ईरान और इजरायल के बीच चल रहा घातक संघर्ष अब सातवें दिन में प्रवेश कर चुका है। इस टकराव ने वैश्विक राजनीति को भी झकझोर कर रख दिया है, क्योंकि अब इसमें बड़ी ताकतों की भी एंट्री हो चुकी है। जहां एक ओर रूस ने खुलकर ईरान का समर्थन किया है, वहीं चीन ने क्षेत्र में तत्काल युद्धविराम की अपील की है।
रूस की अमेरिका को चेतावनी
रूस के उप-विदेश मंत्री सर्गेई स्याबकोव ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि अगर वह इजरायल को सीधी सैन्य सहायता देता है, तो यह कदम पूरी स्थिति को गंभीर रूप से अस्थिर कर देगा। उन्होंने कहा, "हम वॉशिंगटन को इस तरह के काल्पनिक विकल्पों के खिलाफ भी चेतावनी देते हैं। यह एक अत्यंत खतरनाक स्थिति बन सकती है।"
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने इजरायली हमलों की निंदा करते हुए कहा कि ईरानी परमाणु बुनियादी ढांचे पर हमले का मतलब है कि "दुनिया तबाही से मिलीमीटर दूर खड़ी है।" इस बयान से रूस की गहरी चिंता का संकेत मिलता है।
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस मुद्दे पर कहा कि रूस और ईरान के बीच मजबूत संबंध हैं और मॉस्को परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में तेहरान के हितों की रक्षा कर सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि इजरायल ने रूस को आश्वासन दिया है कि ईरान के बुशहर परमाणु संयंत्र में काम कर रहे रूसी विशेषज्ञों को कोई नुकसान नहीं होगा। पुतिन ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने ट्रंप और नेतन्याहू दोनों से संपर्क बनाए रखा है और संघर्ष के समाधान के लिए रूस के प्रस्ताव साझा किए हैं।
शी जिनपिंग ने किया युद्धविराम का आह्वान
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी मध्य पूर्व में शांति स्थापित करने की अपील की है। उन्होंने रूस के राष्ट्रपति पुतिन के साथ टेलीफोन पर चर्चा के दौरान कहा, "मौजूदा टकराव के समाधान के लिए सबसे आवश्यक कदम युद्धविराम है।" जिनपिंग ने विशेष रूप से इजरायल से युद्ध रोकने की अपील की और कहा कि बल प्रयोग कभी भी स्थायी समाधान नहीं हो सकता।
शी जिनपिंग ने दोहराया कि चीन हमेशा संवाद और कूटनीति के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के समाधान का समर्थक रहा है। चीन का यह रुख उसकी पारंपरिक विदेश नीति का हिस्सा है, जो टकराव की जगह सहयोग को प्राथमिकता देता है।
यह पहली बार नहीं है जब चीन ने किसी बड़े वैश्विक संकट में अपनी भूमिका स्पष्ट की हो। इससे पहले भी वह यमन, यूक्रेन और फिलिस्तीन जैसे मुद्दों में मध्यस्थता और शांतिपूर्ण समाधान का पक्षधर रहा है। ईरान-इजरायल संघर्ष पर शी जिनपिंग का बयान चीन की वैश्विक कूटनीतिक छवि को और मज़बूती प्रदान करता है।