टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने हाल ही में अपने नेटफ्लिक्स सब्सक्रिप्शन को रद्द कर दिया है। उन्होंने इस कदम के पीछे कारण बताते हुए कहा कि स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स पर बच्चों के लिए आसानी से "हानिकारक" कंटेंट उपलब्ध है, जो उनके मानसिक विकास और सोचने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
अभिभावकों से की अपील
बच्चों के लिए डिजिटल कंटेंट बन रहा खतरा?
एलन मस्क ने दुनियाभर के माता-पिता से अपील की है कि वे अपने बच्चों की डिजिटल आदतों पर नजर रखें और सोच-समझकर कंटेंट चुनें। उन्होंने कहा कि कई शो और फिल्में बच्चों की मासूम मानसिकता पर गलत प्रभाव डाल सकती हैं। ऐसे में जरूरी है कि पैरेंट्स न केवल सजग रहें, बल्कि ज़रूरत पड़ने पर ऐसे सब्सक्रिप्शन रद्द भी करें।
"डिजिटल मास्टरी" पर सवाल
मस्क ने यह भी कहा कि बच्चों को कंटेंट के नाम पर जो परोसा जा रहा है, वह लंबे समय में उनके सोचने, समझने और व्यवहार के तरीके को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि पैरेंटल कंट्रोल होने के बावजूद क्या पेरेंट्स सच में उसका सही इस्तेमाल कर रहे हैं?
नेटफ्लिक्स की सफाई
इस विवाद के बाद नेटफ्लिक्स ने एक बयान जारी कर कहा कि वह बच्चों और परिवारों के लिए एक सुरक्षित अनुभव सुनिश्चित करने के लिए पैरेंटल कंट्रोल के फीचर्स पहले से ही देता है। इसके ज़रिए माता-पिता कंटेंट फिल्टर कर सकते हैं, प्रोफाइल बना सकते हैं और बच्चों के लिए उपयुक्त शो चुन सकते हैं।
भारत में भी बढ़ रही चिंता
भारत में भी बच्चों के स्क्रीन टाइम और डिजिटल कंटेंट को लेकर चिंता बढ़ रही है। हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय बच्चों का औसतन स्क्रीन टाइम रोज़ाना 3 से 4 घंटे तक हो गया है। इसके चलते उनके व्यवहार में भी बदलाव देखे जा रहे हैं, जैसे चिड़चिड़ापन, नींद की कमी और एकाग्रता में गिरावट।
विशेषज्ञों की राय
बाल मनोविज्ञान विशेषज्ञों का मानना है कि यह अभिभावकों की ज़िम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों को सही दिशा दें और यह सुनिश्चित करें कि वे क्या देख रहे हैं। घर पर निगरानी और बातचीत की ज़रूरत अब पहले से कहीं ज्यादा है।