियस से अधिक पर सेट नहीं किया जा सकेगा। यह नियम घरों, ऑफिसों और वाहनों में लगे सभी एसी पर लागू होगा।

20 डिग्री से नीचे नहीं, 28 डिग्री से ऊपर नहीं चलेगा AC


सरकार के प्रस्तावित नियम के मुताबिक, अब लोग अपने कमरे को 20 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं ठंडा कर पाएंगे और न ही 28 डिग्री सेल्सियस से अधिक गर्म। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह बदलाव जल्द ही पूरे देश में लागू किया जाएगा।

नए नियम का मकसद क्या है?


सरकार का प्राथमिक उद्देश्य ऊर्जा संरक्षण है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कम तापमान पर एसी चलाने से बिजली की खपत बहुत बढ़ जाती है, जिससे न केवल अधिक बिल आता है, बल्कि देश की ऊर्जा मांग पर भी दबाव पड़ता है। यह कदम पर्यावरण संतुलन बनाए रखने और जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।

मंत्री खट्टर ने बताया कि यह कोई नई या अनोखी व्यवस्था नहीं है। जापान और इटली जैसे देशों में पहले से ही ऐसी सीमाएं लागू हैं। उदाहरण के तौर पर, जापान में एसी का तापमान 26 डिग्री सेल्सियस पर सीमित किया गया है, जबकि इटली में 23 डिग्री की सीमा तय की गई है।

अभी AC कितने तापमान तक चलता है?


वर्तमान में मार्केट में उपलब्ध ज्यादातर एसी कम से कम 16 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा करने की क्षमता रखते हैं। नई नीति लागू होने के बाद, कंपनियों को अपने नए उत्पादों में 20 डिग्री की न्यूनतम सीमा और 28 डिग्री की अधिकतम सीमा सेट करनी होगी। यानी जो भी नए एसी बाजार में आएंगे, वे तय तापमान सीमा से बाहर नहीं जा सकेंगे।

यह नियम सभी प्रकार के एसी पर लागू होगा, चाहे वे आवासीय घरों में लगे हों, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में, या फिर गाड़ियों में। यानी घर, ऑफिस और कार - सभी जगह एक ही तापमान सीमा का पालन करना होगा।

सरकार का मानना है कि आम लोग एसी का तापमान अक्सर बहुत कम रख देते हैं, जिससे न केवल बिजली ज्यादा खर्च होती है, बल्कि सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है। नई व्यवस्था लोगों को अधिक ऊर्जा-संवेदनशील और पर्यावरण-अनुकूल आदतें अपनाने के लिए प्रेरित करेगी।