शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों के मोर्चे हटाने के विरोध में पंजाब भर में किसान महापंचायतें आयोजित की जा रही हैं। इन्हीं में से एक बड़ी महापंचायत फतेहगढ़ साहिब के सरहिंद अनाज मंडी में हुई, जहां पर भारतीय किसान यूनियन (एकता सिद्धूपुर) के प्रदेशाध्यक्ष जगजीत सिंह डल्लेवाल ने अपनी 131 दिनों से चल रही भूख हड़ताल समाप्त करने का एलान किया।
गुरुद्वारा साहिब में मत्था टेक कर पहुंचे महापंचायत
महापंचायत में भाग लेने से पहले डल्लेवाल गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब पहुंचे और मत्था टेका। इसके बाद उन्होंने सरहिंद अनाज मंडी में हजारों किसानों को संबोधित करते हुए अपनी भूख हड़ताल समाप्त करने की घोषणा की।
MSP पर कानूनी गारंटी की मांग को लेकर चला था अनशन
डल्लेवाल ने 26 नवंबर 2024 को किसानों की मांगों के समर्थन में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की थी। उनकी प्रमुख मांगों में फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानूनी गारंटी देना प्रमुख थी। इस अनशन के जरिए वह केंद्र सरकार पर दबाव बनाना चाहते थे कि किसानों की जायज मांगों को स्वीकार किया जाए।
केंद्र सरकार की अपील के बाद लिया निर्णय
डल्लेवाल की भूख हड़ताल समाप्त करने की अपील केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने की थी। शिवराज सिंह ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा कि किसान संगठनों और सरकार के बीच बातचीत जारी है, और डल्लेवाल की सेहत हमारे लिए प्राथमिकता है। 4 मई को फिर बातचीत की तारीख तय की गई है।
डल्लेवाल बोले – “सरकार ने किसानों को धोखा दिया”
महापंचायत को संबोधित करते हुए डल्लेवाल ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा,
"एक तरफ सरकार मीटिंग के लिए बुला रही है और दूसरी तरफ हमारे मोर्चों पर जबरदस्ती एक्शन कर रही है। यह किसानों के साथ धोखा है।"
उन्होंने कहा कि जब तक किसानों की मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन जारी रहेगा।
अपने संबोधन में डल्लेवाल ने कहा कि उन्होंने किसानों की भावनाओं का सम्मान करते हुए और आंदोलन की देखभाल के लिए भूख हड़ताल समाप्त करने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा,
"आपने (किसानों) मुझसे आमरण अनशन समाप्त करने को कहा है। मैं आपका ऋणी हूं और आपकी भावनाओं का सम्मान करता हूं।"
संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता हैं डल्लेवाल
जगजीत सिंह डल्लेवाल संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के संयुक्त मंच के वरिष्ठ नेता हैं। उनका यह कदम किसान आंदोलन को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत की संभावना फिर से बनी है।