इलेक्ट्रिक पॉलिसी से दिल्ली के पारम्परिक ऑटो-टैक्सी चालकों को सता रहा आजीविका छिनने का डर

Authored By: News Corridors Desk | 24 Apr 2025, 05:38 PM
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दिल्ली सरकार की नई इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी को लेकर राजधानी के ऑटो और टैक्सी चालक समुदाय में संशय की स्थीति है। कई ट्रांसपोर्ट यूनियनों का कहना है कि  
परिवहन विभाग जल्द ही सीएनजी चालित ऑटो और टैक्सी को चरणबद्ध तरीके से इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने की योजना बना रहा है। उनका कहना है कि प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर इसे जबरन लागू किया जा रहा है। जिससे पारम्परिक ऑटो-टैक्सी चालकों के सामने रोजी रोटी की समस्या खड़ी होती दिख रही है। 

ऐसी खबर है कि परिवहन मंत्रालय द्वारा सीएनजी चालित सभी ऑटो-टैक्सी चालकों को रिप्लेसमेंट पाॅलिसी के तहत इलेक्ट्रिक वाहन देने की योजना बनाई जा रही है। 

ऑटो-टैक्सी चालकों ने नीति को बताया श्रमिक विरोधी

ऑटो-टैक्सी चालकों यूनियनों ने सरकार की इस योजना को "श्रमिक और चालक विरोधी" करार दिया है। उनका कहना है कि सरकार ने न तो उनकी राय ली, न ही उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति का आकलन किया। इनका कहना है कि हमारी कुछ बुनियादी मांगे हैं जिनपर सरकार ने वर्षों से ध्यान नहीं दिया है। अब वे एक बार फिर से इन मांगों पर गौर करने के लिए सरकार से अपील कर रहे हैं।   

ऑटो-टैक्सी चालकों की प्रमुख मांगें

ऑटो और टैक्सी यूनियनों ने मिलकर एक संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी की है, जिसमें उन्होंने सरकार से अपनी निम्नलिखित मांगों पर गंभीरता से विचार और शीघ्र समाधान करने की अपील की है:

1 परमिट वैधता की अवधि 15 वर्षों तक बरकरार रखी जाए और इलेक्ट्रिक पॉलिसी को अनिवार्य रूप से लागू करने की मंशा को रद्द किया जाए।

2 सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों में से चालक को अपनी आजीविका के लिए स्वतंत्र रूप से विकल्प चुनने की अनुमति दी जाए।

3 बाइक टैक्सी सेवाओं को दिल्ली में प्रतिबंधित किया जाए, जिससे पारंपरिक सवारी सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

4 लगभग 35,000 डी-रजिस्टर्ड चालकों को तुरंत सीएनजी या इलेक्ट्रिक ऑटो परमिट दिए जाएं।

5 परिचालक के नाम पर परमिट ट्रांसफर की विभागीय प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए, विशेषकर उन मामलों में जहां परमिट होल्डर स्थायी पते पर उपलब्ध नहीं हैं।

6 चालकों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाएं, स्थायी स्टैंड्स और फ्री पार्किंग (जिसमें पेयजल और बैठने की सुविधा हो) शुरू की जाए।

7 फिटनेस प्रमाण पत्र के दौरान वसूला जा रहा पार्किंग शुल्क गैरकानूनी है, इसे तत्काल रोका जाए।

8 ओटीपी अनिवार्यता को समाप्त किया जाए, क्योंकि यह एक नया शोषणकारी तरीका बन गया है।

ऑटो-टैक्सी चालक यूनियनों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार इन मांगों पर शीघ्र विचार नहीं करती, तो उन्हें अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।

जिन यूनियनोंं की तरफ से इस मुद्दे को जोर शोर से उठाया जा रहा है उनमें दिल्ली पब्लिक ट्रांसपोर्ट यूनियन, आजाद हिंद ऑटो टैक्सी ड्राइवर यूनियन, दिल्ली ऑटो तिपहिया ड्राइवर यूनियन, ऑटो टैक्सी चालक सेना यूनियन, दिल्ली ऑटो टैक्सी ग्रामीण सेवा चालक यूनियन शामिल हैं।