उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर लगातार बढ़ती भीड़ को देखते हुए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है । योगी सरकार ने 'यूपी बेड एंड ब्रेकफास्ट (बीएंडबी) और होम स्टे नीति-2025' को मंजूरी दे दी है। इससे राज्य में आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को ठहरने में काफी सहुलियत होगी और अन्य सुविधाएं भी आसानी से मिल सकेंगी ।
जब से काशी में बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण और अयोध्या में श्रीराम मंदिर की स्थापना हुई है, राज्य में तीर्थयात्रा और धार्मिक पर्यटन के लिए आने वाले लोगों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हुई है । इसकी वजह से लोगों को ठहरने में परेशानी का सामना करना पड़ता है ।
खासकर विशेष धार्मिक अवसरों पर जब श्रद्धालुओं की भीड़ काफी बढ़ जाती है, तब ठहरने के लिए जगह की कमी पड़ने लगती है । इसकी वजह से होटलों और ठहरने के अन्य जगहों का किराया भी बढ़ा दिया जाता है । इसे देखते हुए योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है, आनेवाले दिनों में जिसका सीधा फायदा पर्यटकों के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भी मिलेगा ।
मथुरा और मिर्जापुर को भी नया स्वरुप देने की तैयारी

काशी और अयोध्या के बाद अब श्रद्धालुओं और पर्यटकों का रुझान मिर्जापुर और मथुरा की ओर भी तेजी से बढ़ रहा है । मां विंध्यवासिनी धाम में देशभर से भक्त आ रहे हैं, और सरकार वहां भी वाराणसी की तर्ज़ पर एक भव्य कॉरिडोर का निर्माण करवा रही है।
इसी तरह मथुरा और वृंदावन के कायाकल्प की भी तैयारी है । वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर के आस-पास कॉरिडोर निर्माण की योजना पर कार्य शुरू हो चुका है । हालांकि स्थानीय पुजारियों की ओर से इसका विरोध हो रहा है परन्तु सरकार इस मामले को लेकर काफी गंभीर दिख रही है ।
श्रद्धालुओं को सहुलियत और स्थानीय लोगों को रोजगार

'यूपी बेड एंड ब्रेकफास्ट और होम स्टे नीति-2025' को लेकर आने के पीछे योगी सरकार की दोहरी योजना है । इससे एक ओर जहां धार्मिक स्थलों की यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं और पर्यचकों को रहने-खाने जैसी सहुलियतें मिलेगी, वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए द्वार भी खुलेंगे ।
राज्य सरकार की नई नीति के तहत अब कोई भी व्यक्ति धार्मिक या पर्यटन स्थल के निकट अपने 1 से 6 कमरों तक की इकाई को ‘होम स्टे’ के रूप में पंजीकृत कर सकता है। प्रत्येक यूनिट में अधिकतम 12 बेड की अनुमति होगी और पर्यटक एक बार में 7 दिन तक वहां ठहर सकेंगे । यदि किसी को अधिक समय तक रुकना हो, तो उसका नवीनीकरण भी संभव होगा । इसमें पारदर्शिता और श्रद्धालुओं - पर्यटकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा ।
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग शुल्क

वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने जानकारी दी कि ग्रामीण क्षेत्रों में होम स्टे यूनिट के पंजीकरण के लिए ₹500 से ₹750 तक शुल्क निर्धारित किया गया है, जबकि शहरी क्षेत्रों के लिए यह शुल्क ₹2000 रखा गया है। पहले राज्य में इस तरह की कोई नीति नहीं थी, जिससे इच्छुक लोगों को केंद्र सरकार के पोर्टल ‘निधि प्लस’ पर पंजीकरण कराना पड़ता था । लेकिन अब राज्य सरकार के स्तर पर ही अनुमति और पंजीकरण की पूरी व्यवस्था की जा रही है।
उत्तर प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक धरोहरें और धार्मिक महत्व वाले स्थल लंबे समय से देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करते रहे हैं । अब नई नीति से न सिर्फ राज्य के पर्यटन ढांचे को मजबूती मिलेगी बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के भी अवसर पैदा होंगे । अने वाले दिनों में यह हजारों परिवारों के लिए आय का स्थायी साधन भी बनेगा ।
मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में कुल 11 प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए, जिनमें से 10 को मंजूरी मिल गई । बीएंडबी और होम स्टे नीति-2025 इनमें प्रमुख है ।