उपराष्ट्रपति सी. पी.  राधाकृष्णन ने सुदर्शन रेड्डी को हराया, 152 वोट से जीत हासिल कर बोले, हर बात में राजनीति सही नहीं !

Authored By: News Corridors Desk | 10 Sep 2025, 04:44 PM
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उस तमिलनाडु से जहां बीजेपी के पास ना कोई बड़ा चेहरा है, न कोई सांसद है, न कोई मुख्यमंत्री कभी बना, उस ज़मीन से जुड़े सीपी राधाकृष्णन को बीजेपी ने सीधे देश का उपराष्ट्रपति बना दिया। NDA के उम्मीदवार सी. पी. राधाकृष्ण ने 152 वोट से INDIA गठबंधन के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी को हरा दिया और पूरे तमिलनाडु में खुशी की लहर दौड़ गई। उन्होंने उपराष्ट्रपति बनते ही पहली प्रतिक्रिया दी, और  डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के प्रेरणादायक शब्दों को दोहराया।

जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद हुए उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में 452 सांसदों ने राधाकृष्णन के पक्ष में मतदान किया। और  वहीं, विपक्ष के उम्मीदवार न्यायमूर्ति सुदर्शन रेड्डी को इस चुनाव में 300 लोगों ने अपनी पहली पसंद के वोट दिए। जिसके बाद सी.पी. राधाकृष्णन को भारत का नया  उपराष्ट्रपति बनाया गया।

RSS से जुड़ाव, एवं राधाकृष्णन का पोलिटिकल बैकग्राउंड। 

राधाकृष्णन का परिवार पिछले 25 साल से राजनीति से जुड़ा हुआ है। सी.पी. राधाकृष्णन ने 1970 के दशक में RSS के स्वयंसेवक के रूप में राजनीति में कदम रखा। इसके बाद वे BJS यानि भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी समिति के सदस्य बने और संगठन के कामकाज में अहम भूमिका निभाई। लंबे समय तक सक्रिय कार्यकर्ता रहने के बाद, 1994 में उन्हें तमिलनाडु बीजेपी का सचिव नियुक्त किया गया । उन्होंने 1998 में कोयंबटूर से लोकसभा चुनाव जीतकर डीएमके के एम। रामनाथन को हराया। वे तमिलनाडु से बीजेपी के उन चुनिंदा उम्मीदवारों में शामिल थे जिन्होंने लोकसभा सीट जीती। सांसद के रूप में, उन्होंने कपड़ा पर संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) और वित्त पर परामर्शदात्री समिति के सदस्य, और स्टॉक एक्सचेंज घोटाले की जांच के लिए विशेष संसदीय समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया।2003 में, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 58वें सत्र में भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में मानवीय और आपदा राहत सहायता पर भाषण दिया..इसके बाद उन्हें 2003 से 2006 तक बीजेपी के तमिलनाडु प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. फरवरी 2023 में, उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया। अपने पहले चार महीनों में, उन्होंने झारखंड के सभी 24 जिलों का दौरा किया।मार्च 2024 से जुलाई 2024 तक, उन्होंने तेलंगाना के राज्यपाल और पुडुचेरी के उपराज्यपाल के रूप में अतिरिक्त जिम्मेदारी निभाई।जुलाई 2024 में, वे महाराष्ट्र के राज्यपाल बने।

उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद सीपी राधाकृष्णन का पहला रिएक्शन।

पूरे देश की अच्छी समझ, हर राज्य में लगातार दौरे, दक्षिण का कनेक्शन राधाकृष्णन के चुनाव की वजह बना और आते ही उन्होंने अपने इरादे भी साफ़ कर दिए कि हर बात पर राजनीति करना ठीक नहीं है. साथ ही उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद सी. पी. राधाकृष्णन ने कहा कि हर पद का अपना महत्व होता है और हर पद की अपनी सीमाएँ होती हैं। हमें अपने दायरे में रहकर ही काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने इसे वैचारिक लड़ाई बताया, लेकिन मतदान के पैटर्न से यह साफ दिखा कि राष्ट्रवादी विचारधारा जीत गई।

राधाकृष्णन ने  बताया कि नई भूमिका में वह देश के विकास के लिए अपनी पूरी कोशिश करेंगे। लोकतंत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों अहम हैं और ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की भलाई के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा। यदि हम 2047 तक विकसित भारत चाहते हैं, तो हर चीज में राजनीति नहीं करनी चाहिए और चुनाव के बाद राजनीति को पीछे रखकर विकास पर ध्यान देना होगा।

क्यो डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के प्रेरणादायक शब्दों को दोहराया?

एनडीए उम्मीदवार सी.पी.राधाकृष्णन की उपराष्ट्रपति पद पर जीत के साथ ही संसद में एक नया अध्याय शुरू हो गया है। इसी मौके पर बुधवार को कांग्रेस ने उन्हें जीत की बधाई दी। पार्टी ने इस अवसर पर देश के पहले उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के 1952 में राज्यसभा में कहे गए ऐतिहासिक शब्दों को भी याद किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि लोकतंत्र में विपक्ष को सरकार की नीतियों की स्वतंत्र, निष्पक्ष और स्पष्ट आलोचना की आजादी नहीं दी जाती, तो वह तानाशाही में बदल सकता है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि हम सी.पी.राधाकृष्णन को भारत के नए उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति बनने पर शुभकामनाएं देते हैं। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर हम डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के 16 मई 1952 को राज्यसभा की पहली बैठक में कहे गए प्रेरणादायक शब्दों को याद करते हैं।