गुरुवार को अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ संशोधन बिल को राज्यसभा में पेश किया। उन्होंने बताया कि यह विधेयक व्यापक चर्चा के बाद तैयार किया गया है और संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था। उन्होंने कहा कि जेपीसी ने इस पर जितना काम किया, उतना किसी अन्य कमेटी ने नहीं किया है। लोकसभा में गहन चर्चा के बाद इसे पारित कर दिया गया।
रिजिजू ने सदन में कांग्रेस सरकार के समय गठित कमेटियों, विशेष रूप से सच्चर कमेटी की सिफारिशों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक कोई नया कदम नहीं है, बल्कि ऐतिहासिक परंपरा के अनुरूप ही लाया गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सभी दल इसका समर्थन करेंगे।
पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर
संशोधित विधेयक में मुसलमानों के धार्मिक क्रियाकलापों में किसी गैर-मुस्लिम द्वारा हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। रिजिजू ने स्पष्ट किया कि इस संशोधन का उद्देश्य पारदर्शिता, जवाबदेही और सटीकता सुनिश्चित करना है। गरीब मुसलमानों को न्याय दिलाना इसका प्राथमिक उद्देश्य है।
रिजिजू ने बताया कि भारत में सबसे अधिक वक्फ संपत्ति मौजूद है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वक्फ संपत्ति को ट्रैक करने की पूरी व्यवस्था की जाएगी। महिलाओं की संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकेगा। विधवा और अनाथ बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया है।
मंत्री ने स्पष्ट किया कि भूमि का मामला राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है और केंद्र सरकार इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगी। यदि कोई संपत्ति विवादित है, तो उसका फैसला अदालत करेगी। यह संशोधन यह सुनिश्चित करेगा कि किसी परिवार की संपत्ति को जबरन वक्फ संपत्ति घोषित न किया जाए।
2013 और 2024 की जेपीसी में अंतर
रिजिजू ने 2013 में गठित जेपीसी और 2024 में गठित जेपीसी के कार्यों में अंतर को भी स्पष्ट किया। 2013 की जेपीसी में 13 सदस्य थे, जबकि 2024 की जेपीसी में 31 सदस्य शामिल थे। इस बार समिति ने 36 बैठकें कीं और 25 राज्यों के अलावा कई अन्य संगठनों और सांसदों से भी चर्चा की।
रिजिजू ने बताया कि इस विधेयक के समर्थन में छोटे-बड़े कुल मिलाकर एक करोड़ सुझाव मिले हैं। संयुक्त संसदीय समिति ने 10 शहरों में जाकर आम जनता से विचार-विमर्श किया और 284 संगठनों से राय ली।