'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर बोले CDS अनिल चौहान, 'नुकसान नहीं, नतीजे मायने रखते हैं...'

Authored By: News Corridors Desk | 03 Jun 2025, 05:18 PM
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चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने पुणे विश्वविद्यालय में "भविष्य के युद्ध और युद्धकला" विषय पर अपने संबोधन में भारत द्वारा हाल ही में अंजाम दिए गए ऑपरेशन सिंदूर का ज़िक्र करते हुए कहा कि यह केवल एक सैन्य स्ट्राइक नहीं थी, बल्कि रणनीतिक, कूटनीतिक और तकनीकी तालमेल का उत्कृष्ट उदाहरण थी। उन्होंने बताया कि यह ऑपरेशन मात्र 8 घंटे में समाप्त हो गया, जबकि इसके लिए 48 घंटे का आकलन किया गया था।


सीडीएस चौहान ने बताया कि यह ऑपरेशन दर्शाता है कि युद्ध केवल गोलियों और बमों से नहीं लड़ा जाता, बल्कि यह राजनीतिक दबाव और कूटनीतिक संदेशों के माध्यम से भी लड़ा जाता है। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि 10 मई की रात 1 बजे ही पाकिस्तान युद्ध हार चुका था, और इसके बाद उसने बातचीत का प्रस्ताव रखा।

काइनेटिक और नॉन-काइनेटिक युद्ध का सम्मिलन


जनरल चौहान के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर में काइनेटिक (बल आधारित) और नॉन-काइनेटिक (सूचना, साइबर और मनोवैज्ञानिक युद्ध) दोनों तकनीकों का बेहतरीन इस्तेमाल हुआ। उन्होंने जोर देकर कहा कि आधुनिक युद्ध में केवल सेना का पराक्रम नहीं, बल्कि तकनीकी श्रेष्ठता और सूचना का नियंत्रण भी निर्णायक साबित होता है।

भविष्य के युद्धों के संकेत

1. सेंसर टेक्नोलॉजी का क्रांतिकारी इस्तेमाल

इस युद्ध में भारत ने प्राकृतिक और मानव निर्मित सेंसरों का अत्यंत प्रभावी उपयोग किया। यह न केवल दुश्मन की लोकेशन और हरकतों पर नज़र रखने में मददगार साबित हुआ, बल्कि सटीक निर्णय लेने में भी सहायक रहा।

2. ब्रह्मोस और स्टील्थ तकनीक की निर्णायक भूमिका

सीडीएस ने बताया कि ब्रह्मोस जैसी हाइपरसोनिक मिसाइलें और स्टील्थ तकनीक ने भारत की बढ़त को कई गुना बढ़ाया। इसके साथ ही, ड्रोन और मानव रहित हवाई सिस्टम ने दुश्मन के इलाके में बिना खतरे के घुसपैठ की।

3. मानव रहित और स्वायत्त सिस्टम की उपयोगिता

मानवयुक्त टैंकों के साथ-साथ मानव रहित ग्राउंड व्हीकल्स और ड्रोन की भूमिका अहम रही। इससे न केवल मानवीय जोखिम कम हुआ, बल्कि मिशन की सफलता दर भी काफी बढ़ी।

ड्रोन शक्ति में भारत की बढ़त

सीडीएस ने स्पष्ट किया कि भारत की ड्रोन क्षमताएं पाकिस्तान से कहीं अधिक उन्नत हैं। यही कारण रहा कि ऑपरेशन सिंदूर में भारत को तकनीकी बढ़त मिली और दुश्मन की रणनीति ध्वस्त हुई। जनरल चौहान ने युद्ध को एक राजनीतिक उपकरण करार दिया, जिसके माध्यम से राष्ट्र अपने रणनीतिक उद्देश्य पूरे करते हैं।

उन्होंने कहा, "हिंसा केवल तब उपयोगी है जब वह राजनीति को आगे बढ़ाने का साधन बने।"सीडीएस ने पाकिस्तान को आतंकवाद पर लगाम लगाने की सख्त चेतावनी दी। उन्होंने दोहराया कि भारत को किसी भी तरह की धमकी बर्दाश्त नहीं और जवाब देने में भारत बिल्कुल भी पीछे नहीं हटेगा।