दिल्ली हाई कोर्ट में चल रहे एक मानहानि मामले में योगगुरु बाबा रामदेव और पतंजलि फूड्स लिमिटेड ने अदालत के समक्ष हलफनामा दाखिल कर वादा किया है कि वे भविष्य में हमदर्द के रूह अफजा ब्रांड के खिलाफ कोई भी आपत्तिजनक या अपमानजनक टिप्पणी नहीं करेंगे। इसके बाद जस्टिस अमित बंसल ने हमदर्द की याचिका पर सुनवाई समाप्त करते हुए मामला बंद कर दिया।
विवाद की पृष्ठभूमि: विज्ञापन में रूह अफजा पर टिप्पणी
यह विवाद तब शुरू हुआ जब बाबा रामदेव ने पतंजलि के गुलाब शरबत के प्रचार के दौरान रूह अफजा का नाम लेकर यह आरोप लगाया था कि
"रूह अफजा से कमाया गया पैसा मदरसों और मस्जिदों में जाता है।"
हमदर्द नेशनल फाउंडेशन इंडिया ने इस बयान को अपमानजनक और भ्रामक बताते हुए दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया और बाबा रामदेव व पतंजलि के खिलाफ मुकदमा दायर किया।
कोर्ट ने दिया था विवादास्पद सामग्री हटाने का आदेश
22 अप्रैल 2025 को कोर्ट ने रामदेव और पतंजलि को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था जिसमें यह स्पष्ट हो कि वे भविष्य में इस तरह की कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।
1 मई को कोर्ट ने बाबा रामदेव को आदेश दिया कि वह विवादास्पद ऑनलाइन सामग्री को तत्काल हटाएं।
इसके पालन में, बाबा रामदेव और पतंजलि ने अब अदालत में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि वे ऐसी सामग्री दोबारा प्रकाशित नहीं करेंगे और ब्रांड के प्रति कोई अपमानजनक वक्तव्य नहीं देंगे।
हमदर्द के पक्ष में सुनाया गया फैसला
जस्टिस अमित बंसल ने बाबा रामदेव और पतंजलि द्वारा दिए गए हलफनामे को स्वीकार करते हुए उन्हें उनके बयानों और वादों से बाध्य किया और केस को हमदर्द नेशनल फाउंडेशन इंडिया के पक्ष में समाप्त कर दिया।
यह फैसला साफ संकेत देता है कि प्रसिद्ध हस्तियों को अपने वक्तव्यों के प्रति जिम्मेदार रहना होगा, खासकर तब जब वे सीधे तौर पर किसी ब्रांड या समुदाय से जुड़े हों।