बुधवार के दिन करें इस मंत्र का जाप, करियर में मिलेगी सफलता

Authored By: News Corridors Desk | 21 Mar 2025, 07:07 PM
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भगवान गणेश को सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय माना जाता है। किसी भी शुभ काम को शुरू करने से पहले गणेश भगवान को याद किया जाता है, ताकि उस काम में कोई बाधा न आए। भगवान श्री गणेश की पूजा आराधना के लिए बुधवार का दिन सबसे उत्तम माना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विशेष विधि विधान के साथ पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है और जीवन में आ रही सभी बाधाएं दूर होती हैं। आइए जानते हैं करियर व कारोबार में तरक्की के लिए बुधवार के दिन किस उपाय को अपनाकर भगवान गणेश को प्रसन्न कर सकते हैं। 

बुधवार के दिन गणेश भगवान के कुछ मंत्रों के जाप से दरिद्रता दूर होती है और मनचाहा लाभ मिलता है। माना जाता है कि गजानंद का ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र भगवान गणेश के सबसे सरल और प्रभावी मंत्रों में से एक है। बुधवार के दिन इस मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए। इसका जाप आर्थिक प्रगति व समृद्धि के लिए लाभदायक है। पूजा के साथ साथ अगर आप इस दिन कुछ खास बातों का ध्यान रखते हैं, तो कई तरह के अशुभ परिणामों से बच सकते हैं।

 बुधवार को भूलकर भी न करें ये काम 

* बुधवार के दिन किसी से पैसों से जुड़ा लेन-देन नहीं करना चाहिए। साथ ही किसी को उधार भी देने से बचना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि बुधवार का संबंध बुध ग्रह से भी माना गया है। इसलिए इस कार्य को करने से जातक को जीवन में बुरे परिणाम का सामना करना पड़ सकता है। 

* मान्यताओं के अनुसार, बुधवार के दिन बालों से जुड़ी वस्तुएं जैसे कंघी, तेल, साबुन, शैंपू आदि भी नहीं खरीदने चाहिए। ऐसे करने से आपको बुद्ध का प्रकोप झेलना पड़ सकता है।

* इसके अलावा बुधवार के दिन घर आए किसी गरीब व्यक्ति या गाय को भगाना नहीं चाहिए, इससे बुध ग्रह पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वहीं, शुभ फलों की प्राप्ति के लिए गाय को रोटी या फिर हरा चारा खिलाना चाहिए। इसके साथ ही बुधवार के दिन पश्चिम दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए।

पूजा के दौरान आरती के साथ-साथ गजानन के मंत्र का जाप जरूर करें, यह बहुत शुभ होता है। ऐसे में आइए इन मंत्रों के बारे में जानते हैं...

गणेश स्तुति मंत्र

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ॐ श्री गणेशाय नम:।

ॐ गं गणपतये नम:।

ॐ वक्रतुण्डाय नम:। 

ॐ हीं श्रीं क्लीं गौं ग: श्रीन्महागणधिपतये नम:।

ॐ विघ्नेश्वराय नम:।

गजाननं भूतगणादि सेवितं, कपित्थ जम्बूफलसार भक्षितम्।

उमासुतं शोक विनाशकारणं, नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम्।